चूहा मेंढक के बाद मध्यान भोजन की सब्जी में मिला कपड़ा का पोटली
बिलकुल वैसा हि जैसा गेहू कि बोरी मे सलफास कपडे मे बांध कर डाला जाता है
चूहा मेंढक के बाद मध्यान भोजन की सब्जी में मिला कपड़ा का पोटली
बिलकुल वैसा हि जैसा गेहू कि बोरी मे सलफास कपडे मे बांध कर डाला जाता है
खाना खाने के बाद आठ बच्चे हुए बीमार पहुंचे हॉस्पिटल

जे टी न्यूज, करगहर(रोहतास)जिला रोहतास प्रखंड करगहर के जलालपुर में स्थित राजकीय कृत मध्य विद्यालय में बच्चों को शुक्रवार के दिन मध्यान भोजन के दौरान सब्जी में कपड़े से बंधा एक छोटी सी पोटली मीला बिल्कुल वैसा ही जैसा गेहूं की बोरे में लोग कपड़े में बांधकर सल्फास की दवा डालते हैं। खाना खाने के बाद आठ बच्चे की हालत खराब होने लगी विद्यालय से घर पहुंचने के बाद सिर में दर्द चक्कर व उल्टी होने लगी। अभिभावक ने सोचा कि इससे पहले विद्यालय में मध्यान भोजन के दौरान चूहा पाया गया था। उसके बाद इसी पंचायत के जलालपुर अंतर्गत विद्यालय में मेंढक पाया गया,वही शुक्रवार के दिन सब्जी में एक छोटी सी पोटली में बंधा कपड़ा पाया गया। खाना खाने के दौरान बच्चो ने आंखों से देखा घर जाने के बाद अपने अभिभावक को बताया।

बच्चों को उल्टी चक्कर आने के बाद विद्यालय प्रशासन व अभिभावकों के द्वारा फौरन एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने जांच कर बताया कि बच्चे खतरे से बाहर हैं। यदि ऐसी स्थिति रही तो विद्यालय में उपस्थित बच्चों की जान जा सकती है। मध्यान भोजन में एक बार फिर लापरवाही खुलकर सामने आया है। इतना ही नहीं एनजीओ द्वारा संचालित मध्यान भोजन के दौरान लगातार लापरवाही सामने आ रही है। एनजीओ द्वारा लगातार बच्चों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
ग्रामीण जलापुर निवासी बीरबल सिंह की पुत्री नेहा कुमारी(वर्ग 3) अंशु कुमारी,अंशिका कुमारी, प्रियंका कुमारी,काजल कुमारी, शिवानी कुमारी,ऋषि कुमार,व अंशु कुमार की तबियत खाने खाने के बाद बिगड़ने लगी।
डीपीओ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने कहा की जो भी भोजन में वांछनीय वस्तु (कपड़े की पोटली) पाई गई है। उसका सैंपल फूड इंसेक्टर को जांच के लिए भेज दिया गया है। जांच के बाद जो भी परिणाम आयेगा उसके अनुसार दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। चूहा का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि उसी प्रखंड के दूसरे विद्यालय में एनजीओ की लापरवाही तीसरी बार देखने को मिला है। वहीं स्थानीय लोग शिक्षा विभाग के कार्यशैली पर भी सवाल उठाने लगे हैं। क्योंकि एनजीओ द्वारा बरती जा रही बार-बार लापरवाही को नजर अंदाज किया जा रहा है। ग्रामीणों व अभिभावकों का कहना है कि आज पोटली जो बांधा मिला वह दवा की तरह नजर आ रहा था।l





