*बिहार के ए डी जी की निगाह में किसान एकमात्र अपराधी*
*बिहार के ए डी जी की निगाह में किसान एकमात्र अपराधी*

आलेख –प्रभुराज नारायण राव
बिहार के पुलिस उप महानिदेशक कुंदन कृष्णन द्वारा यह कहा जाना कि इस तीन माह में किसानों को कोई काम नहीं होता।इसलिए अपराध में किसानों की संलिप्तता रहती है।यह आरोप उन पर लगा रहे हैं।जिन्हें अन्नदाता कहा जाता है।जो अपनी गाढ़ी कमाई से देश को भोजन देते हैं।उस भोजन लेने वालों में कुंदन कृष्णन नाम भी एक हैं।जो किसान जून और जुलाई में धरती की छाती को चीर कर,धरती की कोख से पानी निकाल कर धान लगाते हैं।जिन्हें धान की रोपनी के सिवाय दूसरा कुछ नजर नहीं आता। बदगुमां ,ना समझ ए डी जी की निगाह में किसानों के पास कोई काम ही नहीं दिखता।
यह सबको पता है कि किसान बड़ा ही निश्चल और स्वाभिमानी होता है ।वह छल प्रपंच से कोसों दूर रहता है ।वह बिना खाए खेतों में काम करता रहता है ।लोगों को खिलाने के लिए फसल लगाता रहता है ।कर्ज की बोझ से झुका रहता है। लेकिन वह अपने खेतों में हरियाली और धान की बाली को देखकर सारी दुखों को भूल जाता है ।आज मोदी और नीतीश कुमार की सरकार में किसानों के फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है ।किसान एम एस पी को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम की गुहार कर रहे हैं। स्वामीनाथन आयोग के अनुशंसाओं को लागू करने की मांग कर रहे हैं ।वह कृषि कर्ज से मुक्त होना चाह रहे हैं। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की डबल इंजन की सरकार उनकी एक भी नहीं सुनना चाहती है।
बल्कि किसानों की जमीनों को कॉरपोरेट और कंपनियों को देना चाहती है ।यही कारण था कि नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार ने तीन कृषि विरोधी काले कानून को लाई थी।इसके खिलाफ में दिल्ली के चारों तरफ बॉर्डर को 13 महीने तक किसानों ने घेर रखा था ।जिसमें 750 से ज्यादा किसान शहीद हो गए ।उस आंदोलन से भयभीत होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आनन फानन में किसान विरोधी तीनों काले कानून को वापस लिया था और आज भी किसानों की जमीनों को फोरलेन ,सिक्स लेन , गोदाम , कोल्ड स्टोरेज, होटल, पेट्रोल पंप आदि के नाम पर कॉरपोरेट घरानों को देने की रणनीति में लगी हुई है ।
बिहार की डबल इंजन की सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार घोर किसान विरोधी मुख्यमंत्री साबित हुए हैं। उत्तर बिहार को बाढ़ से तथा दक्षिण बिहार को सुखाड़ से बचाने की कोई योजना नहीं बनाई।बिहार के बंद पड़े सभी 20 चीनी मिलों को चालू करके रोजगार दिया जा सकता था।दूसरी तरफ किसानों को गन्ना जैसे नगदी फसल का लाभ मिलता।नीतीश सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
बिहार में बढ़ रहे अपराध का ठिकड़ा किसानों पर फोड़ने का असफल प्रयास नीतीश सरकार और उसके ए डी जी कर रहे हैं।क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार भी किसानों को अपराधी करार देने वाले ए डी जी पी कुंदन कृष्णन के मानसिक असंतुलन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
ए डी जी पी कुंदन कृष्णन के विकृत मानसिकता का जवाब बिहार के किसान निश्चय ही देंगे। मुख्यमंत्री और गृह मंत्री की डबल जिम्मेदारी रखने वाले नीतीश सरकार जो कुंदन कृष्णन के निम्न स्तरीय सोच को सही मानती है।उस किसान विरोधी सरकार को अपने मतों की मजबूत ताकत से परास्त कर एक नई किसान हितैषी सरकार को लाएंगे।


