सीयूएसबी में “एनईपी 2020: भूगोल विषय में आदर्श पाठ्यक्रम एवं विषयवस्तु” विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

सीयूएसबी में “एनईपी 2020: भूगोल विषय में आदर्श पाठ्यक्रम एवं विषयवस्तु” विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न

जे टी न्यूज़, गया : दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय सीयूएसबी में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: भूगोल विषय में आदर्श पाठ्यक्रम एवं विषयवस्तु” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सोमवार (11 दिसंबर, 2023) को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है | जन संपर्क पदाधिकारी पीआरओ ने बताया कि कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में कार्यशाला को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएसएसआर, नई दिल्ली के सहयोग से सीयूएसबी और विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया है । दो दिनों तक कार्यशाला में देश के महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय एवं संस्थाओं के प्राध्यापकों एवं निदेशकों के द्वारा चार पैनल चर्चा सत्रों में भूगोल विषय के पाठ्यक्रम को राष्ट्रिय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय प्राचीन शिक्षा एवं नए अन्वेषण जैसे समायोजन कर भूगोल एवं तकनीक में बदलाव पर चर्चा की गई है।पहले तकनीकी सत्र में प्रो. कौशल कुमार शर्मा, डीन सोशल साइंस, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने कहा कि भूगोल का अध्ययन प्राचीन काल से ही भारत में किया जाता रहा है। आज मैकाले शिक्षा पद्धति ने हमे बिल्कुल ग्रामीण समाज से वंचित कर दिया है। वर्तमान में हमें भारत की विविधताओ को समझ कर गांव की जीवन पद्धति को भूगोल विषय के पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत है। इस सत्र में प्रो. शिव मुन्नी यादव, प्रो. कमल, प्रो. वीरेंद्र कुमार ने पैनल चर्चा में मंच के माध्यम से भारतीय ज्ञान को वर्तमान में भूगोल के पाठ्यक्रम में भारतीय आधारित समाज को जोड़ कर एक सूत्र में प्रादेशिक स्थानिक विश्लेषण की आवश्यकता है।दुसरे तकनीकी सत्र में प्रो. विशाम्बर नाथ शर्मा ने स्थानिक विश्लेषण तथा तकनीक को पुराने प्राचीन तकनीक से जोड़ कर भारतीय ज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल कर वर्तमान की शिक्षा में बदलाव की जरूरत पर बल दिया है। प्रो. नरेंद्र कुमार राणा, प्रो. संजय कुमार सिंह और प्रो. सचिदानंद पांडेय ने प्रतिभागियों का धन्याकर्षित करते हुए विषय पर अपने विचार साझा किए हैं |

तीसरे तकनीकी सत्र के विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. विनोद कुमार सिंह, प्रो. रवि नारायण कॉर, प्रो. अरुण कुमार सिंह एवं प्रो. यमानुर वेंकट कृष्णा शामिल थे।समापन सत्र के मुख्य अतिथि विद्या भारती उच्च संस्थान के संगठनात्मक सचिव के. एन. रघुनंदन ने भारतीय संस्कृति पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था जनजाति समुदाय को मुख्यधारा में लाने की बात करती है | आज शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति की पद्धति को रखने की जरूरत है।कार्यशाला के समापन सत्र में कार्यशाला में हुए सभी सत्रों की रिपोर्ट को प्रो. किरण कुमारी ने प्रस्तुत किया है। कार्यशाला के निदेशक प्रो। रवि कांत ने अध्यक्षीय उद्धबोदन में कहा कि भारतीय परम्परागत ज्ञान के प्रचार एवं प्रसार के लिए हमें और अधिक अग्रणीय कदम बढ़ाने होंगे क्योंकि आज भी सेज जैसे जरलन में छपे षोध पत्रों को अधिक महत्व दिया जाता है। राष्ट्रीय कार्यशाला के संयोजक डॉ तरुण कुमार त्यागी के धन्यवाद ज्ञापन से दो दिवसीय कार्यशाला का औपचारिक समापन हुआ है |

Pallawi kumari

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