सीटू ने देश भर में मनाया मई दिवस

आलेख –प्रभुराज नारायण राव

सीटू ने देश भर में मनाया मई दिवस / आलेख –प्रभुराज नारायण राव जे टी न्यूज, बेंगलुरु: अंतरराष्ट्रीय मई दिवस के उपलक्ष्य पर आज पूरे देश में सीटू कार्यालय पर झंडा फहरा कर मई दिवस मनाया जा रहा है। वैसे तो मई दिवस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े ही धूमधाम से तथा मजदूरों का एक महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में मनाया जाता है ।आज ही के दिन 139 साल पहले 1886 में अमेरिका के शिकागो में मजदूरों ने 8 घंटे काम करने के अधिकार के लिए सड़क पर उतरे थे। वह 8 घंटे काम का अधिकार चाहते थे।उस समय मजदूरों से 15 घंटे काम लिया जाता था । वे आम आदमी की श्रेणी में मजदूरों को भी शामिल करना चाहते थे।इसलिए मजदूरों ने मांग किया कि हमें 8 घंटा काम 8 घंटा आराम तथा 8 घंटा अपने कार्यों के लिए चाहिए।जिनको गुलाम के रूप में साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। अपने अधिकार के लिए जब वह 4 मई को शिकागो के हेमकार्ट में सड़कों पर निकले तो उन पर गोलियां चलाई गई 4 मजदूरों को अमेरिकी साम्राज्यवाद की पुलिस द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन मजदूरों का आक्रोश और उनके अंदर का जुनून गोली लगने से सड़क पर गिरे हुए खून से लथपथ उनके कपड़ों को फाड़ कर हाथ में लहराते हुए आगे बढ़ने लगा।जब उसे गोली लगी तो उसके खून से रंगे चिथड़े को झण्डा बनाकर मजदूर आगे बढ़ने लगे।देखते देखते 5 मजदूर शहीद हो गए।
वहीं से मजदूरों के खून से रंगे हुए लाल झंडे की उत्पति हुईं और 8 घंटा काम के अधिकार के लिए लाल झंडा लेकर पूरे अमेरिका में हीं न केवल मजदूरों का आंदोलन फैल गया।बल्कि दुनिया के सभी देशों के मजदूर अपनी शहादत और अपने संघर्ष के ताकत पर 8 घंटे काम का अधिकार लिया।
आज एक बार फिर दुनिया भर के साम्राज्यवादी तथा पूंजीवादी देशों द्वारा 12 घंटे 14 घंटे काम करने का दबाव मजदूरों पर दिया जा रहा है।इतना ही नहीं अब तो ठेका मजदूर के रूप में मजदूरों से मामूली पैसों पर काम लिया जा रहा है।महिला कामगारों आशा,आंगनवाड़ी,रसोईया जैसे स्कीम वर्कर्स के रुप में उनका शोषण किया जा रहा है।इस तरह सरकार और निजी क्षेत्रों द्वारा लूट की मुहिम जारी है।इसका मुकाबला करने की जिम्मेदारी आज के मजदूर वर्ग पर आ गया है।इसलिए एक बार फिर ऐतिहासिक संघर्षों को याद रखते हुए,जिन्होंने अपनी शहादत देकर यह अधिकार हमें दिया।उसे बचाते हुए हमारे श्रम के बदौलत हुए उत्पादन का आधा हिस्सा मजदूरों को हासिल कराने के संघर्ष को आगे बढ़ाना है।हमें अपने अधिकार से रोकने के लिए सारे श्रमिक कानूनों को छीन कर 4 श्रम संहिता के बल पर सरकार हमें रोकना चाहती है।उसे अपनी चट्टानी एकता के बल पर एक ही ढके में हमें तोड़ कर आगे
बढ़ना है। लाख साजिशों के बावजूद भी पूंजीवाद का संकट लगातार बढ़ता ही जा रहा है। बल्कि रोज-रोज उसका संकट और गहरा होता जा रहा है ।वैसे अर्थशास्त्र के विद्वान कार्ल मार्क्स ने कहा था कि पूंजीवाद अपने आप में एक संकटग्रस्त व्यवस्था है। जो निरंतर संकट को ही पैदा करता है ।पूंजीवाद को गाय के पूंछ पकड़कर बैतरणी पार कराने का रास्ता बताने वाले तथा कथित विद्वान अब विलाप कर रहे हैं कि यह अर्थव्यवस्था दीवालिएपन को कबूल करती जा रही है। यह नव उदारवाद अपने चौतरफा संकट से उबरने में असफल हो रही है ।इसके चलते जो होना था ,वही हो रहा है ।बेतहाशा गरीबी बढ़ रही है ।पूरी दुनिया में असमानता की खाई चौड़ी होती जा रही है। दौलत ऊंचे स्तर पर कुछ हाथों में अश्लीलता की हद तक केंद्रीकरण होता जा रहा है ।इस सब के कारण स्पष्ट उजागर होते जा रहे हैं।
मजदूर एकता जिंदाबाद। मई दिवस अमर रहे*

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