*आख़िर कबतक लड़कियों के साथ होता रहेगा दरिंदगी। सब पे नजर, सबकी खबर।*

 

संजीव मिश्रा,

भागलपुर/सबौर:- बहुत ज्यादा समय नही बिता जब भागलपुर की लड़की के साथ मनचलों ने एसिड फेंका, बाद में काफी इलाज के बाद भी लड़की बच नही पायी, जबकि व जीना चाहती थी । आखिरकार उसका क्या कसूर ।
पुनः बिहार की राजधानी पटना में 6 जनवरी की रात एक छात्रा के अपहरण और बलात्कार की घटना के बाद घटना के एक आरोपी विनायक ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए पुलिस के समक्ष कहा कि उसे लड़की पसंद थी । उसने उसे प्रेम का प्रस्ताव दिया था।लेकिन छात्रा ने उसे ‘न’ में जवाब दे दिया,जिससे खफा होकर उसने साथियों के साथ छात्रा का अपहरण कर बलात्कार की घटना को अंजाम दिया।

हाल ही में रिलीज हुई मेघना गुलजार की फिल्म ‘छपाक’ 19 साल की एक लड़की की कहानी है।जो एक गर्ल्स हॉस्टल में पढ़ती है।उसे एक परिचित दर्जी काफी पसंद करता है।जबकि यह बात उस लड़की को मालूम नहीं होती।जब एक दिन वह दर्जी उस लड़की को किसी और लड़के के साथ घूमता देखता है तो वह काफी गुस्सा होता है और फिर एक दिन वह अपनी एक परिचित महिला से उस लड़की के चेहरे पर एसिड फिंकवा देता है।एसिड हमले से लड़की का चेहरा बुरी तरह जल जाता है और उसकी पूरी जिंदगी बदल जाती है।उसे कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है और वह किस तरह संघर्ष करती है और अपने हौसले और हिम्मत की बदौलत एक बार फिर से अपनी जिंदगी को रास्ते पर लाने में सफल हो पाती है।

भागलपुर से लेकर पटना तक ऐसी एक नहीं कई लड़कियां हैं,जो प्यार और शादी के लिए मना किए गए लड़कों द्वारा इस तरह की वीभत्स घटना की शिकार हुई हैं।यहां तक कि मानसिक रूप से विकृत कई लड़कों के द्वारा हत्या तक की घटना को अंजाम दिया गया है।प्यार का यह वीभत्स रूप,प्यार को कलंकित करता है।किसी भी इंसान के द्वारा किया गया यह आचरण कत्तई प्यार नहीं हो सकता।यह तो हवस है,पागलपन है। किसी भी कीमत में पाने की जिद, सही-गलत,जायज-नाजायज से परे, जबरन किसी को न तो अपना बनाया जा सकता है,न किसी के दिल में जगह बनाई जा सकती है,न किसी का प्यार पाया जा सकता है।एक महत्वपूर्ण बात यह कि घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस की कार्रवाई,वर्षों जेल की सजा, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर बदनामी या फिर कहें इस प्रकार की वीभत्स घटना को अंजाम देने वालों का जीवन भी समाप्त हो जाता है।

आज हम बीसवीं सदी में है । हमसबको अब समझना होगा कि प्यार अपने प्रेयसी को बर्बाद करने और तकलीफ देने का नाम नहीं है, बल्किब प्यार तो किसी की खुशियों की खातिर खुद को कुर्बान करने का नाम है।प्यार तो अपने प्रेयसी के चेहरे पर मुस्कान लाने का नाम है,प्यार तो अपने प्रेयसी को मान सम्मान देने का नाम है,प्यार तो प्रेयसी का ख्याल रखना है,प्यार तो प्रेयसी का जीवन संवारना है,प्यार तो एक-दूसरे के लिए समर्पण है,प्यार तो निःस्वार्थ होता है।

रविवार को भारत के एक महान सपूत और विश्व के सर्वश्रेष्ठ पुरुषों में से एक ‘स्वामी विवेकानंद’ की जयंती है,जिसे पूरा राष्ट्र ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाता है।’स्वामी विवेकानंद’ भारत ही नहीं विश्व भर के युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं।इन्होंने अल्पायु में ही अपने कार्यों से,अपने विचारों से पूरे विश्व में भारत के युवाओं का डंका बजाया और भारतीय युवा शक्ति का प्रतिनिधित्व कर भारतीय युवाओं को सम्मान दिलाया। इनका जन्मदिन समस्त युवाओं के लिए खास है।आखिर कोई युवा क्यों अपने कर्मों से घर परिवार, अपने समाज और राष्ट्र का नाम खराब करे।क्यों न स्वामी जी से प्रेरणा लेकर ऐसा कुछ करें जिससे मां-बाप,परिजन और समाज का नाम रोशन हो और वो एक आदर्श बनें,जिस पर हमारा समाज गर्व कर सके।

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