आखिर पत्रकारों के राहत के नाम पर सरकार क्यों हो जाती है खामोश?

आखिर पत्रकारों के राहत के नाम पर सरकार क्यों हो जाती है खामोश?

क्या पत्रकारों की सुध नहीं ले सकती प्रदेश सरकार ?

अभी पत्रकारों की स्थिति दयनीय

बावजूद जान जोखिम में डालकर कर रहे हैं ड्यूटी

दूसरी और पत्रकारों को टारगेट कर पीटा जा रहा

रिपब्लिक भारत के एडिटर इन चीफ व उनकी पत्नी पर हमला।

रंजीत कुमार

शेरघाटी/गया:
हम देख रहे हैं कि कोरोना योद्धाओं में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, नर्सों, हेल्थ वर्करों, सफाई कर्मियों व पुलिस कर्मचारियों के कल्याण व सुरक्षा की बहुत बात हो रही है, यह अच्छी बात है लेकिन इस महामारी से पूरे देश-दुनिया को जगाने वाले इन वीर जांबाज पत्रकारों की खोज खबर लेने वाला कोई नहीं ।

पता नहीं क्यों? आज तक किसी सरकार/ राजनैतिक पार्टी/ स्वयंसेवी संगठनों/धार्मिक संस्थाओं या उद्योगपतियों ने भी कोई सुध नहीं ली है। जबकि ये लोग अपने आप को हाईलाइट करवाने के लिए  पत्रकारों के मुरीद माने जाते हैं।

कोरोना वर्ल्ड वार की पल-पल की खबरें/अपडेट देने में सबसे आगे पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।दुनिया को खबरों से रोशन करने वाले हमारे पत्रकार बंधु स्वयं चिराग तले अंधेरे में जी रहे है।आज पत्रकार भी 20-20 घंटे ड्यूटी देता है।

वह और उसका परिवार भी कोरोना की चपेट में आ रहा है। पत्रकारों का परिवार भी भुखमरी का शिकार हो रहा है लेकिन ना तो केंद्र सरकार,ना ही दिल्ली सरकार और ना ही कोई अन्य राज्य सरकार इस ओर ध्यान दे रही है।क्यों?
मैं अपने देश की सरकारों से पूछना चाहता हूं कि क्या पत्रकार इस देश का नागरिक नहीं है?

क्या पत्रकार कोई इंसान नहीं है? क्या पत्रकारों की जान और काम का कोई महत्व या मोल नहीं है? मैंने अभी तक इस महामारी के भीषण दौर में सरकार को पत्रकारों की जान माल की रक्षा के लिए कोई जमीनी राहत पैकेज जारी करते नहीं सूना-देखा है?
वही बुधवार को रिपब्लिक भारत के एडिटर इन चीफ पर देर रात 12.15 मिनट पर हमला हुआ । उस वक्त खुद अर्णव गोस्वामी व उनकी पत्नी गाड़ी में थी । किस्मत सही रही कि वो बच गए । जहां मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है ।

वही इनपर सत्य की आवाज उठाने पर हमले भी हो रहे हैं । आखिर क्यों । हां इतना जरूर है कि प्रधानमंत्री जी ने पत्रकारों के कार्यों की मौखिक तारीफ अवश्य की है। परंतु पत्रकार को कोई सुविधा या सरकार से मदद नहीं मिली,

मैं माननीय प्रधानमंत्री जी,केंद्रीय गृहमंत्री एवं राज्यों के सभी माननीय मुख्यमंत्रियों से माँग करता हूं कि आप भी तत्काल इन पत्रकारों की सुध लें।अपने विशेषाधिकार से आपदा फंड के तहत फौरी तौर पर देश के सभी शक्रिय पत्रकारों को ₹10000/- प्रति माह के हिसाब से तुरंत इनके खाते में पैसे डलवाए साथ ही इनके परिवार को 3 महीने का राशन अग्रिम भिजवाए, 

इसके अलावा इन्हें भी फील्ड ड्यूटी हेतु सुरक्षा किट उपलब्ध कराएं और इनका भी रैपिड टेस्ट करवाएं।
बाकी मैं देश के सभी धनी और साधन संपन्न वर्ग व कॉर्पोरेट जगत से प्रार्थना करता हूं कि आप भी अपने स्तर पर पत्रकारों का ख्याल रखें।

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