बिना टेंडर निर्माण कार्य को लेकर डीएम व विभागीय अधिकारियों से की शिकायत

बिना टेंडर निर्माण कार्य को लेकर डीएम व विभागीय अधिकारियों से की शिकायत जे टी न्यूज, खगड़िया: जिले के समाजसेवी अभय कुमार गुड्डू ने सोमवार को जिला पदाधिकारी को लिखित आवेदन देकर भवन निर्माण विभाग कार्य प्रमंडल खगड़िया के निविदा संख्या- 03/2025-26 को रद्द करने का मांग किया। अपने आवेदन में उन्होंने कहा कि भवन निर्माण विभाग कार्य प्रबंधन खगड़िया के कार्यपालक अभियंता द्वारा निविदा संख्या 03/2025-26 प्रकाशित कराया गया है। इस निविदा के अवलोकन से ज्ञात हुआ कि इसमें वह प्रकाशन किया गया है जिसका कार्य कराया जा चुका है अथवा कार्य प्रगति पर है। जबकि निविदा जमा करने की तिथि 27 मई 2025 रखा गया है। उन्होंने आवेदन के साथ कई योजनाओं का फोटो भी जिला पदाधिकारी को दिया है। जिसमें अनुमंडल परिसर खगड़िया का निर्माणाधीन गेट, झंडा फहराने का चबूतरा, लोक सेवा अधिकार का काउंटर, परिसर सौंदर्यीकरण के नाम पर अनावश्यक कार्य, कोषागार का गेट सहित सभी कार्य का फोटो शामिल है। उन्होंने बताया कि इस तरह प्रमाणित हो चुका है कि कार्यपालक अभियंता ने बिना टेंडर प्रक्रिया संपन्न किए अपने मनमर्जी से नियम विरुद्ध काम कराया है जो अपराध है। ज्ञातव्य हो कि बीते 19 मई को भी सूचना व मानवाधिकार कार्यकर्ता मनोज कुमार मिश्रा और समाजसेवी अभय कुमार गुड्डू ने उक्त मामले को लेकर भवन निर्माण विभाग के मुख्य निगरानी अधिकारी, सचिव और मुख्य अभियंता दक्षिण को आवेदन देकर बताया उपरोक्त निविदा पूरी तरह फर्जी ओवर एस्टीमेट तथा पुराने कार्य को हीं नया दिखाकर सरकारी धन की लूट की योजना का काला प्रस्ताव है। मनमाने तरीके से ठेकेदार को चुनकर अधिकांश कार्य कराया जा चुका है। घटिया निर्माण और नियम विपरीत कार्यों को लेकर दर्ज कराई गई शिकायत के बाद आनन-फानन में निविदा निकाला गया है, जबकि अधिकांश कार्य पूरा कराया जा चुका है। कई कार्य ऐसे हैं जो आपत्तिजनक है। उन्होंने जीपीएस लोकेशन सहित फोटोग्राफ और वीडियो भी उपरोक्त अधिकारी को सौंपा और कहा कार्यपालक अभियंता भवन निर्माण प्रमंडल खगड़िया ने अपने पद और पावर का गलत उपयोग कर सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं को ठेंगा दिखाते हुए बिना टेंडर के काम कर रहे हैं और निविदा संख्या 03/25-26 के द्वारा जनता और विभाग की आंखों में धूल झुकने का काम कर रहे हैं। अधिकांश योजनाएं फर्जी और कागजी है। एस्टीमेट वास्तविक खर्च का चार गुना अधिक राशि में बनाया गया है। सामग्री की गुणवत्ता की खानापूर्ति की जाएगी। सरकारी राशि का अपव्यय और बंदरबांट स्पष्ट है। विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई है। उन्होंने उक्त मामले में त्वरित कार्रवाई करने की मांग किया था।

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