कोरोना संकट में भूदान-ग्रामदान और ग्रामाभिमुख खादी विचार अत्यन्त ही प्रासंगिक हो गये हैं…।

ठाकुर वरुण कुमार।

समस्तीपुर::- भूमि क्रांति दिवस
आज ही के दिन 18 अप्रैल 1951 को विनोबा जी को हैदराबाद के तेलन्गाना के पोचमपल्ली गाँव में रामचंद्र रेड्डी ने गिरीजनों के लिये 100 एकड़ जमीन दान में दी थी। इस दान के बाद भूदान आंदोलन शुरू हुआ। विनोबा जी ने तेरह साल तीन महीने तीन दिन की भारत की पदयात्रा में 45 लाख एकड़ जमीन दान में प्राप्त की। जिसमें से 32 लाख एकड़ जमीन भूमिहीनों में बांटी गयी।
इसी भूदान में से ग्रामदान आंदोलन निकला। सारी भूमि ग्रामसभा के पास रहेगी।

प्रदेश की सरकारों ने भूदान एक्ट् और ग्रामदान एक्ट बनाये। पदयात्रा के दौरान विनोबा ने सभी धर्मग्रंथों का सार निकालकर समाज को दिया। पदयात्रा में ब्रह्मविद्या मंदिर की स्थापना की। उसकी स्थापना के बाद 10 अप्रैल 1964 को पहली बार उस आश्रम में पहुंचे।


रायपुर में 1963 को हुए सर्वोदय सम्मेलन में विनोबा ने तीन बातें कहीं। जिनका आज महत्व बढ़ गया है :
1. जब तक ग्रामदान नहीं बनेगा तब तक हम नये युग के लायक नहीं हो सकते। नया युग विश्व राष्ट्र का युग है। उसका एक न्यायालय बनेगा जिसमें दुनिया के सर्वोत्तम विद्वान होंगे। भारत उसका प्रान्त होगा, हर प्रदेश उसका जिला बनेगा, हर जिला गाँव बनेगा, हर गाँव एक परिवार बनेगा।
2. शांति सेना- जब तक हम शांति सेना व्यापक नहीं करते तब तक अहिंसा की शक्ति का दावा नहीं कर सकते। पुलिस की जरूरत न रहे।
3. ग्रामाभिमुख खादी- आज खादी को सरकार की मदद मिलती है। इससे उसकी तेजस्विता की हानि हो रही है। खादी लोक-क्रांति का वाहन होनी चाहिये। ग्रामाभिमुख खादी ही गान्धीजी की खादी है।

उक्त बातों की महत्वपूर्ण जानकारी अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति लक्ष्मीनारायणपुरी, पूसा रोड, वैनी के मंत्री धीरेंद्र कार्यी ने झंझट टाइम्स के ब्यूरो चीफ को बातचीत के दरम्यान बताई है।

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