अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस मे डा सुनील ने लहराया बिहार का परचम

अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस मे डा सुनील ने लहराया बिहार का परचम

 

मधुबनी।जेटी न्यूज।

इण्डेफ (पूर्व) के उपाध्यक्ष,बेसा के पूर्व महासचिव एवं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता डा सुनील कुमार चौधरी ने नेशनल इन्स्टीच्यूट औफ इन्डस्ट्रीयल इन्जीनियरिंग,मुंबई द्वारा आयोजित “इन्टरनेशनल कान्फ्रेस औन डाटा एनालिटिक्स इन पब्लिक प्रोक्योरमेन्ट एण्ड सप्लाई चेन “मे तीन शोध पत्र प्रस्तुत कर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बिहार का परचम लहराया।डा चौधरी के शोध पत्र का शीर्षक था-1.ए होलिस्टीक एप्रोच टू सप्लाई चेन मैनेजमेंट इन कंस्ट्रक्शन एण्ड मेन्टिनेन्स औफ रोड 2.ए सिस्टेमेटिक एप्रोच टू इनविरान्मेन्टली सस्टनेबल पब्लिक प्रोक्योरमेन्ट इन रोड कंस्ट्रक्शन 3. सप्लाईचेन औफ टेक्नोलौजी डिलीवरी इन बिहार फौर हाउसिंग कंस्ट्रक्शन फौर वीकर सेक्सन औफ सोसाइटीज। डा चौधरी इन्टरनेशनल कान्फ्रेस ऑन डाटा एनालिटिक्स मे तीन शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले बेसा के पहले पूर्व महासचिव, इण्डेफ के पहले उपाध्यक्ष एव॔ पथ निर्माण विभाग के पहले अभियंता है।आपदा रोधी , पर्यावरण के अनुकूल एवं संक्षरण रोधी समाज निर्माण के लिए कृतसंकल्पित तथा विज्ञान एवं तकनीक के विभिन्न पहलुओं को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने को कटिबद्ध डा चौधरी ने सडक के निर्माण एवं मरम्मति मे सप्लाई चेन मैनेजमेंट के विभिन्न पहलुओ एवं आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।ग्रीन सस्टनेबल डिजाइन एण्ड कंस्ट्रक्शन एव॔ इस फील्ड मे एडवान्सेस एव॔ चुनौतियो की विस्तार से चर्चा की ।पर्यावरण संरक्षण एवं आपदा रोधी समाज निर्माण आन्दोलन के पर्याय बन चुके डा चौधरी ने सडको को इनवरान्मेन्टली सस्टनेबल एवं सेल्फ़ सस्टनेबल बनाने के पहलुओं पर बड़े ही सहज-सरल एवं रोचक ढंग से प्रकाश डाला।

 

 

उन्होने बताया कि भारत एक बहुआपदा प्रवण देश है जो बाढ एवं सुखाड़ की मार झेलता रहा है ।उन्होने बताया कि जरूरी है कि सडको के निर्माण एवं प्रबंधन में सेल्फ़ सस्टनेबल, इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल , क्लाइमेट एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच अपनाया जाय।उन्होने बताया कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार को सड़क निर्माण एव॔ मरम्मति के कार्यो मे सप्लाई चेन मैनेजमेंट एवं इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल प्रोक्योरमेन्ट को बढावा देना चाहिए। इनवरान्मेन्टल सस्टनेबलिटी विकास के साथ कार्बन फुट प्रिन्ट को कम करके की प्रक्रिया है ।डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच डिजास्टर के साथ जीने की कला है ।उन्होने बताया कि जिस तरह से जनसंख्या वृद्धि हो रही है एवं प्रदूषण, अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन बढ रहा है सेल्फ़ सस्टनेबल एवं इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल डिजाइन, कंस्ट्रक्शन,मेन्टिनेन्स एवं प्रोक्योरमेन्ट को बढ़ावा देने की नितांत जरूरत है।डॉ चौधरी ने मेसो,माइक्रो एवं मैक्रो लेवल प्लानिंग में इनविरानमेन्टल सस्टनेबलिटी एवं डिजास्टर रेजिलिएन्ट एप्रोच को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ।उन्होने बताया कि विकास ऐसा हो जो विनाश से बचाये ,विकास ऐसा हो जो पर्यावरण को बचाये तथा विकास ऐसा हो जो सतत प्रगति की राह को दिखाये।भारत में इनविरानमेन्टली सस्टनेबल ग्रीन कौस्ट इफेक्टिव एण्ड डिजास्टर रेजिलिएन्ट सड़को के निर्माण एवं प्रबंधन की बात करनी है तो इनोवेटिव, कौस्ट इफेक्टिव एण्ड ग्रीन रिवोल्यूशनरी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना होगा, साथ ही पॉलिसी एवं गवरनेन्स में आमूल-चूल परिवर्तन लाना होगा । डॉ चौधरी इन्टिग्रेटेड एप्रोच अपनाने की जरूरत बताई । साथ ही सेल्फ सस्टनेबल एवं ग्रीन ट्रान्सपोर्ट की जोरदार वकालत की ।इसके लिए समाज में लोगो को जागरूक करना होगा ।

 

 

डा चौधरी ने निर्माण कार्य में अभिकल्प एवं मटेरियल के विशिष्टयो एवं प्रबंधन नीतियों में बदलाव की जरूरत की जोरदार वकालत की एवं इस दिशा में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत बताई ।उन्होने बताया कि इनवरान्मेन्टल सस्टनेबल एवं सेल्फ़ सस्टनेबल डिजास्टर रेजिलिएन्ट निर्माण एवं प्रबंधन पर समाज के हर तबके को जागरूक करने के अभियान को एक आन्दोलन का रूप देकर पूरा देश में फैलाने की जरूरत है । डा चौधरी अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी एवं सामाजिक संगठनों से जुड़कर जलवायु परिवर्तन जनित आपदा एवं उससे निपटने के लिए डिजास्टर रेजिलिएन्ट एवं कौस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी को समाज के अन्तिम पंक्ति के लोगों तक पहुंचाने का काम करते रहे हैं ।
हम लोग है ऐसे दीवाने ,तकनीक बदलकर मानेंगे।
मंजिल को पाने निकले है,मंजिल को पाकर मानेंगे।

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