*अब नजर आया हिटलर का असली चेहरा*

*अब नजर आया हिटलर का असली चेहरा*
जे टी न्यूज़


लोकसभा के नए भवन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर जो माहौल दिल्ली में दिखा । वह लोकतांत्रिक गरिमा के अनुकूल कतई नहीं कहा जा सकता । यह सबको पता है कि देश का सर्वोच्च नागरिक और लोकसभा का सर्वोच्च सम्मानित पद से सुशोभित राष्ट्रपति ही सदन के किसी भी प्रारंभिक दौर में सदन में आकर सदन को सुशोभित करते हैं ।जबकि नई लोकसभा का उद्घाटन करने का मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना मन बना लिया था । यह सबको पता है कि हिटलर रूपी नरेंद्र मोदी के सामने भाजपा के किसी भी नेता के विरोध का स्वर तो दूर की बात रही , सुझाव तक देने की साहस कोई नहीं रखता । यह सबको पता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सदन में दूसरा स्थान राजनाथ सिंह का होता था । लेकिन उनके शब्द नागवार लगने के ततक्षण बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने खासम खास निजी चेहरा अमित शाह को सदन का दूसरा स्थान दे दिया ।


दूसरी बात यह कि लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत अपने अपने मंत्रिमंडल का मुख्य चेहरा मंत्री हुआ करते हैं लेकिन जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं । चाहे वह रेल हो , हवाई जहाज हो , परिवहन हो , मेट्रो हो या कोई भी उद्घाटन करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बन गई है और उस विभाग के मंत्री उनके सहयोगी भूमिका में भी नजर नहीं आते हैं ।
जिस तरीके से विपक्ष के एकजुट सुझावों को ताक पर रखकर , मनमाने तरीके से हिटलर रूपी नरेंद्र मोदी ने नई लोकसभा का उद्घाटन किया और हजारों वर्ष पूर्व चोला साम्राज्य के राजा की परंपरा के प्रति सैंगोल को जिस तरीके से लोकसभा अध्यक्ष के समीप स्थापित किया और उसके सम्मान में सेंगोल के समक्ष सस्तांग दंडवत किया वह । चाहे हिंदू वोट बटोरने में नरेंद्र मोदी जितने भी कामयाब हो जाएं । लेकिन लोकतंत्र में आस्था रखने वाले , धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले और बाबा साहब अंबेडकर की संविधान पर भरोसा रखने वाले देश का कोई भी नागरिक इसे सही नहीं बल्कि संवैधानिक मर्यादाओं को शर्मसार करने का कार्य हीं कहेगा ।


जब नई लोकसभा का उद्घाटन सत्र चल रहा था । ठीक उसी समय में हिटलर रूपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पुलिस द्वारा महीनों से यौन शोषण की शिकार महिला पहलवानों को धरना स्थल जंतर मंतर से घसीट कर लाठियों से पीटकर गिरफ्तार किया जा रहा था। ये महिलाएं वे पहलवान हैं , जिन्होंने देश के मस्तक को , तिरंगे की शान को ऊंचा करने में दुनिया के दूसरे देशों के पहलवानों को पछाड़कर पदक हासिल कर देश का मान सम्मान बढ़ाया है । उन महिला पहलवानों का यह शिकायत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खासम खास सांसद तथा राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रिज भूषण शरण सिंह ने उन महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है । इसलिए मुकदमे हुए । लेकिन ब्रिजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई और किसी प्रकार की कोई फटकार भी प्रधानमंत्री द्वारा लगाया गया । लोकतंत्र में मिलने वाले धरना प्रदर्शन के अधिकारों को छीना जा रहा है और वह भी वैसे महत्वपूर्ण समय में जब लोकतंत्र के भवन का यहां उद्घाटन चल रहा है । उसी समय में प्रधानमंत्री का यह नारा की बेटी पढ़ाओ , बेटी बचाओ को तार-तार करने वाले वाली करवाई उन्हीं के अपनी पुलिस द्वारा की जा रही थी । लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा एक शब्द भी उन महिला पहलवानों पर की गई बर्बर लाठीचार्ज और धरना स्थल से घसीट कर गिरफ्तारी पर कुछ नहीं कहा गया ।


निश्चित रुप से आज का दिन हिटलर की तानाशाही की प्रतीक के रूप में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आए । लेकिन यह बात भी याद रखना चाहिए । इतिहास के पन्नों में यहूदियों को समाप्त कर नाजियों की सत्ता स्थापित करने वाले जर्मनी के हिटलर को जो पूरी दुनिया को अपना साम्राज्य बनाना चाहता था । प्रधानमंत्री जी अभी आपकी भी बोली कुछ इसी तरह की देश में नजर आ रही है कि देश पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य फैला रहा है । तो इतिहास के पन्नों में तानाशाह का प्रतीक हिटलर का अंत को भी एक बार पढ़ने की जरूरत है । क्योंकि ज्यादा दिनों तक तानाशाही को देश की जनता बर्दाश्त नहीं करती ।

[acx_slideshow name="OCT"]