विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में एकल व्याख्यान आयोजित

विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में एकल व्याख्यान आयोजित

 

जे टी न्यूज़
दरभंगा : संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा ने “महाकवि कालिदास के काव्यों में राष्ट्रीयता” विषय दिया व्याख्यान।
कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डा घनश्याम, पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो जीवानन्द, कार्यक्रम संयोजक डा चौरसिया तथा सचिव मुकेश झा ने रखे महत्वपूर्ण विचार। विलक्षण प्रतिभा के धनी अद्वितीय महाकवि कालिदास के काव्यों में राष्ट्रीयता की भावना ने लिया है मूर्त रूप- प्रो देवनारायण। राष्ट्रीयता की भावना राष्ट्रकवि कुलगुरु कालिदास के काव्यों में व्यापक एवं समग्र रूप में होता है दृष्टिगोचर- डा घनश्याम। स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में सहभागी 60 प्रतिभागियों को अतिथियों के हाथों दिया गया प्रमाण पत्र। कालिदास अद्वितीय महाकवि हैं, जिनका साहित्य अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं से हमें रूबरू कराता है।व्यक्ति, राज्य, राजा, प्रजा, राष्ट्र और राष्ट्रीयता ही नहीं, मानवीय जीवन से जुड़ा ऐसा कोई भी पक्ष नहीं है जो कालिदास के काव्यों में मौजूद नहीं है। मनोरम वाणी में कालिदास ने भारत की राष्ट्रीयता का अपूर्व संदेश दिया है। विलक्षण प्रतिभा के धनी महाकवि कालिदास के काव्यों में राष्ट्रीयता की भावना ने मूर्त रूप रूप लिया है। उक्त बातें संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान एवं केएसडीयू, दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा ने कही।

विश्वविद्यालय के पीजी संस्कृत विभाग और डॉ प्रभात दास फाउण्डेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्त्वावधान में “महाकवि कालिदास के काव्यों में राष्ट्रीयता” विषयक एकल व्याख्यान में प्रो झा ने बताया कि कालिदास का काव्य बताता है कि शासनतंत्र में प्रजा को अधिकार है कि वो 24 घंटे में कभी भी अपने राजा से मिल सके। प्रजाहित को छोड़कर राजा का कोई भी अन्य कर्तव्य नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कालिदास ने अखंड भारत, आत्मनिर्भर एवं समृद्ध राष्ट्र की बात की थी, जहां राजा धर्मानुसार शासन करता हो।
पूर्व कुलपति ने व्याख्यान के विषय को व्यापक एवं प्रासंगिक बताते हुए कहा कि राष्ट्रीयता के अंतर्गत विश्व के सभी राष्ट्र आते हैं, परंतु यहां हम भारत राष्ट्र से भाव लेंगे। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि के बाद संस्कृत साहित्य के दूसरे बड़े कवि के रूप में कालिदास हुए, जिनका वर्णन स्वर्ण अक्षरों में किया जाएगा। कालिदास ने राजा के कर्तव्यों के साथ ही उनके त्याग की महत्ता, तप की उपयोगिता, शिक्षकों के कर्तव्य, राज्य के लक्षण, स्त्रियों की महत्ता आदि के बारे में व्यापक वर्णन किया है। सच्चा राजा प्रजा रूपी पुत्र की न केवल रक्षा करता है, बल्कि उसका भरण- पोषण के साथ ही उसके सुख- दु:ख का सहभागी भी होता है।

कालिदास के अनुसार राष्ट्र ऐसा होना चाहिए, जहां प्रजा दुखी न हो और जहां हिंसा व चोरी आदि का भी कोई स्थान न हो। कोई भी राष्ट्र स्वार्थ से बिगड़ता है और त्याग से महान बनता है। विषय प्रवेश कराते हुए स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष डा घनश्याम महतो ने कहा कि राष्ट्रीयता की भावना राष्ट्रकवि कुलगुरु कालिदास के काव्यों में व्यापक एवं समग्र रूप से दृष्टिगोचर होता है। वे भारतीय सभ्यता और संस्कृति के प्रतीक हैं, जिनके काव्यों में भारत की महान संस्कृति प्रतिबंधित होती है। कालिदास ने अपने काव्यों में राजा और राजधर्म का, उनकी नीतियों एवं व्यवहारों का अत्यंत ही व्यापक वर्णन किया है। राजा के सद्गुणों से ही राज्य की प्रजा समृद्ध और प्रसन्न रहती है। विभागाध्यक्ष ने कहा कि कालिदास के काव्यों में व्याप्त राष्ट्रधर्म हमारे मार्गदर्शक हैं। कार्यक्रम में मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो रमेश झा, मैथिली के प्राध्यापक प्रो दमन झा, पेंशन पदाधिकारी डा सुरेश पासवान, सी एम कॉलेज के मैथिली- प्राध्यापक डा सुरेन्द्र भारद्वाज, एमएलएस कॉलेज, सरसोपाही की संस्कृत- प्राध्यापिका डा शकुंतला कुमारी, एसबीएसएस कॉलेज, बेगूसराय से संस्कृत- छात्रा काजल कुमारी व ज्योति कुमारी, अनौपचारिक संस्कृत शिक्षक अमित कुमार झा, डा प्रभात दास फाउंडेशन के सक्रिय कार्यकर्ता राजकुमार गणेशन व अनिल कुमार सिंह, प्रशांत कुमार झा, शोधार्थी- सोनाली मंडल, अमितेश मंडल, सदानंद विश्वास, संदीप घोष, छात्र- दशरथ ठाकुर, सुमेधा कुमारी, अतुल कुमार झा, विकास कुमार गिरी, वैष्णवी कुमारी, योगेन्द्र पासवान, उदय कुमार उदेय तथा विद्यासागर भारती सहित 60 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे, जिन्हें आयोजकों द्वारा अतिथियों के हाथों प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। अतिथियों का स्वागत पाग, चादर तथा पौधा प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जबकि अंत राष्ट्रगान- जन गण मन… के सामूहिक गायन से हुआ। कार्यक्रम के संयोजक डा आर एन चौरसिया के संचालन में आयोजित व्याख्यान में अतिथियों का स्वागत पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो जीवानन्द झा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा प्रभात दास फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने किया।

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