अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के उपलक्ष्य पर अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन
जेटी न्युज
मोतिहारीlपु०च०
अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के उपलक्ष्य पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा
‘शांति अध्ययन में उभरती नवीन प्रवृत्तियां’ विषयक एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में लंदन विश्वविद्यालय के शांति एवं वैश्विक दर्शन संस्थान के निदेशक थाॅमस डेफरन, एवं अन्य वक्ता के रूप में दक्षिण अफ्रीका के वाटरलू विश्वविद्यालय के शांति शोधार्थी प्रोफेसर डेजो, यूरोप के शांति शोध की अध्यक्ष एवं इटली पॉलिटिकल साइंस एसोसिएशन की महासचिव प्रोफेसर डेनीला अरेरा, यूनाइटेड नेशंस के प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान स्विट्जरलैंड की योग व ध्यान की विशेषज्ञ हेलेना एवं ऑस्ट्रिया की एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से डॉक्टर पौला ने ई माध्यम से शिरकत की।
उन्होंने कहाँ कि शांति के व्यवस्थापक कार्यों में जैविक, पर्यावरणदृष्टि, समानता, प्रतिनिधित्व, अनुभव, सतत् , जटिलता का ज्ञान, तथा सामाजिक जागरूकता महत्वपूर्ण है । कार्यक्रम में अनेक संकाय सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर भी संदर्भ व्यक्तियों द्वारा दिया गया था।अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार की अध्यक्षता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी शांति के अंतरराष्ट्रीय अग्रदूत है। यह सौभाग्य की बात है कि वह हमारे राष्ट्रपिता है।
इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय शांति शोध एशोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल प्रोफेसर मैट मायर, अंतर्राष्ट्रीय शांति शोध एसोसिएशन काॅ सेक्रेटरी जनरल प्रोफेसर क्रिस्टीना एटन, एशिया स्पेसिफिक पीस रिसर्च एसोसिएशन काॅ सेक्रेटरी जनरल श्री नूरंयती ,लेटिन अमेरिकन पीस रिसर्च एसोसिएशन काॅ सेक्रेटरी जनरल प्रोफ़ेसर मारिया मनोज ,सामाजिक अध्ययन संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजीव कुमार, डॉ.जुगल किशोर दाधीच ,डॉ.अंबिकेश त्रिपाठी, समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार शर्मा एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनील महावर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया एवं कार्यक्रम का संचालन चौहान डॉ .अभय विक्रम सिंह चौहान ने किया। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में देश विदेश से हजारों प्रतिभागियों ने अपना पंजीयन कराया जिसमें लगभग 42 देशों के संकाय सदस्यों शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया ।