साहिबगंज, राजमहल व उधवा में बाढ़ से हाहाकार एक लाख से अधिक लोग प्रभावित खाना–पानी, दवाई और सूखे कपड़े का संकट
साहिबगंज, राजमहल व उधवा में बाढ़ से हाहाकार
एक लाख से अधिक लोग प्रभावित
खाना–पानी, दवाई और सूखे कपड़े का संकट
जे टी न्यूज,
साहिबगंज(संजय कुमार धीरज) :– अगर मानसून की बारिश जारी रही तो बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी रह सकती है, क्योंकि जल स्तर बहुत धीरे-धीरे कम हो रहा है। अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में लगभग 200 रिलीफ कैम्प में 2000 से ज्यादा लोगों ने शरण ली है, जहां इलाज के लिए लगभग 50 मेडिकल टीम मौजूद हैं, जो बचाव कार्यों में सहायता कर रहे हैं।
गंगा किनारे अवस्थित साहिबगंज, राजमहल और उधवा प्रखंड के सैकड़ों गांवों की आबादी गंगा नदी से घिरी हुई है। हाल के दशकों में साहिबगंज जिला कई बार बाढ़ का संकट झेल चुका है। मानसून की बारिश हर साल बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनती है, जलवायु परिवर्तन मौसम के पैटर्न को बदल रहा है और हर साल बाढ़ की विभीषिका से यहां के लोग जूझते हैं। हर साल साहिबगंज की हाईवे और रेल लाइनें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे बुरी तरह बाढ़ग्रस्त गांवों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। साथ ही लंबे समय तक व्यावसायिक गतिविधियां भी बाधित हो जाती हैं। सबसे ज्यादा बाढ़ से गंगा के उस पार रहने वाले लोग प्रभावित होते हैं। इन्हें न तो स्वास्थ्य सुविधाएं मयस्सर हो पाती हैं और न ही दो वक्त का भोजन। इतना ही नहीं, पानी के बीच रहकर भी शुद्ध पेय जल के लिए भी तरसते हैं लोग।
बता दें कि जिला प्रशासन बचाव कार्य में सहायता तो कर रहे हैं, लेकिन ये सहायता नाकाफी साबित हो रहा है। इस क्रम में साहिबगंज प्रखण्ड के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन ने बीते दिनों 1938 परिवारों के बीच राहत सामग्री का वितरण किया है। किसन प्रसाद पंचायत में 1150, सकरीगली वार्ड संख्या 15 में 307, वार्ड संख्या 17 में 320 एवं मखमलपुर दक्षिण वार्ड संख्या 13 में 206 परिवारों को चूड़ा, गुड़, मोमबत्ती व माचिस उपलब्ध कराई गई है, लेकिन ये सरकारी सहायता “ऊंट के मुंह में जीरा” वाली कहावत को ही चरितार्थ करता है।