एम के मिशन आवासीय विद्यालय रामगढ़वा में श्रद्धा भक्ति व हर्षोल्लास के साथ की गई भगवान विश्वकर्मा की पूजा

एम के मिशन आवासीय विद्यालय रामगढ़वा में श्रद्धा भक्ति व हर्षोल्लास के साथ की गई भगवान विश्वकर्मा की पूजा
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

 

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के भलुवहिंया गांव स्थित एम के मिशन आवासीय विद्यालय में शनिवार 17 सितंबर को श्री विश्वकर्मा भगवान के जयंती के अवसर पर श्रद्धांभक्ति के साथ उनकी पूजा अर्चना विद्यालय के निदेशक ध्रुव नारायण कुशवाहा एवं विद्यालय परिवार के द्वारा की गई। साथ ही विद्यालय के सभी गाड़ियों की पूजा पूजा की गई एवं सभी चालक को अंग वस्त्र व प्रसाद देकर सम्मानित किया गया।
गौरतलब हो कि भारत में भगवान विश्वकर्मा की पूजा हिन्दू, मुस्लिम सिख ईसाई आदि सभी धर्मों के लोग श्रद्धा भक्ति के साथ करते हैं।हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है।

वे वास्तुदेव के पुत्र तथा माता अंगिरसी के पुत्र थे। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण भी उन्होंने ही किया था। उन्हें स्वायंभु और विश्व का निर्माता माना जाता है। उन्होंने द्वारका के पवित्र शहर का निर्माण किया जहां पुरुषोत्तम श्री कृष्ण ने शासन किया। वे पांडवों की माया सभा, और देवताओं के लिए कई शानदार हथियारों के निर्माता थे।उन्हें निर्माणकार्ता, इंजीनियर , वैज्ञानिक जगतकार्ता ईश्वर कहते हैं। इन्हीं से पांच वैज्ञानिक , निर्माणकार्ता हुए अनेक वैज्ञानिक , निर्माणकार्ता हैं। ‘, ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है, और इसे यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान, स्टैप्टा वेद के साथ श्रेय दिया जाता है। इस दिन विश्वकर्मा की विशेष प्रतिमाएं और चित्र सामान्यतः प्रत्येक कार्यस्थल और कारखाने में स्थापित किए जाते हैं।सभी कार्यकर्ता एक आम जगह पर इकट्ठा होते हैं और पूजा करते हैं।

मौके पर विद्यालय के उप प्रधानाध्यापक संजू कुशवाहा, व्यवस्थापक हिमांशु कुमार हिमकर, इंजीनियर सीतांशु कुमार रंजन, शिक्षक विशाल क्षेत्री, श्रीमती प्रतीक्षा क्षेत्री, कोरियोग्राफर अरमान राज, बस चालक राकेश कुमार, नागेंद्र श्रीवास्तव, राजा बाबू कुमार, गार्ड मिट्ठू कुमार सिंह, समीर पटेल, छात्र दीपांशु कुमार, मेराज आलम, गोलू कुमार ,ऋषभ कुमार, अंकित कुमार , रौशन राज,रूहि रानी तथा इम्तियाज आलम सहित दर्जनों छात्रावास के बच्चे उपस्थित थे।

 

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। वे वास्तुदेव के पुत्र तथा माता अंगिरसी के पुत्र थे। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण भी उन्होंने ही किया। पौराणिक काल में विशाल भवनों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा

आज यानी 17 सितंबर को पूरा भारत में विश्वकर्मा पूजा मनाई जा रही है। इसे विश्वकर्मा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा का जन्‍म भादो माह में हुआ था।

हर साल 17 सितंबर को उनके जन्‍मदिवस को विश्‍वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। विश्‍वकर्मा को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। विश्वकर्मा को दुनिया में सबसे पहले वास्तु और इंजीनियरिंग की उपाधि दी गई है। आज के दिन सभी लोग अपने घरों में सुख-शांति और अपने और अपने कारोबार में तरक्की के लिए विश्वकर्मा पूजा करते हैं। श्रमिक अपने खेतों और कारखानों में अपनी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।

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