ग्रीन हाउस तकनीक एवं नियंत्रित परिस्थितिकी में किसी मौसम में हो सकता है मशरूम उत्पादन: डाॅ दयाराम, बटन मशरूम उत्पादन तकनीक प्रशिक्षण

ग्रीन हाउस तकनीक एवं नियंत्रित परिस्थितिकी में किसी मौसम में हो सकता है मशरूम उत्पादन: डाॅ दयाराम, बटन मशरूम उत्पादन तकनीक प्रशिक्षण


जेटी न्यूज।
समस्तीपुर । डाॅ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित एडवांस सेंटर फॉर मशरूम रिसर्च के परिसर में दर्जनों प्रतिभागियों को नवीनतम तकनीक से मशरूम उत्पादन का व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर मशरूम मैन डाॅ दयाराम ने बताया कि मशरूम की खेती सबसे लाभदायक कृषि व्यवसाय में से एक है। जिसे आप कम खर्च और कम जगह के साथ शुरू कर कम से कम चार से छः गुना मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में मशरूम की खेती, धीरे-धीरे लोगों के आर्थिक स्वावलंबन का भरोसेमंद वैकल्पिक साधन के रूप में स्थापति हो चुका है। उन्होंने बताया कि सफेद बटन मशरूम की बाजार में सबसे अधिक मांग है, इसलिए सबसे अधिक किसान व्यावसायिक रूप से मशरूम की खेती के लिए इस किस्म का चयन करते हैं। बटन मशरूम कम तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। लेकिन अब ग्रीन हाउस तकनीक एवं नियंत्रित अवस्था के माध्यम से यह हर जगह उगाया जा सकता है। मशरूम आधारित स्वेत क्रान्ति के जनक मशरूम मैन नाम से सुविख्यात डाॅ दयाराम ने इस दौरान प्रशिक्षुओं को बताया कि मशरूम प्रचूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, फाईबर खनिज लवण, विटामिन बी, सी व डी आदि पोषक तत्व युक्त, गुणकारी, सहज सुपाच्य एवं, स्वादिष्ट सब्जी है।

 

इसमें मौजूद फाॅलिक एसिड शरीर में नयी रक्त कोशिकाओं के बनने में मदद करती है। इसका सेवन मनुष्य के रक्तचाप, हृदयरोग, में लाभकारी होता है। उन्होंने बताया कि बटन मशरूम को उगाने के लिए कम्पोस्ट की आवश्यकता होती है। जिसे भूसा, गेहूं का चापड़, यूरिया एवं जिप्सम को एक साथ मिलाकर व सड़ाकर तैयार किया जाता है। इस मिश्रण को कई तरह की सूक्ष्मजीव रासायनिक क्रिया द्वारा कार्बनिक पदार्थों का विघटन कर कम्पोस्ट में परिवर्तित कर देते हैं। यह एक जैविक विधि है। मशरूम उगाने हेतु वानस्पतिक प्रवर्धन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। सर्वप्रथम शुद्ध कवक जाल संवर्धन बनाया जाता है और फिर उसे उबले हुये गेंहू, बाजरा, ज्वार, राई आदि के दानों पर उगाया जाता है। इस प्रकार से तैयार किये गये संवर्धन को ही मशरूम बीज या स्पॉन के नाम से जाना जाता है। खाद तैयार करना। जिस सब्सट्रेट पर बटन मशरूम उगता है, वह मुख्य रूप से पौधों के अपशिष्ट (अनाज का भूसा, गन्ना खोई आदि), लवण (यूरिया, सुपरफॉस्फेट, जिप्सम आदि), पूरक (चावल की भूसी, गेहूं की भूसी) और पानी के मिश्रण से तैयार किया जाता है। मौके पर मशरूम वैज्ञानिक डाॅ सुधानंदनी, सुभाष कुमार, मुन्नी, निशा आदि मौजूद थे।

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