सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय के प्रधान लिपिक,लिपिक, अनु सेवक के वेतन में बढ़ोतरी ,दूसरी तरफ शिक्षकों के वेतन में कटौती,आखिर क्यों

मामला गोखुल कर्पूरी फुलेश्वरी डिग्री महाविद्यालय, कर्पूरी ग्राम, समस्तीपुर का, इसको लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश

सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय के प्रधान लिपिक,लिपिक, अनु सेवक के वेतन में बढ़ोतरी ,दूसरी तरफ शिक्षकों के वेतन में कटौती,आखिर क्यों?

मामला गोखुल कर्पूरी फुलेश्वरी डिग्री महाविद्यालय, कर्पूरी ग्राम, समस्तीपुर का, इसको लेकर शिक्षकों में भारी आक्रोश

इस मामले में जब कॉलेज के सचिव ए०आर० रहमान से बात करने की कोशिश की गई तो वो बात करने से कतराते दिखे,आखिर क्यों?

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जेटीन्यूज़
समस्तीपुर: हम शिक्षण संस्थान की बात करें तो कॉलेज का मूलभूत आधार शिक्षकों पर ही निर्भर करता है, वो शिक्षक ही हैं जिनके पढ़ाई के बदोलत छात्र नामांकन कराकर कॉलेज आते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि अगर कॉलेज में शिक्षक ना हो तो कॉलेज की कल्पना करना बेईमानी है। अब हम बात करते है बिहार के समस्तीपुर जिले के गोखुल कर्पूरी फुलेश्वरी डिग्री महाविद्यालय, कर्पूरी ग्राम, समस्तीपुर का जहां कॉलेज के सचिव ऐ०आर० रहमान द्वारा बिना किसी जानकारी, नोटिस या शिक्षकों को विश्वास में लिए बिना शिक्षकों के वेतन में कटौती कर दी ,वहीं दूसरी ओर प्रधान लिपिक, सामान्य लिपिक, अनु सेवक के वेतनमान में बढ़ोतरी,आखिर ऐसा बेहूदा मजाक सिर्फ शिक्षकों के साथ ही क्यों किया गया?
वहीं हम बात करें तो सहायक प्राध्यापक को आंतरिक स्रोत से 31 मार्च 2023 तक प्रो गया प्रसाद तत्कालीन सचिव ने बैठक कर 21, 600 ₹० प्रत्येक महीने आंतरिक स्रोत से वेतन के रूप में दिया करते थे प्रधान लिपिक 13500, सामान्य लिपिक 7600 , तथा अनु सेवक को 5740 प्रति महीना दिए जाते रहे हैं । परंतु उनकी मृत्यु हो जाने के बाद जब से सचिव के रूप में ए आर रहमान साहब आए हैं, उसके बाद से 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 24 तक का भुगतान नियमित नहीं करके अपने हिसाब से सहायक शिक्षकों को 15000, प्रधान लिपिक 13500, सामान्य लिपिक 11000, और अनु सेवक को 9000 दिया ।

कहा तो यह जाने लगा कि सचिव और प्राचार्य में मिली सांठ- गांठ के कारण महाविद्यालय के विधि व्यवस्था पर कई प्रश्न चिन्ह लगने लगे। यह चर्चा भी है कि बिना किसी बैठक,ना नोटिस दिए,ना कोई जानकारी किसी भी माध्यम से दिए बिना केवल शिक्षक के वेतन में कटौती करना आखिर कहां तक तर्कसंगत व जायज है?यह बड़ा सवाल है । इस मामले में जब सचिव से बात करने की लगातार कोशिश की गई तो वो बात करने व जवाब देने से कतराते रहे । ज्ञात हो कि बिहार में जब से डबल इंजन की सरकार है ,तबसे से कहीं कोई नियम- कानून नहीं है, बल्कि सत्ता दल के लोगों के सहारे पर यह तमाम हेरा फेरी बिहार के करीबन 225 महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य के द्वारा तमाम नियम कानून को ताक पर रखकर मनमाने कार्य किए जाने की खबर है । गौरतलब बात यह कि इपीएफ के रूप में जमा होने वाला पैसा भी समय पर नहीं दिए जाने के कारण महाविद्यालय के लाखों रुपए जुर्माना के रूप में देना पड़ रहा है ,आखिर इसके लिए कौन सा व्यक्ति जिम्मेवार है? इसे भी चिन्हित करना अत्यंत आवश्यक है। वहीं दूसरी ओर अपने वेतन कटौती को लेकर शिक्षको में भारी आक्रोश देखा जा रहा है, आक्रोश व्यक्त करने वाले शिक्षकों में डॉ० शंभूनाथ ठाकुर,विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान, सहायक प्राध्यापक पुष्पा कुमारी होम साइंस, सहायक प्राध्यापक हरिप्रसाद गणित विभाग, सहायक प्राध्यापक सतनारायण ठाकुर जीव विज्ञान, अजय कुमार पांडे, इतिहास ,सहायक प्राध्यापक,प्रमोद कुमार पासवान मनोविज्ञान ,सहायक प्राध्यापक,
रामप्रवेश ठाकुर , विजय कुमार यादव भौतिक शास्त्र ,श्याम कुमार ठाकुर रसायन विभाग आदि कई ऐसे शिक्षक है जो खुलकर विरोध दर्ज करा रहे हैं।

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