प्रदेश सरकार की शख्ती के बावजूद नहीं थम रहा कलाबाजरी

आर.के रॉय/संजीव मिश्रा

नई दिल्ली :

पंजीकृत लोगों को जरूरत भर का राशन न मिल पाने की शिकायतें आम हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय को एक बार फिर सख्त निर्देश जारी करना पड़ा है कि कालाबाजारी और जमाखोरी पर रोक लगनी चाहिए। इसके लिए अधिकारियों को राज्य सरकारों से तालमेल करके जमाखोरों और कालाबजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आदेश दिया गया है। देखना है, इसका कितना असर पड़ता है।ज्ञात हों कि लागातर शक्ति के बावजूद बिहार सहित अन्य राज्य में कालाबाजारी का सिलसिला लागातार जारी है ।

यह नया अनुभव नहीं है, जब कोई महामारी फैलती है, अकाल पड़ता, खेती पर मौसम का बुरा असर दिखता या विदेशों से किसी खाद्य सामग्री की आवक रुक जाती है, तो जमाखोर सक्रिय हो जाते हैं। वे खाद्य सामग्री को गोदामों में रोक कर रख लेते हैं। इस तरह बाजार में उनकी कीमतें मनमाने ढंग से बढ़ने लगती हैं। खाद्य तेल, प्याज-टमाटर और दालों के मामले में जमाखोरों के ऐसे खेल अनेक मौकों पर देखे जा चुके हैं। हालांकि ये बात भी आज के हालात में सत्य है कि इस वक्त पूर्णबंदी होने की वजह से माल ढुलाई पर भी बुरा असर पड़ा है, जिसके चलते वस्तुएं एक से दूसरी जगहों तक सहजता से नहीं पहुंच पा रही हैं। नहीं तो फल-सब्जी जैसी वस्तुओं की उपलब्धता में कोई कमी नहीं आई है।
स्थिति यह है कि बहुत सारे किसानों को सब्जियां फेंकनी पड़ रही हैं। जाहिर है, उनकी कीमतें सामान्य दिनों से कम होनी चाहिए। पर बहुत सारी दुकानों पर इनकी कीमतें बढ़ी हुई ही मिल रही हैं। फैक्ट्री से बन कर आए आटा, चावल, दाल, डिब्बाबंद खाद्य सामग्री की कीमतें भी सामान्य दिनों से अधिक देखी जा रही हैं।

जाहिर है, इसमें कालाबाजारी और जमाखोरी हो रही है। यह संकट का समय है और इस समय लोगों को जरूरी खाद्य सामग्री नहीं मिल पाएगी, तो मुश्किलें बढ़ेंगी ही। इसलिए जमाखोरी और कालाबजारी जैसी मुनाफेखोरी की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का गृह मंत्रालय का फैसला बिल्कुल उचित है।

हालांकि किसानों और कारखानों से बाजार तक वस्तुओं की पहुंच सुगम बनाने की जरूरत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। कई राज्यों की सीमाएं बंद होने की वजह से वहां से आने वाली वस्तुओं की पहुंच बाधित हुई है। माल ढुलाई की रफ्तार पहले जैसी नहीं रह गई है, जबकि वस्तुओं की मांग में कमी नहीं आई है। इसलिए जमाखोरी और कालाबाजारी पर नकेल कसने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कैसे चीजें सहज ढंग से लोगों तक पहुंच सकें।

ऐसा न हो पाने की वजह से कहीं फल और सब्जियां सामान्य दिनों से कम दर पर मिल रही हैं, तो कई जगहों पर कई गुना अधिक कीमत पर। सरकारी राशन की दुकानों पर मनमानी की शिकायतें तो पुरानी हैं, पर ऐसे संकट के दिनों में कुछ अधिक बढ़ जाती हैं। इसलिए उनके खिलाफ कड़ाई जरूरी है। लॉक डाउन की समय सीमा खत्म होने में चार दिनों से भी कम का वक्त बचा है । ऐसे में आगे क्या आदेश जारी होगा कहना मुश्किल है किंतु स्थिति पर गौर करें तो ये अभी और आगे बढ़ाया जा सकता है । लगभग 17 दिनों का वक्त बीत चुका है बावजूद प्रदेश सरकार कालाबाजारी पर लगाम नहीं लगा पायी है । हालांकि जिलाप्रशासन लगातार प्रयास कर रही है बावजूद ये रुकने का नाम नहीं ले रही । अब यदि लॉक डाउन की अवधि और आगे बढ़ती है तो इसपर निश्चित रूप से कालाबाजारी पर रोक लगाना जरूरी होगा । इस महँगाई में मध्यम वर्ग को भारी परेसनियो से गुजरना पड़ रहा है । यही एक ऐसा वर्ग है जिसपर ना तो प्रदेश की सरकार ध्यान दे रही ना ही केंद्र सरकार। हम आशा यही करते हैं प्रदेश और केंद्र सरकार मिलकर जल्द ही कलाबाजरी पर विराम लगाएंगे ।

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