आखिर क्यों भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मौन है नीतीश सरकार ?
*प्रशांत किशोर द्वारा मंत्रियों पर लगाए आरोप यदि सत्य हैं, जिसकी संभावना प्रबल है फिर तो नीतीश सरकार राजद सरकार से भी अधिक भ्रष्ट और लुटेरी है।*
आखिर क्यों भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मौन है नीतीश सरकार ?
*प्रशांत किशोर द्वारा मंत्रियों पर लगाए आरोप यदि सत्य हैं, जिसकी संभावना प्रबल है फिर तो नीतीश सरकार राजद सरकार से भी अधिक भ्रष्ट और लुटेरी है।*

जेटीन्यूज़
पटना : बीते दिनों प्रशांत किशोर द्वारा सत्ताधारी दलों के प्रमुख नेताओं पर जो आरोप लगाए हैं,यदि वो सत्य हैं,जिसकी संभावना प्रबल है तो फिर तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार राजद की सरकार से भी अधिक भ्रष्ट और लुटेरी है। जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर की बातों पर भरोसा करें तो ऐसा लग रहा है कि लालू प्रसाद यादव और रबड़ी देवी के नेतृत्व वाली सरकार से नीतीश सरकार प्रतियोगिता कर रही है कि बिहार को कौन अधिक से अधिक लूट सकता है.ऐसा लग रहा है मानो नीतीश सरकार के मंत्री ये दिखा रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव की सरकार क्या गुंडई और भ्रष्टाचार करेगी जो हम कर सकते हैं.भाजपा के प्रमुख नेता उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी पर हत्या के आरोप,नाम में छेड़छाड़ और शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं,प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर एक मेडिकल कॉलेज पर जबरन कब्जा जमाने का आरोप है,वरिष्ठ भाजपा नेता संजय जायसवाल पर गंभीर आरोप लगे हैं, मंगल पांडे पर विभिन्न माध्यमों से कमीशन खोड़ी के आरोप हैं तो नीतीश कुमार के बेहद करीबी और उन्हें अपना मानस पिता बताने वाले अशोक चौधरी पर बेनामी संपत्ति बनाने के गंभीर आरोप हैं.ये तो चंद नाम हैं जो अभी सामने आए हैं और जिनके भ्रष्टाचार का प्रमाण प्रशांत किशोर ने दिखलाया है.अब इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती है कि नीतीश कुमार की सरकार के अन्य मंत्रियों ने भी अपने वरिष्ठ नेताओं से प्रेरणा लेते हुए भ्रष्टाचार की बहती गंगा में डुबकी लगाई ही होगी। आरोपी नेतागण चाहते तो पत्रकार वार्ता के माध्यम से खुद पर लगे आरोपों का जवाब दे सकते थे,लेकिन उन्होंने प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिससे ये साबित होता है कि उनके पास प्रशांत किशोर के आरोपों का कोई जवाब नहीं है और वो प्रशांत किशोर को डराकर उन्हें चुप करना चाहते हैं.वहीं दिलीप जायसवाल,मंगल पांडे और सम्राट चौधरी की बोलती बंद है.

अशोक चौधरी तो सवाल पूछे जाने पर अंग्रेजी झाड़ने लगे और बताने लगे कि उनके माता पिता ने उन्हें एमए और पीएचडी क्यों करवाई है. अब अशोक चौधरी अपनी पत्नी का नाम लेकर आरोपों से बचना चाहते हैं.बेशर्मी की हद तो देखिए कि अब तक आरोपी किसी भी नेता ने अपने पद से इस्तीफा तक नहीं दिया है। सरकार के मुखिया मौन हैं,अपने लंबे राजनैतिक जीवन में नीतीश कुमार ने जो प्रतिष्ठा कमाई थी,उसके चीथड़े उड़ रहे हैं.हद तो ये कि आरोपी नेता और मंत्री अब प्रशांत किशोर को भ्रष्ट साबित करने में लगे । आप सही हैं तो पहले खुद को सही साबित कीजिए.प्रशांत किशोर सही हैं या चोर हैं ये बाद की बात है, पहले आरोपी अपने आप को तो सही साबित करें।अब ये क्या बात हुई कि किसी व्यक्ति का नाम हर चुनाव में अलग अलग है,उम्र चमत्कारिक रूप से बढ़ता घटता है और शैक्षणिक योग्यता की तो पूछिए ही मत।

प्रशांत किशोर की मानें तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार राजद की सरकार से भी अधिक भ्रष्ट है। राजद की सरकार में अपराध भले इससे अधिक था लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में नीतीश कुमार की सरकार आगे है । पीके ने ये भी कहा है कि अभी तो शुरुआत है,भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की लंबी सूची उनके पास है.नीतीश कुमार को अपना मानस पिता बताने वाले ये वही अशोक चौधरी हैं जो कांग्रेस की सरकार में भी मंत्री हुआ करते थे और सत्ता सुख भोगने जदयू में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसा जीतने और उनके अधिक से अधिक करीब होने के लिए उन्हें अपना मानस पिता बताया।

बेटी को लोजपा से टिकट दिलवाकर सांसद बना दिया और सम्पत्ति कितनी बनाई ये तो निष्पक्ष जांच के बाद ही पता चलेगा। वर्तमान उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी राजद की सरकार में मंत्री हुआ करते थे। पीके इन लोगों को ऐसे ही सर्वदलीय नेता नहीं कहते,ये वो लोग हैं जिन्हें जहां पंगत नजर आती है,वहीं आसन जमा लेते हैं.ये अशोक चौधरी और सम्राट चौधरी ऐसे नेता हैं,जिनमें जनसेवक की छवि कभी नजर ही नहीं आती। अशोक चौधरी तो खुलेआम मंच से जनता को बेइज्जत करते नजर आए हैं,यहां तक कि इन्होंने पत्रकार को भी सवाल पूछने पर अपमानित किया तो वहीं सम्राट चौधरी पर अहंकार का ऐसा नशा छाया रहता है कि उन्होंने सदन में अध्यक्ष को भी अपमानित करने में संकोच नहीं किया। ताज्जुब की बात है कि सरकार के मुखिया मौन हैं, ताज्जुब की बात है कि गंभीर आरोपों के बाद भी एनडीए के घटक दलों के नीति निर्माताओं ने चुप्पी साध रखी है,ताज्जुब की बात है कि सभी अपने अपने पद पर बने हुए हैं.

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अपने राजनैतिक जीवन में नीतीश कुमार ने जो प्रतिष्ठा अर्जित की,वो काफी कम राजनीतिज्ञों को हासिल है। एक सांसद के रूप में नीतीश कुमार ने संसद की गरिमा बढ़ाई,केन्द्रीय मंत्री रहते सरकार की गरिमा में चार चाँद लगाया तो मुख्यमंत्री बनते ही नीतीश कुमार ने बिहार को अपराध मुक्त कर निराश बिहारियों को राह दिखाई। एक वक्त था जब नीतीश कुमार भरोसे का प्रतीक हुआ करते थे लेकिन अफसोस,अब उनका भी एतबार न रहा। पीके की बातों को सुनकर तो लगता है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है। कहीं ऐसा न हो कि नितीश कुमार के नेतृत्व वाली इस सरकार का नाम बिहार के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार के रूप में दर्ज हो जाए।

अब आखिर किस मुँह से एनडीए नेता राजद की सरकार पर उंगली उठा सकते हैं,जबकि उनकी भी सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी है। दोनों सरकार एक ही थैले के चट्टे बट्टे नजर आते हैं ,बरहाल देखना यह है कि नीतीश बाबू अपने मंत्रियों के साथ क्या कारवाई करते है अन्यथा विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा सरकार को उठाना ही होगा।

