रमेश्वरलता में शास्त्री के छात्रों का दस दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरू
- रमेश्वरलता में शास्त्री के छात्रों का दस दिवसीय व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरू
जे टी न्यूज, मधुबनी(विष्णुदेव सिंह यादव): शहर स्थित महारानी अधिरानी रमेश्वलता संस्कृत महाविद्यालय, दरभंगा के सभागार में दस दिवसीय संस्कृत सम्भाषण प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। केएसडीएसयू, दरभंगा के प्रभारी कुलपति सह प्रतिकुलपति प्रो.सिद्धार्थ शंकर सिंह,केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति के पूर्व कुलपति प्रो.सिद्धार्थ शंकर सिंह,केएसडीएसयू के पूर्व कुलपति प्रो.विद्याधर मिश्र, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो.जय प्रकाश नारायण एवं प्रधानाचार्य डॉ.दिनेश झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किये ।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए केएसडीएसयू के पूर्व कुलपति प्रो.विद्याधर मिश्र ने कहा कि मिथिला विद्वानों की धरती रही है। यहां के प्रत्येक कण-कण में सरस्वती की वास है। आवश्यकता है इसे खोजने की। इस दिशा में यह प्रशिक्षण अत्यंत ही लाभदायक सिद्ध होगा। छात्रों का पुनीत कर्तव्य है कि निष्ठापूर्वक संस्कृताध्ययन करना चाहिए।
मुख्यातिथि सह प्रभारी कुलपति प्रो.सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में शास्त्र को व्यावहारिक रूप में जानने की जरूरत है। सम्भाषण के माध्यम से शास्त्राध्ययन में गति मिलती है।
विशिष्टा तिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.राधाकांत ठाकुर ने कहा कि संस्कृत पढ़ने के लिए सर्वप्रथम श्रद्धा होना आवश्यक है। कोई भी विद्या बिना श्रद्धा से प्राप्त नहीं हो सकती। कहा भी गया है श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्। यदि विश्व में अपना अधिपत्य चाहते हैं तो संस्कृत भाषा पर अधिपत्य होना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में इस भाषा को हीन की भावना से नहीं देखनी चाहिए। यह देव भाषा तथा जनलोकोपयोगी कल्याणकारी भाषा है।
सम्मानितातिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया ,नई दिल्ली के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.जयप्रकाश नारायण ने बताया कि संस्कृत को फैशन की तरह हमें पढ़ना चाहिए। इस समय संस्कृत सम्भाषण व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर सैकड़ों लोग अपनी आजीविका देश-विदेश में चला रहे हैं।
प्रताप नारायण संस्कृत महाविद्यालय बौंसी बांका के प्रधानाचार्य डा.प्रकाशचंद्र यादव ने चतुर्वर्षीय शास्त्री सेमेस्टर पाठ्यक्रम की महत्ता को रेखांकित किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डा.दिनेश झा ने व्यावसायिक प्रशिक्षण के तहत चतुर्वर्षीय शास्त्री के छात्रों का पाठ्यक्रम का अंग बताया। साथ ही इस समारोह का उद्देश्य संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को इस प्राचीन भाषा में संवाद करने के लिए प्रोत्साहित करना बताया। उन्होंने छात्रों से महाविद्यालय परिसर में परस्पर संस्कृत में नियमित वार्तालाप करने पर बल दिया।
राधारमण झा, अभिषेक कुमार, दुर्गेश कुमार के वैदिक मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्वागतगान डॉ.मैथिली कुमारी एवं स्वागत भाषण डॉ.ममता पाण्डेय ने की ।आगत अतिथियों को मिथिला के परंपरानुसार पाग-चादर एवं पुष्पगुच्छ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महाविद्यालय के व्याकरण प्राध्यापक डॉ.रामसेवक झा ने उपस्थित जनसमूह से संस्कृत में संवाद करने तथा इस अभियान को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रियंका तिवारी ने की।
वहीं प्रथम दिन का प्रशिक्षण की शुरुआत प्रशिक्षक अमित कुमार ने संस्कृत गीत एवं संस्कृत में परिचय से किया। समारोह में डॉ .पवन कुमार झा,डॉ.सुनील कुमार, डॉ.मुकेश प्रसाद निराला, पंकज मोहन झा, मगन कुमार झा,सत्यम पराशर, मनोज राम सहित महाविद्यालय के सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
कार्यक्रम संयोजक डॉ.रामसेवक झा ने बताया कि यह प्रशिक्षण प्रतिदिन महाविद्यालय के सभागार में दो से चार बजे तक 21 अगस्त तक चलेगा। इसमें पांच दर्जन से अधिक लोग नि: शुल्क पंजीयन कराकर प्रशिक्षण ले रहे हैं।