राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों 27वें सम्मेलन के चर्चा में हिस्सा लिया

राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों 27वें सम्मेलन के चर्चा में हिस्सा लिया

जे टी न्यूज, दिल्ली(विनोद कुमार सिंह,स्वतंत्र पत्रकार):

अन्तराष्ट्रीय -राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश ने कंपाला

,युगांडा में राष्ट्रमंडकंपाला,युगांडा में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों (सीएसपीओसी) के 27वें सम्मेलन में कई चर्चाओं मेंल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों (सीएसपीओसी) के 27वें सम्मेलन में कई चर्चाओं में भाग लिया।हरिवंश ने कहा कि समावेशी संसद में जन विविधता प्रतिबिंबित होनी चाहिए,महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना एक मील का पत्थर है जो भारतीय संसद की समावेशी प्रकृति का प्रमाण है।सांसदों का स्वास्थ्य और खुशहाली सीधे तौर पर शासन की गुणवत्ता और जिन लोगों की वे सेवा करते हैं उनके जीवन को प्रभावित करता है

श्री हरिवंश ने कहा कि संसद को पूरी तरह डिजिटलीकृत करने और कागज रहित बनाने के प्रयास जारी हैं।भारतीय संसद जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने हेतु समर्थकारी कानूनी ढांचा और संस्था बनाने में सदा सक्रिय रही है।राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने कंपाला,युगांडा में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन

अधिकारियों(सीएसपीओसी) के 27वें सम्मेलन में

‘पर्यावरण,जलवायु परिवर्तन और संसद की भूमिका’, ‘विविध और समावेशी संसदें’, और ‘संसदों में स्वास्थ्य और कल्याण सहायता’ जैसे विषय शामिल थे, यह सम्मेलन 4 और 5 जनवरी, 2024 को आयोजित किए गए थे।पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के दौरान श्री हरिवंश ने सरकार के साथ-साथ संसद द्वारा की गई विभिन्न पहलों को रेखांकित किया। संसद में उन पर विस्तार से बहस और चर्चा की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि “भारतीय संसद जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए समर्थकारी कानूनी ढांचा और संस्था बनाने में हमेशा सक्रिय रही है।” यह पिछले दो दशकों में जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रश्नों की बढ़ती संख्या में भली भांति परिलक्षित हुआ है। इसी तरह, जलवायु वित्तपोषण, प्रवासन संबंधी चुनौतियां, शमन और अनुकूलन योजनाओं हेतु नवीन दृष्टिकोण, बेहतर आपदा प्रबंधन तैयारियों का मुद्दा भी भारतीय संसद की बहसों में प्रमुख रूप से शामिल हुआ है।

इस संदर्भ में, भारत की ‘गो ग्रीन’ पहल के संबंध में बोलते हुए, श्री हरिवंश ने कहा कि संसद सदस्यों को संसद परिसर तक लाने-ले जाने के लिए ई-वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है और संसद को पूरी तरह से डिजिटलीकृत और कागज रहित बनाने के प्रयास जारी हैं।विविधतापूर्ण और समावेशी संसदों के संबंध में एक अन्य चर्चा में श्री हरिवंश ने कहा कि एक समावेशी संसद को लोगों की विविधता को प्रतिबिंबित करना चाहिए और युवाओं और महिलाओं सहित विभिन्न समूहों की विविध आवश्यकताओं पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की ऐतिहासिक घटना का भी उल्लेख किया जिसमें संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक का पारित होना भारतीय संसद की समावेशी प्रकृति का प्रमाण है। उन्होंने हमारी नीतियों की अधिक लैंगिक संवेदनशीलता सुनिश्चित करने हेतु संसदीय समितियों, जेंडर आधारित बजट और ऐसी अन्य पहलों की भूमिका को भी रेखांकित किया। “भारत को जनसांख्यिकीय संबंधी लाभ प्राप्त है। उन्होंने आगे कहा, ”भारत की संसद हमारी जनसंख्या के दो-तिहाई अर्थात् युवाओं और महिलाओं की आवश्यकताओं के प्रति पूरी तरह जागरूक और संवेदनशील है।”

सम्मेलन के दौरान आयोजित संसद सदस्यों के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित एक अन्य चर्चा में श्री हरिवंश ने कहा कि संसद सदस्यों का कल्याण सीधे तौर पर शासन की गुणवत्ता और उन लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है जिनकी वे सेवा करते हैं।उन्होंने सभा को संसद सदस्यों के बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए संसद द्वारा उनको प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।

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