भारत का भविष्य उज्ज्वल, सामूहिक प्रयास से ही भारत विकसित और आत्मनिर्भर होगा
"सतत विकास एवं आत्मनिर्भर भारत"
भारत का भविष्य उज्ज्वल, सामूहिक प्रयास से ही भारत विकसित और आत्मनिर्भर होगा
: रविन्द्र बलियालाजे टी न्यूज़, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में भारतीय आर्थिक संघ का तीन दिवसीय 107 वाँ वार्षिक सम्मेलन “सतत विकास एवं आत्मनिर्भर तभार” विषय पर सफलतापूर्वक समापन हुआ। समापन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि हरियाणा राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री रविन्द्र बलियाला ने कहा कि कृषि और विनिर्माण क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ है और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण पायलट । वस्तुओं में उच्च गुणवत्ता के साथ उत्पादन करना होगा। तभी हम विश्व की विकसित अर्थव्यवस्था बनेंगे । कई युद्धों का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा, बाबजूद हमने प्रगति की है । कोविड-19 ने हमें चुनौती को अवसर में बदलने का पाठ सिखाया और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का प्रेरित किया । रक्षा उपकरण का उत्पादन बढ़ाकर भारत निर्यात भी कर रहा हैं। बतौर विशिष्ट अतिथि सुल्तानपुर प्रशिक्षण केन्द्र के आईपीएस अधिकारी ब्रजेश कुमार मिश्रा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय पुरातन ग्रन्थ में भी आर्थिक प्रबंधन की विस्तार से व्याख्या की गई जो आज भी प्रासंगिक है। जिसमें कौटिल्य का अर्थशास्त्र इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आवश्यकता है वर्तमान और प्राचीन अर्थव्यवस्था प्रबंधन में सामंजस्य स्थापित कर नए स्वरूप में प्रस्तुत करने की है ।
समापन सत्र में विशेष संबोधन, मुख्य अतिथि का समापन भाषण और संयोजक प्रो. अंग्रेज सिंह राणा और स्थानीय आयोजन सचिव प्रो. अशोक कुमार चौहान ने कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा एवं भारतीय आर्थिक संघ के अध्यक्ष प्रो. तपन कुमार शांडिल्य का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के सहयोग के बिना अखिल भारतीय स्तर का यह सम्मेलन संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि भारतीय आर्थिक संघ के प्रधान सहित सभी अधिकारियों का विशेष रूप से सम्मेलन के मुख्य संयोजक डॉ अनिल कुमार ठाकुर का आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा सम्मेलन के अंतिम दिन कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ओडिशा के राज्यपाल के सलाहकार प्रो. शुक्ला मोहंती की अध्यक्षता में एनएसई आईईए वित्तीय अर्थशास्त्र व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की गई। व्याख्यान श्रृंखला को प्रो. पार्थ राय, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग मैनेजमेंट, पुणे के निदेशक द्वारा संबोधित किया गया, जिन्होंने वित्तीय अर्थशास्त्र की विकसित गतिशीलता और आत्मनिर्भर और सतत भारत के निर्माण में उनके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ में आत्मनिर्भर भारत के प्रेरक तत्व पर एक अन्य पैनल चर्चा की गई जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के मानद चेयर प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) प्रो. मनमोहन कृष्ण ने की। प्रो. गणेश कवाड़िया, प्रो. के.एस. नायर, प्रो. लखविंदर सिंह, प्रो. कन्हैया आहूजा और प्रो. बी.पी. सरथ चंद्रन सहित प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने भारत की आर्थिक लचीलापन को मजबूत करने, नवाचार को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए संस्थागत ढांचे को बढ़ाने पर बहुमूल्य विचार साझा किए। इस अवसर पर आत्मनिर्भर भारत के उत्प्रेरक विषय पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता प्रो. वीरभद्र, पूर्व कुलपति, केवम्बू विश्वविद्यालय, कर्नाटक ने की। इसके अतिरिक्त इस सत्र में प्रो. केएस नैयर, प्रो. कन्हैया आहूजा, प्रो. बीपी शरथ चन्द्रन और डॉ. शरणप्पा सैदपुर ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर व्याख्यान दिए। इस सम्मेलन में आईईए के अध्यक्ष प्रो. तपन कुमार शांडिल्य और देश भर के प्रतिष्ठित कुलपतियों जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।
सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी की याद में एक विशेष स्मृति व्याख्यान आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता भारतीय आर्थिक संघ के प्रेसिडेंट प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य ने की. स्मृति व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर मनोहर कृष्ण, चेयर प्रोफेसर नीति आयोग ने भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उत्थान में डॉ मनमोहन सिंह की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बतौर एक अर्थशास्त्री के रूप में उनकी कार्यशैली पर प्रकाश डाला और कहा कि डॉ सिंह सुधारों के पुरोधा थे।