यात्रा मुख्तियारपुर सलखन्नी गांव का अनुभव

यात्रा मुख्तियारपुर सलखन्नी गांव का अनुभव


जे टी न्यूज, समस्तीपुर:
कल मुझे व्यक्तिगत कार्य से दलसिंहसराय ब्लाक के मुख्तियारपुर सलखन्नी गांव जाने का मौका मिला। तभी मन में विचार आया कि रास्ते में पड़ने वाले पांड़ डीह के उत्खनन स्थलों का भी क्यों न दीदार कर लिया जाए ? यह उत्कंठा भी जगी कि जरा देख लूं कि इन दिनों किसान उत्खनन स्थलों पर कौन-कौन सी सब्जियों की खेती कर रहे हैं ? मेरे शुभचिंतकों में भी यह जानने की उत्सुकता होगी कि इन दिनों पांड़ में क्या सब चल रहा ? यही सब ताना-बाना बूनते हुए मैं पांड के पुरातात्विक उत्खनन स्थल पर पहुंचा। पांड़ की प्राचीनता से जुड़े मेरे पोस्ट से आप सभी अवगत हैं। उसे दुहराने की आवश्यकता नहीं है।

पांड़ पांडव स्थान पर पहुंच कर रामचन्दर जी को फोन किया। उनका घर डीह से थोड़ी ही दूर है। हालचाल हुआ। उन्हें लगा कि मैं पांड़ के विकास से जुडी कोई नई खबर लेकर आया होऊंगा। ऐसी कोई बात थी नहीं! उन्होंने मुझे वहीं रुकने को कहा। थोड़ी देर में वे आ भी गए। रामचन्दर जी से मैं वर्ष 1999 से ही लगातार जुड़ा रहा हूं। 1999 में ही ‘काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटना के निदेशक डाॅ.विजय कुमार चौधरी की देखरेख में पहली बार उत्खनन कार्य प्रारंभ कराया गया था। एक तरह से मेरा उनके साथ तभी से दोस्ताना संबंध आज भी चला आ रहा है। वे उत्खनन कार्य में लगे मजदूरों के ‘हेड’ हुआ करते थे।

उत्खनन स्थलों पर सब्जियों की खेती लहलहा रही है। इन दिनों किसान परवल, कद्दू, करैला, कुंदरी, घिउड़ा, झिगुनी आदि की खेती कर रहे हैं। कई फोटोग्राफ्स लिए। आप भी उनका दीदार कर सूकून (?) महसूस करेंगे। अपनी पांड़ यात्रा को यादगार बनाने के लिए रामचन्दर जी के साथ एक सेल्फी भी लिया।
धन्यवाद।

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