देश भ्रष्टाचार के कीचड़ में फंसा है और वयोवृद्ध तथा अति वरिष्ठ लोग खून के आंसू बहा रहे
देश भ्रष्टाचार के कीचड़ में फंसा है और वयोवृद्ध तथा अति वरिष्ठ लोग खून के आंसू बहा रहे
जे टी न्यूज
कहने को तो इंडिया तरक्की कर रहा है, परंतु दूसरी ओर भारत तरक्क रहा है। भारत से हमारा पर्याय उन लोगों से है जो ईमानदार, निष्ठावान, सत्यवान, जन कल्याण को समर्पित सबका भला चाहने वाले, सब पर दया दिखाने वाले, सबको साथ लेकर चलने वाले है। इंडिया चालाक, लूटने वाले, भ्रष्ट, सरकारी संपदा को नुकसान पहुंचाने वाले तथा अपने घर को भरने वाले कुछ स्वार्थी तत्व से है। इनकी देखा देखी अच्छे लोग भी गलत रास्ता अपना रहे हैं, और लूट खसोट की बहती गंगा में डुबकी लगा रहे हैं।
एक वक्त था जब पड़ोसी के घर पर न होने पर उसके बच्चे न तो भूखे रहते थे न तो उन्हें किसी प्रकार का भय होता था। क्योंकि आस पड़ोस के लोग उन्हें अपने बच्चों की तरह मानते थे । आज पड़ोसी ही अपने पड़ोस के बच्चों पर बुरी नजर रखता है । एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी के आने जाने वाले रास्ते का अतिक्रमण करता है। उसकी धूप और हवा बाधित करता है और छोटी-छोटी बातों पर उसे प्रताड़ित करता है।
वयोवृद्ध और अति वरिष्ठ लोगों का जीवन पूरी तरह नष्ट हो चुका है। उनके जीवन भर की कमाई चंद मिनटों में लूट ली जाती है। अनेकों ऐसे वरिष्ठ लोग मिलेंगे जो अकेले रहते हैं जिनके लिए दूध, सब्जी और अन्य वस्तुएं लाना मुश्किल है। अस्पताल में जाकर अपनी चिकित्सा कराना असंभव है। ऐसा कोई भी व्यक्ति नजर नहीं आता जो उनकी छोटी-छोटी चीजों में सहायता करे। मैं यह बात अपने अनुभव से कह सकता हूं कि अगर कुछ दो-चार व्यक्ति मेरे जीवन में न आते तो मैं कब का प्राण त्याग चुका होता। अक्सर ऐसे अनेक लोग मिलते हैं जिनका अपना कोई उनके साथ नहीं होता है। पुलिस प्रशासन, राजनेताओं आदि का क्या कहें उन्हें हजारों पत्र लिख लें न तो उनका कोई उत्तर आता है न ही वह हमारी किसी समस्या का समाधान करते हैं।
दक्षिणी पूर्व दिल्ली में कालकाजी पुलिस स्टेशन है इसके अंतर्गत आने वाली कॉलोनी में अनेकों वरिष्ठ लोग रहते हैं जो दिन रात खून के आंसू बहाते हैं।परंतु उनकी कोई भी मदद नहीं करता। अगर ये लोग देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों को पत्र याचना करते हैं तो उनके पत्र कूड़े दान में डाल दिए जाते हैं।
क्या भारत पहले भी कभी ऐसा था? भारत में बड़े बुजुर्गों का सम्मान होता था। सब लोग उनकी बात सुनते और उनके कहे अनुसार काम करते थे। आज उनको तरह-तरह से पीड़ित और प्रताड़ित किया जा रहा है।
किसी वरिष्ठ व्यक्ति की अच्छी किस्मत होगी कि उसे कोई नेक दिल व्यक्ति मिल जाता है जो उसकी मदद करता है। बल्कि सब लोग उसे लूटने के लिए आते हैं।
भारत सरकार दिल्ली पुलिस पर 11000 करोड़ से भी अधिक वार्षिक व्यय करती है। दिल्ली पुलिस में एक वरिष्ठ नागरिक सेल भी है, जो की वरिष्ठ नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए है। वहां भी सब कुछ कागजों पर चलता है।
आप देश के किसी भी सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति से अपनी व्यथा पत्र द्वारा बताइए, उसका कुछ भी समाधान नहीं होगा। बल्कि आपका पत्र कूड़े दान में डाल दिया जाएगा।
देश में भ्रष्टाचार की नीवें बहुत गहरी चली गई है। लोग भ्रष्टाचार में आकर अपने आप को श्रेष्ठ मानते हैं। एक बार चाणक्य ने कहा था कि आकाश में उड़ते पक्षी गिने जा सकते हैं परंतु सरकार में काम करते हुए भ्रष्ट कर्मचारी नहीं गिने जा सकते।
-एस आर अब्रोल,
वरिष्ठ पत्रकार
