भूमि अधिकार आंदोलन का राष्ट्रीय कन्वेंशन प्रभुराज नारायण राव की कविता पाठ से प्रारंभ

भूमि अधिकार आंदोलन का राष्ट्रीय कन्वेंशन प्रभुराज नारायण राव की कविता पाठ से प्रारंभ


जे टी न्यूज़
दिल्ली : आज 27 सितंबर को दूसरे दिन भूमि अधिकार आंदोलन का सत्र बिहार के प्रभुराज नारायण राव की कविता पाठ से प्रारंभ हुआ । आज के प्रथम सत्र की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव कामरेड बीजू कृष्णन के अध्यक्षीय भाषण से शुरू हुआ ।
उन्होंने बताया कि देश के लगभग हर राज्यों में जल जमीन जंगल खनिज तथा समुद्र का सवाल आम जनता के लिए महत्वपूर्ण सवाल बनता जा रहा है । वर्षों से आदिवासी , दलित एवं दबे कुचले लोगो के इस्तेमाल की चीजों पर लगातार केंद्र सरकार के सहयोग से कारपोरेट कब्जा करना चाह रहा है ।कमजोर लोगों को जमीन से बेदखल करके उन जमीनों को कारपोरेट के हाथों में दिया जा रहा है । पहाड़ों पर , खनिज और जल संपदा पर भी कारपोरेट का नियंत्रण बढ़ रहा है । समुद्री इलाके में निकल रहे तेल तथा गैस पर भी कारपोरेट का कब्जा दिया जा रहा है । इस तरीके से आदिवासी दलित वर्ग तथा अन्य कमजोर वर्ग के लोगों के जीवन यापन की चीजें छीनी जा रही है । इस सवाल पर भूमि अधिकार आंदोलन से जुड़े छोटे-छोटे संगठन कई इलाकों में संघर्ष कर रहे हैं ।

 

उन्होंने कहा कि आज इस राष्ट्रव्यापी चौथे कन्वेंशन में देश के 20 राज्यों से भूमि अधिकार आंदोलन के प्रतिनिधि कन्वेंशन में शामिल हुए । हर जगह जल जंगल जमीन खनिज संपदा बचाने को आंदोलन चल रहे हैं और यह सही भी है कि हमारे पास संघर्ष के शिवा अपनी हिफाजत के लिए दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है । लेकिन हमें सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहना है। हमें अपने राजनीतिक कर्तव्य तथा अधिकारों का इस्तेमाल भी अपने हीत के लिए करना है ।

जिस तरीके से देश के अंदर आर एस एस, भाजपा की सरकार नफरत पैदा करने का प्रयास कर रहा है । लोगों को बांटने की जो कार्रवाई हो रही है । यह देश के लिए चिंता का सवाल है । इतना ही नहीं आज मोदी सरकार लोकतंत्र की समाप्ति और संविधान में लगातार छेड़छाड़ कर रही है । ऐसी स्थिति में भी हमारे पास संघर्ष के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं है । उसके बाद डॉक्टर सुनीलम , उल्का महाजन ,अशोक चौधरी , अरविंद अंजुम,प्रफुल सामंत,माधुरी ,दयामुनि वारला,रोमा जी आदि ने अपने विचार रखे ।

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