नक्काशी और स्थापत्य शैली

नक्काशी और स्थापत्य शैली जे टी न्यूज़, नेपाल : खजुरी चन्हा के लक्ष्मीनारायण मंदिर की बाहरी दीवारों पर स्थानीय मिथिला कला एवं पगौड़ा‑शैली का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जाता है। हालाँकि यहाँ खजुराहो जैसी जटिल नर‑नारी, देव-देवताओं या जीव जन्तुओं की मूर्तियाँ नहीं हैं, परन्तु चबूतरे, स्तंभों और गुम्बदों पर साधारण रूप में पारंपरिक ज्यामितीय पैटर्न, फूल-मोटिफ, आर्किट और गिल्डिंग जैसी नक्काशी की जाती रही है।
खजुराहो के मन्दिरों (१०वीं–१२वीं सदी, चंदेल वंश) की तरह यहां अधिकांश नक्काशियाँ लाल चूना एवं पत्थर पर हैं, लेकिन ये विधिविधानुसार और प्रतीकात्मक संरचना पर आधारित हैं; खजुराहो के मंदिरों जैसी मानव‑केंद्रित कहानियां और स्केच देखने को दुर्लभ हैं। यानी: यहाँ नक्काशियाँ तो हैं, लेकिन खजुराहो की प्रस्तुति और जटिलता नहीं।                                                  –📜 तिथियों की तुलना

जानकी मंदिर, जनकपुर

यह मंदिर 1896–1911 की अवधि में बनी होती है (1910 ई में पूर्ण) ।

इसे टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुमारी ने नौ लाख रुपये (नौलखा) में बनवाया; इसमें मिक्स हिंदू‑राजपूत और मुगल स्थापत्य शामिल है ।

जनकपुर धाम में राम-सीता विवाह मंडप भी वहीं संरक्षित है ।

खजुरी चन्हा लक्ष्मीनारायण मंदिर

स्थानीय मान्यताओं और पुरातात्विक अवशेषों (जैसे लिच्छवि और गुप्तकालीन पत्थर लिपि) से यह मंदिर कम से कम 800–1000 वर्ष पुराना माना जाता है, यानी 10वीं–11वीं सदी से स्थापित ।

खजुरी चन्हा मिथिला क्षेत्र गुप्त-लिच्छवि काल का हिस्सा रहा है। जनकपुर के चारों ओर इकट्ठी गई पुरानी मूर्तियाँ व शिलालेख इसे प्रमाणित करते हैं।

🔁 कौन मंदिर पहले बना?

खजुरी चन्हा का लक्ष्मीनारायण मंदिर — शिल्प एवं पुरातात्विक सबूतों के आधार पर — जनकपुर जानकी मंदिर से बहुत पहले का है (अधिकतम 800–1000 साल पुराना)।

जबकि जनकपुर जानकी मंदिर आधुनिककालीन (1896‑1911) निर्माण है, और मिथिला का सांस्कृतिक पुनरुत्थान दिखाता है ।

🧭 विवरण और तुलना सार

विशेषता खजुरी चन्हा लक्ष्मीनारायण मंदिर जनकपुर जानकी मंदिर

निर्माण काल ≈ 10वीं–11वीं सदी (गुप्त‑लिच्छवि) 1896–1911 (नौलखा)
स्थापत्य शैली स्थानीय मिथिला + नेपाली पगौड़ा हिंदू‑राजपूत + मुगल
नक्काशी ज्यामितीय, साधारण प्रतीकात्मक काम भव्य संगमरमर, स्तंभ, रंगीन कांच
संस्कृति/स्थिति लिथिक स्थापत्य, पुरातात्विक केंद्र तीर्थस्थल, विवाह मंडप संरक्षित

—🎯 निष्कर्ष

1. नक्काशीशैली
खजुरी चन्हा मंदिर पर निष्कर्षत: खजुराहो जितनी भव्य नक्काशी नहीं है, पर यह पारंपरिक मिथिला शिल्प के अनुरूप है। इसका विवरण खजुराहो से सरल, स्थानीय स्तर पर प्रतीकात्मक है।

2. निर्माण तिथि
पुरातात्विक साक्ष्यों द्वारा यह मंदिर जनकपुर जानकी मंदिर से कम से कम कुछ सदियां—हो सकता है 800–1000 वर्ष पहले बना माना जाता है। तथ्य यह है कि जनकपुर का वर्तमान प्रसिद्ध जानकी मंदिर नववीं सदी का है, जबकि खजुरी चन्हा का मंदिर मध्ययुगीन काल का मेल दिखाता है।

इसलिए, हाँ, खजुरी चन्हा का लक्ष्मीनारायण मंदिर जनकपुर जानकी मंदिर से पहले का और एक पुरातन निर्माण है, जिसमें स्थानीय मिथिला स्थापत्य व पारंपरिक नक्काशी की एक सुसंस्कृत झलक मिलती है—हालाँकि इसकी शिल्पीता खजुराहो के बिल्कुल समकक्ष नहीं परन्तु महत्वपूर्ण सांस्कृतिक मंडल का प्रतिनिधित्व करती है।

💡 संदर्भ

जानकी मंदिर निर्माण (1896–1911), नक्काशीशैली, राजपूत‑मुगल मिश्रण ।

जनकपुर में पुरातात्विक साक्ष्य का अभाव लेकिन मंदिर तारीख स्पष्ट ।

खजुरी चन्हा क्षेत्र में गुप्त‑लिच्छवि उपस्थिति और पुरातात्विक अवशेष ।

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