जरा रुक

जरा रुक

जे टी न्यूज

जरा रुक ऐ मनुष्य
किसलिए यूं दौड़ लगाते हो ?
क्षणिक सुख पाने के लिए,
क्यों अपना सर्वस्व गँवाते हो ?
इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक……….
जरा रुक विश्राम कर,
अपने अंतर्मन का ध्यान कर।
क्या लेकर आए थे,
जिसके खोने का है डर?
क्यों है तू इतना बेकल ?
इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक……
जरा रुक विचार कर,
अपने मोह का त्याग कर।
खाली हाथ ही आए थे,
खाली हाथ ही जाना है।
तो क्यों सुबह शाम दौड़ लगाना है?
इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक……
जरा रुक ध्यान कर,
अपने कर्मों का अनुसंधान कर।


अपना चरित्र निर्माण कर,
मात पिता को प्रणाम कर ,
और गुरुजनों का सम्मान कर।
इसलिए ऐ मनुष्य जरा रुक…..
जरा रुक नमन कर,
मातृभूमि के स्मरण कर।
ईशदेवो का वंदन कर,
मानवों का अभिनंदन कर,
और प्रकृति का संवर्धन कर।
इसलिये ऐ मनुष्य जरा रुक…….
जरा रुक विचार कर,
देश के लिए कुछ त्याग कर।
नूतन अनुसंधान कर,
वसुधा का कल्याण कर,
फिर यहाँ से प्रस्थान कर।
फिर यहाँ से प्रस्थान कर…

कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
मुंगेर, बिहार

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