बांझपन के लिए सिर्फ महिला जिम्मेदार नहीं – डॉ मिश्रा


कार्यालय, जेटी न्यूज
समस्तीपुर। प्रत्येक दंपत्ति का यही सपना होता है कि उसके घर में बच्चों की किलकारियां गूंजे। लेकिन कुछ दंपत्ति इस सुख से वंचित रह जाते हैं, जिसका कारण इनफर्टिलिटी होता है। जिसे आम भाषा में बांझपन कहा जाता है। यह प्रायः लाइलाज नहीं है किन्तु भ्रांतियों से इस कदर लिपटी है कि इसका ससमय इलाज नहीं हो पाता है। उक्त बातें डॉ आरपी मिश्रा स्वास्थ्य सेवा ट्रस्ट के प्रेसिडेंट डॉ आरके मिश्रा ने अपने संबोधन में कही।

वे डॉ आरपी मिश्रा हॉस्पिटल परिसर में आयोजित साप्ताहिक नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर में पुरुष बांझपन पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इनफर्टिलिटी यानी बांझपन की समस्या पुरूष और महिला दोनों में होती है। डॉ मिश्रा ने कहा कि आम तौर पर बांझपन का दोष महिला को ही दिया जाता है, लेकिन इस बाबत उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि बांझपन या नि: संतानता केलिए 100 में से करीब 65 से 70 मामलों में पुरुष बांझपन जिम्मेदार होता है।

किन्तु पुरुष प्रधान मानसिकता वाले समाज में इसका जिम्मेदार पुरुष को नहीं माना जाता। उन्होंने कहा महिलाओं में दो तीन कारणों से ही बांझपन होती है जबकि में पुरुषों में बांझपन के कई कारण हैं।
पुरुष बांझपन के कारण गिनाते हुए डॉ मिश्रा ने कहा कि
वीर्य (सीमेन) में स्पर्म का न होना (एजोस्पर्मिया) बांझपन का कारण बनता है। वीर्य का स्पर्म ही एग से फर्टिलाइज होता है। वीर्य वह पौष्टिक पदार्थ है, जो स्पर्म का पोषण एवं उसको तैरने में सहायता करता है। वीर्य में स्पर्म के न होने पर एग फर्टिलाइज नहीं हो पाता है। ऐसे स्थिती को इनफर्टिलिटी कहा जाता है जो पुरूष बांझपन के कारण होती है।

वीर्य में स्पर्म की संख्या का कम होना (ओलिगोस्पर्मिया) भी पुरुष बांझपन का कारण है। किसी व्यस्क में स्पर्म की सामान्य संख्या 15 मिलियन स्पर्म सेल प्रति सीमेन होती है। इस संख्या में कमी होने पर स्पर्म की एग में प्रवेश करने की संभावना कम हो जाती है। वीर्य में स्पर्म के काम होने पर वह एग तक नहीं पहुंच ही नहीं पाता और एग फर्टिलाइज नहीं हो पाता है।


क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसे आनुवंशिक कारण भी पुरुष बंहपान का कारण होता है। इस सिंड्रोम वाले व्यक्ति में छोटे अंडाकोष (माइक्रोचरिज्म) होते हैं। वे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के पर्याप्त स्तर का उत्पादन नहीं कर सकते हैं, जो पुरूष बांझपन का कारण बनता है।
अंडकोष की नसों में वृद्धि होना (वैरिकोसेले) पुरुष बांझपन का महत्वपूर्ण कारण है। इस स्थिति में अंडकोष की नसे सूज जाती हैं, जिससे शुक्राणु (स्पर्म) को चलने में मुश्किल होती है। इससे शुक्राणु की गुणवत्ता भी कम हो जाती है। मौके पर ट्रस्ट की सेक्रेट्री डॉ कनुप्रिया मिश्रा सहित सभी स्वास्थ्य कर्मी एवं अन्य लोग मौजूद थे।

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