शिक्षा विभाग का कश्मीर बना जिले का इकलौता वित्त रहित महिला महाविद्यालय, प्राचार्य की मनमानी में बोर्ड के निर्देश भी बेमानी

कार्यालय, जेटीन्यूज
*समस्तीपुर* :;-शिक्षा विभाग में कश्मीर बना है समस्तीपुर शहर का इकलौता वित्त रहित महिला महाविद्यालय। जी हां। हम बात कर रहे हैं शहर के स्टेशन रोड स्थित मिल्लत कस्तूरबा गांधी महिला महाविद्यालय की। जहां पुर्व के कश्मीर की तरह अपना कानून चलता है, सरकार के विज्ञप्ति की छोड़िए किसी आदेश निर्देश का भी अनुपालन ससमय व निर्देशानुसार नहीं होता।

जिसका परिणाम है कि एक तरफ 2016 तक अभिभावकों और छात्राओं की पहली पसंद रहा यह महाविद्यालय आज अपने प्राचार्य के तानाशाही के कारण अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ अपने तीन पीढ़ियों के अरमानों की चिता पर इस महाविद्यालय में योगदान कर रहे कर्मियों के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।

सरकार की सदाशयता और प्राचार्य के लापरवाही के दो पाटों में पिस रहे आर्थिक तंगी के कारण भुखमरी के शिकार हो रहे कर्मियों ने बताया कि केवल अनुदान के समय विभिन्न प्रकार के प्रलोभन या दवाब दे कर हमारा आर्थिक शोषण किया जाता है।

काफी कुरेदने के बाद जो बातें सामने आई हैं वो कलेजा निकालने वाली हैं। बताते है कि अब तक प्राप्त चार अनुदान में से मकान बनाने, बाउंड्री कराने, संबद्धता दिलाने आदि के बहाने दवाब डाल कर मोटी रकम ऐंठी जाती रही है।

2015 से पोशाक राशि छात्राओं को नहीं मिली है लेकिन आंतरिक कोष से भुगतान के नाम पर हमेशा कहा जाता है कि कोष खाली है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के विज्ञप्ति संख्या पीआर 112/2020 के आलोक में एक बार फिर जब मानदेय भुगतान का जिक्र किया गया तो प्राचार्य ने एक बार फिर पैसा नहीं होने की बात कही है।

जानकार सूत्रों के मुताबिक, सन 1984 में स्थापित इस महाविद्यालय और कर्मियों की बदहाली के इस पूरे प्रकरण में महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव सह प्राचार्य की तानाशाही के साथ साथ जिला शिक्षा पदाधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है।

माननीय उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इस महाविद्यालय के निरीक्षण का पत्र मिले दो साल गुजरने के बाद भी डीईओ के द्वारा निरीक्षण नहीं किया जाना तो इसी ओर इशारा करती है।

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