बच्चों में साहित्य की समझ के लिए मनाया गया पावस महोत्सवबच्चों में साहित्य की समझ के लिए मनाया गया पावस महोत्सव

परंपरा और संस्कृति का उल्लास पूर्वक किया गया प्रदर्शन

जेटी न्यूज़
पूसा/ समस्तीपुर
उच्च माध्यमिक विद्यालय दिघरा में शनिवार को पढ़ाने की अनोखी शैली को कक्षा कक्ष से बाहर प्रांगण में देखने को मिला। वहां हिंदी साहित्य के ज्ञान को विस्तारित करने के लिए इंटरमीडिएट कक्षा के विद्यालय अध्यापक मुकेश कुमार मृदुल खुले प्रांगण में वर्ग नवम् से बारहवीं तक के बच्चों के साथ पावस महोत्सव मना रहे थे। इस महोत्सव में बच्चों ने वर्षा से संबंधित लोकसाहित्य से लेकर आधुनिक साहित्य के रचनाओं का वाचन और श्रवण किये। साथ ही पावस से जुड़ी संस्कृति और पंरपराओं का प्रदर्शन उल्लास पूर्वक करके जानकारियां बटोरी।

कार्यक्रम में बच्चों ने स्वयं को पारंपरिक परिधान में सुसज्जित कर उत्सााह के साथ मेघ वंदना, बरखा-पूजन, अनावृष्टि व अतिवृष्टि निदान के विभिन्न क्रियाकलाप किये। विद्यालय अध्यापक मुकेश कुमार मृदुल ने छात्र -छात्राओं द्वारा वाचन किये गये पावस से संबंधित विद्यापति, केशव, घनानंद, मीराबाई, सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, श्रीपति, कृष्ण भारतीय समेत क्षेत्रीय कवियों की दर्जनों रचनाओं के अर्थ एवं जीवन में पावस के विभिन्न आयामों के बारे में विस्तार से बताया।

    कार्यक्रम करते बच्चे

उन्होंने कहा कि पाठ्य सहगामी क्रिया के अंतर्गत हिंदी साहित्य के शिक्षण को सहज व आनंददायी बनाने के लिए यह क्रियात्मक शैली अपनायी गयी है। यह महोत्सव वर्ग नवम् के पाठ – ‘पधारो म्हारे देश में’, वर्ग दशम् के पाठ – मो अंसुवानिहिं लै बरसों, वर्ग ग्यारह के पाठ – ‘उतरी स्वप्न परी’ और पृथ्वी तथा वर्ग बारह के पाठ – ‘उषा’ के ज्ञान के विस्तार के लिए किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाध्यापक मंडल राय ने दीप प्रज्वलित कर कहा कि यह आायोजन बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। कार्यक्रम में विभिन्न भूमिकाओं को रत्ना रानी, सताक्षी प्रभा, काजल कुमारी, दीपरंजन कुमार, अंकित कुमार, छोटी कुमारी, बिंदिया कुमारी, खुशबू कुमारी, पल्लवी कुमारी, मो गुफरान, सन्नी कुमार आदि ने निभाये। विद्यालय के शिक्षकों ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोगी रहे।

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