अपर समाहर्ता राजमोहन झा पर भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप: जांच की त्वरित मांग

अपर समाहर्ता राजमोहन झा पर भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप: जांच की त्वरित मांग

जे टी न्यूज, नरपतगंज :
अररिया जिले के अपर समाहर्ता राजमोहन झा पर भ्रष्टाचार और उनके आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट और बिहार विकास युवा मोर्चा के अध्यक्ष प्रसेनजीत कृष्ण ने निगरानी विभाग से श्री झा की संपत्ति की गहन जांच करने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया है कि श्री झा अपने न्यायिक कर्तव्यों का उल्लंघन करते हुए रिश्वत लेकर फैसले सुनाते हैं, और जिन व्यक्तियों से रिश्वत नहीं मिलती, उनके मामलों को बिना सुनवाई के खारिज कर दिया जाता है।

*आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप*
प्रसेनजीत कृष्ण ने दावा किया है कि श्री राजमोहन झा ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की है, जो उनकी घोषित आय से कहीं अधिक है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “यह मामला अत्यंत गंभीर है और इसकी त्वरित जांच की आवश्यकता है, ताकि आरोपों की सत्यता स्पष्ट हो सके और दोषी व्यक्ति को कड़ी सजा मिले।” उन्होंने श्री झा के खिलाफ एक स्वतंत्र समिति गठित कर उनकी संपत्ति की जांच करने की अपील की है।

*रिश्वतखोरी और पक्षपाती निर्णयों के आरोप*
आरटीआई एक्टिविस्ट ने यह भी आरोप लगाया कि राजमोहन झा अपने न्यायिक कार्यों में भ्रष्टाचार करते हैं। उनके अनुसार, “श्री झा केवल उन मामलों में सुनवाई करते हैं, जहां रिश्वत दी जाती है। जो लोग रिश्वत नहीं देते, उनके मामलों को बिना सुनवाई के खारिज कर दिया जाता है।” उन्होंने विशेष रूप से वाद संख्या-418/2023 का उदाहरण दिया, जिसमें श्री झा ने विपक्षी को नोटिस किए जाने के बावजूद एकतरफा निर्णय लिया, क्योंकि रिश्वत नहीं दी गई थी।

इसके अलावा, उन्होंने वाद संख्या 81/2019-20 और 82/2019-20 का भी उल्लेख किया, जिनमें भ्रष्टाचार के स्पष्ट संकेत मिले हैं। प्रसेनजीत कृष्ण ने कहा, “यह सब एक स्थायी और खतरनाक पैटर्न की ओर इशारा करता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”

*न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और पक्षपाती व्यवहार*
प्रसेनजीत कृष्ण ने आरोप लगाया कि श्री झा ने अररिया जिले को “चारागाह जिला” बना दिया है, जहां केवल कुछ विशेष वकीलों के पक्ष में निर्णय सुनाए जाते हैं। “यह न्यायिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो न्यायपालिका की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचेगा,” उन्होंने कहा कि झा का पदस्थापन निवर्तमान अपर समाहर्ता अनिल कुमार ठाकुर की जगह पर हुआ है इससे पहले वे कटिहार जिले में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के रूप में कार्यरत थे।

*जांच के लिए स्वतंत्र समिति की गठन की मांग*
प्रसेनजीत कृष्ण ने निगरानी विभाग से अनुरोध किया है कि श्री राजमोहन झा के सभी निर्णयों की गहन जांच की जाए। इसके लिए एक तीन सदस्यीय स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए, ताकि उनके सभी भ्रष्टाचार और पक्षपाती निर्णयों का पर्दाफाश हो सके। उन्होंने कहा, “यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो मैं इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करूंगा।”

*प्रतिलिपि भेजी गई अधिकारियों को*
प्रसेनजीत कृष्ण ने इस आवेदन की प्रतिलिपि अररिया जिले के जिलाधिकारी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजस्व विभाग के मंत्री और सचिव को भी भेजी है। उन्होंने इन सभी से यह अपील की है कि वे श्री राजमोहन झा के खिलाफ त्वरित और निष्पक्ष जांच करवाएं, ताकि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का पर्दाफाश हो सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।

आरटीआई एक्टिविस्ट ने अपनी अपील में कहा, “यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की संपत्ति या कार्यशैली का नहीं है, बल्कि यह राज्य की न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है। अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती तो यह न केवल अररिया, बल्कि पूरे बिहार के लिए शर्मनाक होगा।”

इस बाबत जब एडीएम राजमोहन झा से उनके सरकारी चलभाष नंबर 9473191366 पर कॉल करके उनका पक्ष जानना चाहा तो वे कॉल रिसीव नहीं किए।

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