नवरात्रि में आठवें दिन देवी मां के आठवें (अष्टमी) स्वरूप मां महागौरी की उपासना, पूजा एवं पाठ होनी है, इस दिन को दुर्गा महा अष्टमी भी कहा जाता है…।
मां की पूजा से अत्यन्त प्रसन्न होती हैं तथा भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करती हैं- रामानंद झा।
समस्तीपुर
नवरात्रि में आठवें दिन देवी मां के आठवें (अष्टमी) स्वरूप मां महागौरी की उपासना पूजा एवं पाठ होनी है, इस दिन को दुर्गा महा अष्टमी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं इनके उपासना पूजा एवं पाठ की विधि-
दिन : 1 अप्रैल 2020, (बुधवार)
*मां का स्वरूप :*
मां की वर्ण पूर्णत: गौरवर्ण है। इनके गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द के फूल से दी जाती है। आठ वर्षीय महागौरी के समस्त वस्त्र तथा आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं है तथा वाहन वृषभ (बैल) है। मां की मुद्रा अत्यन्त शांत है और ये अपने हाथों में डमरू, त्रिशूल धारण किए वर मुद्रा और अभय-मुद्रा धारिणी है।
*मां के पूजा विधि :*
इनकी पूजा करने के लिए भक्त को नवरात्रा के आठवें दिन मां की प्रतिमा अथवा चित्र लेकर उसे लकड़ी की चौकी पर विराजमान करना चाहिए।
इसके पश्चात पंचोपचार कर पुष्पमाला अर्पण कर देसी घी का दीपक तथा धूपबत्ती जलानी चाहिए। मां के आगे प्रसाद निवेदन करने के बाद साधक अपने मन को महागौरी के ध्यान में लीन कर निम्न मंत्र का कम से कम 108 बार जप करना चाहिए: ॐ ऎं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॐ महागौरी देव्यै नम:।।
*मां का भोग :*
प्रसाद दूध का ही होना चाहिए।
*बीज मंत्र :*
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
*मिलने वाला आशीर्वाद :*
इस मंत्र से मां अत्यन्त प्रसन्न होती है तथा भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
ठाकुर वरुण कुमार।✍