सुना था गिरगिट रंग बदलता है कश्मीर,भाजपा और आतंकवाद आलेख–प्रभुराज नारायण राव
सुना था गिरगिट रंग बदलता है कश्मीर,भाजपा और आतंकवाद
आलेख–प्रभुराज नारायण राव
जे टी न्यूज़, बेंगलुरु : कश्मीर को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरी तरह से पाकिस्तान को दे देने की पक्षधर रहे हैं। यही कारण है कि 1998 में भारतीय जनता पार्टी की शासन व्यवस्था होने के बाद आजादी के समय राजा हरि सिंह और शेख अब्दुल्ला से भारत सरकार के एग्रीमेंट और कुछ शर्तों को मानते हुए कश्मीर को भारत में शामिल किया जाना।जिसमें धारा 370 ज्यादा महत्वपूर्ण था ।भारतीय जनता पार्टी को कभी भी राश नही आया। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में जब जब केंद्र की सरकारें बनी है। तब तब कश्मीर में आतंकवादी कार्रवाई होते रहे रहे हैं।जब 1998 में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश में बनी, तो कश्मीर में आतंकवादियों ने अपने हवाई जहाज को हाईजैक कर लिया और उस हवाई जहाज को अफगानिस्तान के कंधार में ले जाने को मजबूर कर दिया ।अटल बिहारी वाजपेई की सरकार किंग कर्तव्य विमूढ़ता की स्थिति में बनी रही और कोई भी कार्रवाई आतंकवादियों के समक्ष समर्पण के शिवाय नहीं कर पायी। जब 1999 में कारगिल के हमारे बंकरों में पाकिस्तानी सेना अपनी स्थायी ठहराव बना लिया।
तो पाकिस्तान की सेना को अपने ही बंकरों से हटाने में और उन बकरों पर कब्जा पाने में लगभग 10 हजार सेना की कुर्बानियां देनी पड़ी थी और शर्म से डूब कर मर जाने की स्थिति को भाजपा ने कारगिल विजय का डंका बजाने का काम पूरे देश में किया था।
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आरडीएक्स से सैनिकों पर हमला हुआ जिसमें 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे ।उसकी जांच रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई ।यह जवाबदेही केंद्र सरकार की नहीं तो और किसकी है। जब सैनिकों को कश्मीर पहुंचाने के लिए हवाई जहाज की मांग की गई ।तो उन्हें हवाई जहाज क्यों नहीं उपलब्ध कराया गया और सड़क के रास्ते से पचासों गाड़ियां सैनिकों की श्रीनगर की तरफ जा रही थी ।तो उसमें आरडीएक्स से भरा गाड़ी उसके अंदर कैसे घुस गई। इसका भी कोई जवाब केंद्र सरकार को ही देनी थी। जब सेना द्वारा पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया गया तो इसका प्रचार प्रसार बड़े ही जोर से अपने गोदी मीडिया के सहारे पूरे देश में कराया गया। जिस पर संदेह की उंगलियां उठती रही। लेकिन उसका भी कोई प्रमाण केंद्र सरकार नहीं दे सकी। जब अभी अभी पहलगाम में हजारों पर्यटकों पर आतंक वादियों द्वारा हमले किए गए, जिसमें 25 से ज्यादा लोग मारे गए ,दर्जनों घायल हुए। उस समय पर्यटकों की सुरक्षा की जवाबदेही केंद्र सरकार की नहीं तो और किसकी थी। तीन दिन पहले उस मिनी स्विट्ज़रलैंड के एरिया से सैनिकों को क्यों हटा लिया गया और जिस दिन पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादी हमले होते हैं ।
उस दिन हमारे प्रधानमंत्री बिहार में चुनावी दौरे कर रहे हैं ।ठीक उसी तरीके से जिस तरीके से पुलवामा सैनिक हमले के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना शूटिंग करवा रहे थे ।सूचना मिलने के बाद भी उस पर कोई ध्यान नहीं दिया ।इसी तरह बिहार से पाकिस्तान को ललकारने का काम प्रधानमंत्री ने जरूर किया। लेकिन मारे गए पर्यटकों के परिवारों से मिलने या चूक के कारण को बताने की कोई जरूरत नहीं समझी।
पर्यटकों के बचाव कार्य में अपनी जान देने वाले या जान की बाजी लगाकर पर्यटकों को बचाने में लगे कश्मीरियों के लिए दो शब्द भी प्रधानमंत्री के मुंह से नहीं निकले।लेकिन मुसलमानों के खिलाफ आग उगलने में कोई कमी नहीं किए।जबकि पूरा विपक्ष आपकी कार्रवाई के साथ एकजुट खड़ा रहा ।तो आपने कौन सी कारवाई की।हां उत्तरप्रदेश या देश में आपके अंधभक्तों द्वारा लगातार मुसलमानों पर हमले किए जा रहे हैं।
दुष्यंत की एक शेर याद आ रही है कि –*मत कहो आकाश में कोहरा घना है। यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।
आज जब सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं।तो आपके आई टी क्षेत्र के या सोशल मीडिया के लोग जो गाली देने में मास्टर डिग्री लिए हुए हैं।उन्हीं शब्दों से सवाल करने वालों को नवाज रहे हैं।क्या देश में अब लोकतंत्र नहीं रहा।