उलझन उलझन करके ना यू खुद को उलझाइए ।

 

उलझन उलझन करके ना यू
खुद को उलझाइए ।

जे टी न्यूज़


किसके जीवन में नहीं उलझन
जरा हमें भी तो बताइए।।
जो ना हो जीवन में उलझन
जिंदगी लगेगी एक सजा ,
कुछ उलझाने ही देती है
जिंदगी जीने का मजा,
उलझन में भी हंसकर जीने का
हर पल लुफ्त उठाइए।
उलझन उलझन करके ना यू
खुद को उलझाइए ।
यह जीवन है एक रंगमंच
यहां पग पग पर ही मिलेंगे उलझन,
मानकर इसको जीवन का हिस्सा,
संग इसके चलते जाइए,
उलझन उलझन करके ना,
यूं खुद को उलझाइए ।
अगर रह जाएंगे अपनी में उलझ कर ,
तो हो जाएंगे कुछ रिश्तो से दूर,
रिश्ते मांगते हैं वक्त,
वह उलझन नहीं समझते हुजूर,
दूर होकर रिश्तो से यूं ना ,
जिंदगी जहन्नुम बनाइए।
जिन उलझनों के ना मिले हल,
उन्हें वक्त पर छोड़ देनी चाहिए।।
वक्त सुलझा देगी हर उलझन
ये बात मेरी मानिये,
उलझन उलझन करके ना यूं,
खुद को उलझाइए।
सम्पदा ठाकुर
स्वरचित

Related Articles

Back to top button