जमीन स्वामित्व को ले आर्यसमाजी और राम जानकी मंदिर समर्थक आमने-सामने
जमीन स्वामित्व को ले आर्यसमाजी और राम जानकी मंदिर समर्थक आमने-सामने
जे टी न्यूज, मधुबनी:खजौली प्रखंड क्षेत्र के छापराढी गाँव के वार्ड नम्बर एक मे स्थित मंदिर एवं मन्दिर की जगह को लेकर ग्रामीणों की अलग अलग बाते सामने उभरकर आ रही है मन्दिर परिसर में दर्जनों ग्रामीणों द्वारा बतलाया गया कि उक्त स्थल रामजानकी मन्दिर के नाम है एवं मन्दिर के नाम की जगह है तो कुछ लोगो का कहना है कि यह आर्यसमाज का मन्दिर है ।दोनो पक्षो के लोगो द्वारा अलग अलग कागजातों की बात करते नजर आए ।
मन्दिर का इतिहास इस प्रकार स्थानीय लोगो के अनुसार है ,मन्दिर परिसर की कुल जगह बाईस कट्ठा चार धुर एवं मन्दिर के ही नाम से एक और जगह दस कट्ठा पन्द्रह धुर है ।उक्त जगह स्व0 सरयू दास महराज द्वारा जमीन की खरीदारी एवं मन्दिर का निर्माण कराया गया था ।महराज जी के मरणोपरांत महराज किसुन दास के द्वारा मन्दिर की देखभाल एवं मन्दिर परिसर जगह में शीशो का पेड़ लगाया गया था ,किसुन दास के मरणोपरांत समाज के द्वारा ठाकाई यादव उर्फ राम टहल को मन्दिर में पूजा एवं देखरेख के लिए रखा गया ।
मन्दिर परिसर में आये व्यक्ति महेंद्र यादव, उपेंद्र राम ,विशुनदेव यादव ,कपिलेश्वर यादव का कहना है कि इस जगह में आर्यसमाज कीभी है एवं आर्यसमाज द्वारा उक्त स्थल परिसर में यज्ञ शाला का निर्माण ग्रामीणों की सहयोग से लगभग 10 लाख रुपैया स्टीमेट से कराया जा रहा था, अब तक 4 लाख रुपया खर्च कर चुके है लेकिन कुछ लोगो के द्वारा जबरन कार्य को रोक दिया गया एवं मन्दिर का निर्माण कराया जा रहा है आर्यसमाज का पोस्टर भी लगा हुआ था हमलोगों के द्वारा शुरू से ही उक्त स्थल पर आर्य समाज के द्वारा पूजा पाठ करते आ रहे है और भक्तों का आना जाना लगा रहता है एवं मन्दिर से सम्बंधित कागजात है ।वही उपेंद्र राम ने बतलाया कि मंदिर परिसर में सांसद बीरेंद्र चौधरी के ऐच्छिक कोष से लगभग 08 लाख की प्राकलन राशि से सामुदायिक भवन का निर्माण वर्ष 2018 कराया गया है ,और सामुदायिक भवन के बगल में पुराना मन्दिर आज भी विराजमान है ।
कपिलेश्वर यादव,शिव शंकर यादव ,विशेश्वर यादव ,यदुनन्दन यादव ने बतलाया कि लगभग 100 वर्ष पूर्व सरयुग दास जी द्वारा चन्दा कर रामजानकी मन्दिर का निर्माण 22 कट्ठा चार धुर जगह खरीदारी कर कुछ जगहों में मन्दिर का निर्माण कराया एवं उस मंदिर में अष्टधातु की प्रतिमा के साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करने के साथ मन्दिर की जगह परिसर में पोखर का निर्माण करने के साथ पेड़ पौधा को लगाया ।
सरयुग दास जी के मरणोपरांत किसुन दास द्वारा रामजानकी मन्दिर की देखभाल एवं पूजा अर्चना कर ,चन्दा एवं ग्रामीणों की सहयोग से 10 कट्ठा 15 धुर जगह की खरीदारी रामजानकी मन्दिर के नाम से खेतिहारी जगह की रजिस्ट्री कराई गई ।किसुन दास की मरणोपरांत ग्रामीणों की रजामंदी से राम टहल को मन्दिर की देखरेख एवं पूजा अर्चना के लिए रखा गया ।उसी दरम्यान कुछ दिनों बाद राम टहल उर्फ ठाकाई द्वारा अपने बेटा पलटू दास को लगभग ग्यारह कट्ठा राम जानकी मंदिर की जगह को रजिस्ट्री कर दिया गया ।वर्तमान में जहां सामुदायिक भवन का निर्माण कराया गया है उसके नीचे दो सन्तो की समाधि है और यह सामुदायिक भवन का निर्माण समाधि के ऊपर किया गया है ।आर्यसमाज के द्वारा मूर्ति पूजा को लेकर टिका टिप्पणी किया जाता है इस बात को लेकर समाजिक स्तर पर बैठक भी किया गया एवं स्थानीय थाना को भी जानकारी दिया गया और समाज के लोगो के द्वारा आवेदन पर सैकड़ो की संख्या हस्ताक्षर युक्त आवेदन प्रसाशन को भी दिया गया है ,मन्दिर परिसर में रामजानकी मन्दिर का निर्माण कराया जा रहा है जिसे रोकने का प्रयास किया जाता रहा है और आर्यसमाज के लोगो के द्वारा फर्जी रसीद का इस्तेमाल कर लोगो से चंदा की उगाही की जा रही रही है ,मौके पर कपिलेश्वर यादव,शिव शंकर यादव,विशेश्वर यादव,रोहित कुमार,सत्यनारायण यादव उर्फ सतन ,यदुनन्दन यादव,रोजा दास ,कन्हैया,अभिषेक ,नीतीश कुमार,बोधु यादव सहित अन्य ग्रामीण मौजूद थे ।