*गांधी के हत्यारों के शासन काल में बाबा साहेब के संविधान का क्या होगा*

*गांधी के हत्यारों के शासन काल में बाबा साहेब के संविधान का क्या होगा*
आलेख–प्रभुराज नारायण राव


30 जनवरी 1948 की संध्या समय एक प्रार्थना सभा में जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को तीन गोली मारी थी। उस समय देश की आजादी मिले मात्र साढ़े पांच महीने ही हुए थे। 2 अक्टूबर 2025 गांधी जयंती और आर एस एस की स्थापना दिवस विजया दशमी एक दिन पड़ा है।इसलिए इन दोनों के बारे में कुछ कहना लाजमी हो गया है। नाथूराम गोडसे, दत्तात्रेय तथा गोपाल गोडसे तीनों सगे भाई थे।यह पुणे के रहने वाले मराठी ब्राह्मण थे ।1932 में इन तीनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ग्रहण की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन केशव बलिराम हेडगवार ने किया था। यह एक कट्टर हिंदूवादी संगठन है। इसका मकसद हिंदुओं को एक जुट कर राजसत्ता हासिल करना है । इसी रोशनी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी प्रारंभिक कार्य करती रही। वह हिंदुओं को संगठित कर देश में हिंदू राष्ट्र की स्थापना की नारा देती रही ।लेकिन ब्रिटिश हुकूमत द्वारा देश को गुलाम बनाने खिलाफ एक शब्द भी बोलना उचित नहीं समझता था।यानी कि वह हमेशा इस गुलाम देश में ब्रिटिश हुकूमत की समर्थक था। ठीक इसी तरीके से मुस्लिम लीग की स्थापना हुई ।जो इस देश में मुसलमानो का एक अलग राष्ट्र का हिमायती था। लेकिन इन दोनों कट्टरवादी धार्मिक संगठनों में मूलभूत फर्क यह थी कि मुस्लिम लीग ब्रिटिश हुकूमत को देश से भागा कर अपनी सरकार का बनाने का पक्षधर रहा ।उसके लोग अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शिरकत करते रहे।
शर्म इनको मगर नहीं आती। जो आजादी की लड़ाई के समय अंग्रेजों का साथ देते रहे ।वे आज सबसे बड़ा राष्ट्रभक्त बतलाने में नहीं अघाते । पिछले 11 साल से इस देश में संघ नियंत्रित भाजपा हुकूमत भी कर रहा है। अपने मकसद को कामयाब करने के लिए आज भी हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति ,अनेकता में एकता और हमारे देश की विशेषता को तार तार करने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ रही है। पूरे देश में नफरत का माहौल बनाने में लगे हुए हैं ।जब देश का प्रधानमंत्री आरएसएस का सदस्य नरेंद्र मोदी मुसलमानो को पंचर बनाने,कपड़ों से पहचान,आतंकवादी बतलाते रहे हैं।तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी मुसलमानों का एनकाउंटर करने तथा उनके घरों को बुलडोजर से तुड़वाने के लिए चर्चित है और बुलडोजर बाबा के नाम से जाने जा रहे हैं ।तो बिहार के अररिया के भाजपा सांसद प्रदीप सिंह के निगाह में मुसलमान को यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। तो पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसद शूवेंदु अधिकारी द्वारा यह कहना कि बंगाल की विधानसभा में एक भी मुसलमान जीत कर आएगा तो उसको बाहर फेंक दिया जाएगा। यह सारे जहरीले बोल बाबा साहब अंबेडकर की संविधान को तार तार करने की ही सुनियोजित योजना है।
भारत के विभाजन का एकमात्र जिम्मेदार महात्मा गांधी को ठहराने वाले और उनको गोली मारने वाले संघी लगातार देश का विभाजन धर्म के आधार पर करने के हिमायती रहे हैं। भारत और पाकिस्तान बनने के बाद आज भी इस देश में रह रहे मुसलमानो को देश से अलग कर हिंदू राष्ट्र की वकालत में लगे हुए हैं। यह इनकी दोगली चरित्र है और यहीं इनका वसूल भी है।
नाथूराम गोडसे को नारायण आप्टे और 6 अन्य संघीयों के निर्देश पर जिसमें नाथूराम के बड़े भाई गोपाल गोडसे भी शामिल थे। महात्मा गांधी को तीन गोली मार कर हमेशा के लिए इस जहां से विदा कर दिया। इसको संघीयों ने गांधी की हत्या की संज्ञा नहीं दी।बल्कि गांधी का बध करार दिया। यही कारण था कि गोपाल गोडसे ने गांधी का वध और मैं नामक एक किताब भी लिखी । जब 15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे को फांसी होने वाली थी तो महात्मा गांधी के दो बेटे मणिलाल गांधी और रामदास गांधी ने नाथूराम गोडसे को फांसी नहीं होने का सरकार से आग्रह भी किया था ।लेकिन तात्कालिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री वल्लभ भाई पटेल ने उनके आग्रह को ठुकरा दिया था।
नाथूराम गोडसे के अनुयायियों द्वारा आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक डाक टिकट और सिक्का जारी किया है। जिसमें भारत माता का एक काल्पनिक तस्वीर लगाकर गोडसेवादी संघीयों को इस देश का सच्चा सपूत बतलाने का भावनात्मक प्रयास किया जा रहा है। यह देश जो महात्मा गांधी का देश है। यह देश जो भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद ,अशफाक उल्ला खां ,राजेंद्र लाहिड़ी, रोशन सिंह का देश है। इस तरह के महिमा मंडन को कत्तई ज्यादा दिनों तक बर्दाश्त नहीं करेगा।
आज देश को इन दोनों के चरित्र और कार्य प्रणाली के बारे में गहन चिंतन करने की जरूरत है। आज यह विडंबना है कि केंद्र की मोदी सरकार और आर एस एस गोडसे को अपना विरासत नहीं मानते ।वे आज महात्मा गांधी का हिमायती कहलाने में लगे हुए हैं। क्योंकि यह सर्व विदित है कि संघ जो कहता है वह करता नहीं है और जो करता है वह कहता नहीं है। यहीं इसकी दोहरी नीति है और आज देश को इसके तमाम गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए तथा महात्मा गांधी के पूरे जीवन काल जो देश को आजादी दिलाने में समर्पित रहा ,के बारे में ठोस निर्णय लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।

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