पश्चिम चम्पारण को बाढ़ग्रस्त घोषित करो – सीपीआईएम, माकपा का जिला कन्वेंशन संपन्न

पश्चिम चम्पारण को बाढ़ग्रस्त घोषित करो – सीपीआईएम,
माकपा का जिला कन्वेंशन संपन्न


बेतिया। बिहार का पश्चिम चम्पारण जिला में भारी वर्षा होने के बाद मसान , पंडई , गंडक , सीकरहना जैसी नदियों के जल स्तर में वृद्धि होने बाद पश्चिम चम्पारण में बाढ़ की विभीषिका प्रलय का रुप धारण कर लेती है । ऐसा प्रत्येक साल होता है। नेपाली नदी नारायणी का जल प्रवाह अनियंत्रित होते ही गंडक बराज को खोल दिया जाता है और शुरु हो जाती है बाढ़ का प्रलय लीला । इन नदियों के जद में हजारों गांव , लाखों लोग और मवेशी जीवन और मौत से जूझते रहते हैं । इसका स्थाई एवं वैज्ञानिक समाधान आज तक नहीं खोजा जा सका। बल्कि जिला प्रशासन एवं आपदा प्रबंधन की नियत बन गई है बाढ़ का खेल होने देने और बाढ़ पीड़ितों को बचाने के नाम पर जनता की पैसे को लूटने का। उक्त बातें सीपीआईएम नेता प्रभु नारायण राव ने अपने संबोधन में कहा। उन्होंने कहा कि एक बाढ़ और एक चुनाव किसी पदाधिकारी को मिल जाय तो वह मालामाल हो जाता है ।

क्योंकि इसका कोई जांच नहीं होता । यानी अर्डिट नहीं होता। पश्चिम चम्पारण जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग बिहार सरकार के निर्देश पर बाढ़ से मुकाबला करने को पूरी तरह तैयार बतलाता है । किन्तु सफलता कभी नहीं मिलती । इस साल यह जिला कोरोना , बाढ़ तथा लॉक डाउन के मार से जूझ रहा है । लेकिन तिहरे मार झेल रहे पश्चिम चम्पारण सहित पूरा उत्तर बिहार में सरकार की संवेदनशीलता कहीं नजर नहीं आती ।

2018 के 15 अगस्त को चनपटिया प्रखण्ड में भारी बाढ़ आ गई । जिले के सारे आवागमन बन्द हो गए थे । पहली बार थानाध्यक्ष के गोपालपुर थाना में नहीं पहुंचने पर स्वतंत्रता दिवस का झण्डा नहीं फहराया जा सका । बेतिया बड़ा रमना में मुख्य झण्डा फहराने के बाद प्रभारी मंत्री मदन सहनी के साथ जिला पदाधिकारी रामचंद्र देवढे बाढ़ का जायजा लेने चनपटिया की ओर गए । मुझे सुचना मिली कि चनपटिया अंचल के बकुलहर पंचायत के छरदवाली गांव का एक वृद्ध व्यक्ति बाढ़ की पानी में डूब रहा था । यह देख दो उत्साहित युवक उसे बचाने के लिए पानी में कूद गए ।

उस वृद्ध तक नहीं पहुंच कर आगे निकल गए और गन्ने के खेत में पहुंच कर जीवन और मौत से जूझने लगे ।पानी की रफ्तार इतनी तेज की बचाने को कोई हिम्मत न कर रहा था । मैंने जिला पदाधिकारी को फोन कर उन बच्चों को बचाने की गुहार की । उन्होंने मुझे एन डी आर एफ का नम्बर दिया । मैंने एन डी आर एफ से संपर्क साधा उन्होंने जल्द ही बचाने का आश्वासन दिया । देखते देखते 5.30 बज गए । यानी शाम होने को चला , तब बेचैन होकर जिला पदाधिकारी से बात की । उन्होंने साफ कहा कि उन दोनों बच्चों को बचा लिया गया है । आपको जानकारी नहीं है ।

मैंने छरदवाली के साथियों से कहा कि शाम होने को चला । आप लोग जितना जल्दी हो सके रस्सी की ब्यवस्था कर किसी जीवठ युवक को रस्सी एवं बांस के सहारे पानी में उतारो और उसको हिम्मत दो । जान की परवाह किए बिना वह दोनों बच्चों के पास पहुंच गया और बांस के सहारे दोनों को खींच लिया । फिर रस्सी को गांव वाले खींच कर बच्चों को तो बचा लिया । लेकिन उस वृद्ध का सड़ा हुआ लाश 4 दिन बाद मिला । जिसे किसी तरह दफनाया जा सका ।

इस साल भी बाढ़ में अबतक चनपटिया नोनेया टोली के उज्जवल कुमार सहित दर्जन भर लोग एवं मवेशी बाढ़ के चपेट में आ चुके हैं । घर छोड़ कर तटबंध पर शरण लिए लोगो के पास लगातार हो रही वर्षा में उनके सर पर छत नहीं, न पेट में दाना और न ही दूसरे गांवों में जाने का कोई रास्ता है । पीपरासी , मधुबनी , भितहा , ठकराहा उस पार के अंचल सहित बगहा -1, योगपट्टी , बैरिया , नौतन , नरकटियागंज , चनपटिया , सिकटा , मझौलिया अंचल के अधिकांश हिस्सा बाढ़ के चपेट में है । जिन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं मिल रहा है।

भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने पश्चिम चम्पारण जिला को बाढ़ग्रस्त घोषित करने के लिए 31 जुलाई को बेतिया में जिला कन्वेंशन करने का निर्णय लिया है । यह बाढ़ पीड़ितों का जिला कन्वेंशन सर्व सम्मति से निर्णय लेता है कि पश्चिम चम्पारण को बाढ़ ग्रस्त घोषित कर संबंधित सुविधाएं सबको दिया जाय । फसल हर्जाने के रुप में 30 हजार रुपए प्रति एकड़ हर्जाना दिया जाय । सभी प्रवासी एवं खेत मजदूरों को मनरेगा में काम और 500 सौ रुपए मजदूरी दिया जाय । प्रति व्यक्ति 10 किलो मुफ्त अनाज तथा प्रत्येक परिवार को 7500 रुपए सहायता दिया जाय । आयकर से बांचित सभी परिवार को राशन दिया जाय । जल जमाव से ग्रसित बेतिया को भी बाढ़ ग्रस्त प्रखण्ड की सूची में शामिल किया जाय ।

अगर जिले को बाढ़ ग्रस्त घोषित नहीं किया गया तो ऐतिहासिक दिन 9 अगस्त 1942 को गांधी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था । जिस दिन बेतिया की संघर्षमयी धरती पर 7 जांबाजों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो नारे को लगाते हुए शहादत दी थी । जिसका जीता जागता सबूत शहीद स्मारक है । जिसे हम सब 9 अगस्त को नमन करते हुए ,श्रद्धांजलि देते हुए बेतिया जिला पदाधिकारी के समक्ष जेल यात्रा प्रारंभ कर

 

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