प्रगतिशील साहित्य और नागार्जुन विषयक परिचर्चा आयोजित

प्रगतिशील साहित्य और नागार्जुन विषयक परिचर्चा आयोजित

मधेपुरा (बिहार) : ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में सोमवार को प्रगतिशील साहित्य और नागार्जुन विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं विषय प्रवेश कराते हुए पीजी सेंटर, सहरसा के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप ने कहा कि नागार्जुन की रचनाधर्मिता बहुआयामी है। वे परिवार, समाज, राजनीति, धर्म और लोकतंत्र की विडंबनाओं को उद्घाटित करते हैं। वे सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक मोर्चों पर जनक्रांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं और मानवीय अस्मिता की प्रतिष्ठा करते हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि साहित्य हमारे समाज का आइना होता है। हमें नागार्जुन सहित अन्य साहित्यकारों की रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन समाज को समझने में मदद मिलती है।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता आरजेएम कॉलेज, सहरसा के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. रेणु सिंह ने कहा कि नागार्जुन एक साहित्यिक संस्था थे। उन्होंने साहित्य के सभी विधाओं में विपुल रचनाएं कीं। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, लघुकथा, बाल-साहित्य, निबंध, संस्मरण, डायरी आदि सभी विधाओं में रचनाएं की हैं। उन्होंने कहा कि अन्य अधिकांश हिंदी साहित्यकारों की तरह ही नागार्जुन का जीवन भी अभावों में बीता। इसके बावजूद उन्होंने कभी भी जनसरोकारों से मुंह नहीं मोड़ा। इसलिए उन्हें जनकवि के रूप में ख्याति मिली। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मानविकी संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कहा कि नागार्जुन मिथिला के जनपदीय रचनाकार माने जाते हैं। लेकिन उनकी रचनाओं का राष्ट्रीय महत्व है। उन्होंने कहा कि नागार्जुन कभी भी किसी प्रलोभन में नहीं फंसे। उन्होंने हमेशा अपनी रचनाओं के माध्यम से हमेशा जनता का स्वर बुलंद किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महाविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कुलपति प्रो. बी. एस. झा के निदेशानुसार महाविद्यालय में लगातार शैक्षणिक गतिविधियां होती रहती हैं। इसमें सभी शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की महती भागीदारी रहती है।

इसके पूर्व अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं डायरी भेंट कर स्वागत किया गया। विन्यास प्रकाशन, पटना से प्रकाशित डॉ. सिद्श्वर काश्यप द्वारा संपादित पुस्तक प्रेमकिरण की ग़ज़ल : विविध आयाम का लोकार्पण भी किया गया।

इस अवसर पर असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक कुमार राणा, डॉ. कुमार सौरभ, संजीव कुमार सुमन, डॉ राकेश कुमार, डॉ. मधुनंदा, डॉ. कुमार गौरव, डॉक्टर मोहम्मद जावेद अहमद, डॉ. गौरव कुमार चौधरी, डॉ. मदन मोहन कुमार, मो. नदीम अहमद अंसारी, डॉ. आशुतोष झा, डॉ. अशोक कुमार अकेला, डॉ. प्रियंका भारती, डॉ. विभीषण कुमार, संजीव सौरभ, अभिनव कुमार, सौरव कुमार चौहान आदि उपस्थित थे।

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