भाई फिरोज आलम ने तमाम अहल-ए-वतन को दिया जुमा-तुल- अलविदा का मुबारकबाद

भाई फिरोज आलम ने तमाम अहल-ए-वतन को दिया जुमा-तुल- अलविदा का मुबारकबाद

जे टी न्यूज़, शंकरपुर : इस्मालिक धर्म में अलविदा जुमे की नमाज का विशेष महत्व है। अलविदा जुमा रमजान के पाक महीने के आखिरी जुमे (शुक्रवार) को कहा जाता है। फैसल एजुकेशनल सोसायटी शंकरपुर के चेयरमैन जनाब फिरोज आलम नदवी ने अलविदा जुमे का इस्लाम में महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जुमे का इस्लाम धर्म में विशेष महत्व है और रमजान के पाक महीने के का जुमे की अहमियत और बढ़ जाती है। रमजान के आखिरी जुमा को अलविदा जुमा कहा जाता है। अलविदा जुमे का महत्व का ऐसी मान्यता है कि जो लोग हज की यात्रा के लिए नहीं जा पाते अगर वे इस जुमे के दिन पूरी शिद्दत और एहतराम के साथ नमाज अदा करें तो उन्हें हज यात्रा करने के बराबर सवाब मिलता है। अलविदा जुमे को अरबी में जमात-उल-विदा के नाम से जाना जाता है।अलविदा जुमे की नमाज को लेकर मस्जिदों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। मस्जिदों में इसके लिए खास तैयारी की जाती है। सभी लोग नए वस्त्र पहनकर नमाज अदा करने के लिए जाते हैं। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी लोग इस दिन मस्जिदों में इबादत करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अलविदा जुमे में नमाज अदा कर लोग जो जायज दुआ मांगते हैं वह पूरी होती है। साथ ही अल्लाह की रहमत और बरकत मिलती है। साथ ही व्यक्ति को अपने गुनाहों की माफी मिलती है।अलविदा जुमे के बाद ईद का पर्व मनाया जाएगा। जिसे ईद-उल-फितर या मीठी ईद के नाम से जामा जाता है। ईद का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के 10 वें महीने शव्वाल की पहली तारीख को चांद देखने के बाद हर साल मनाया जाता है। इस महीने की पहले चांद वाली रात को ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाएगा।

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