**आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर पुस्तक लोकार्पण सह परिचर्चा* 

 

जेटी न्यूज।

बेतिया/पश्चिमी चम्पारण:- अनुसूचित जाति-जन जाति कर्मचारी संघ, प.चम्पारण बेतिया के तत्वाधान में बौद्ध विहार, बगहा द्वारा 06दिसंबर 2020को बाबा साहेब आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर समाहरणालय स्थित प्रतिमा पर त्रिसरण पाठ, पुष्प-मालार्पण सह श्रद्धांजलि अर्पित किया गया ।

मुख्य कार्यक्रम रविदास आश्रम पिऊनी बाग बेतिया में मान्यवर जय प्रकाश ‘प्रकाश ‘रचित पुस्तक “धम्म चेतना के स्वर ” का लोकार्पण सह परिचर्चा का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता मान्यवर एस. के. मेहरा, जिला अध्यक्ष सह वरीय कोषागार पदाधिकारी नें किया । कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि राम दास बैठा , विशिष्ठ अतिथि डी. पी. चौधरी आफताब रौशन सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय सचिव मो साहेब खान और लेखक जय प्रकाश प्रकाश एवं अन्य नें संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया । मंच संचालन सुरेश राम सरस नें किया । आयोजन की भूमिका प्रस्तुत करते हुए जय प्रकाश ‘प्रकाश’ @ भीमाचार्य नें बताया कि बाबा साहेब आंबेडकर नें जिस धम्म मशाल से भारत भूमि पर बौद्ध धम्म को पुनर्स्थापित किया उस धम्म ज्योति से लोगों नें विविध मंचो, गीत संगीतो, सम्भाषणों के साथ -साथ धम्म साहित्य का संवर्धन किया, उस कड़ी में “धम्म चेतना के स्वर ” से प्रकाश नें समाज में व्याप्त अंधविश्वास, दमन पीड़ा, मानसिक गूलामी और विषमता के डंस से तड़पती जिंदगी यानी जिंदा लाश में जान फूकने का काम किया हैं ।आज के बदलते परिवेश में समाज और राष्ट्र में व्याप्त पूर्वाग्रह, द्वेष-राग और जुल्मों से निजात दिलाकर, उनमें प्रेम-सौहार्द, लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सहृदयता के साथ-साथ मानवता एवं विश्वशांति को स्थापित करने में सहायक ही नहीं जरूरत हैं “धम्म चेतना के स्वर”

पुस्तक की ।मुख्य अतिथि राम दास बैठा नें कहा कि डाँ.आंबेडकर के धाम्मिक पथ और साहित्य की उर्वर भूमि पर जय प्रकाश प्रकाश नें धम्म चेतना के स्वर को झंकृत कर मानवता के बीज को अंकुरित,पल्लवित और पुष्पित करने का नया अनुसंधान किया हैं।दीपक द्रविड़ कहा कि सामाजिक विषमता को मिटाकर समानता और स्वतंत्रता स्थापित करने का एक सहित्यिक आंदोलन का नाम हैं .धम्म चेतना के स्वर ।वहीं डा. एस. एम. होद नें बताया कि ‘धम्म चेतना के स्वर’ तथागत बुद्ध और डां. आंबेडकर के धम्म दर्शन का सार तत्व हैं। जो सुसुप्त मानवीय संवेदनाओं को जागृत कर, उस चेतना के स्वर से मानव में मानवता के सुरमयी संगीत पैदा करती हैं ।

मान्य .डा. शंभू राम नें कहा कि ऐसे साहित्यऔर परिचर्चा से मानसिक गूलामो में सामाजिक न्याय का जज्बा पैदा होता हैं जो समाज और राष्ट्रीय विकास में सहायक होता हैं ।श्यामा कान्त मेहरा नें कहा कि भगवान बुद्ध ,बाबा साहेब ,संत रविदास, संत कबीर के धम्म आदर्शों के प्रति लेखक का समर्पण तथा तमन्यता का लोक कल्याणकारी भाव झलकता हैं, जो अनुकरणीय और सराहनीय हैं ।आयोजन में महती भूमिका निभाने वालों में मान्यवर रामदास बैठा, सुरेंद्र राम, रंजीत राम, राम किशोर बैठा, उदय भानु सत्यार्थी,अनिरुद्धकृपार्थी,आफताब रौशन, मन्टू दास ,नारायण राम, रमेश राम, जितेंद्र सागर ,डा. प्रेम कुमार आदि शामिल हुए ।

धन्यवाद ज्ञापन चंद्रदेव राम अधीवक्ता नें किया।।

Website Editor :- Neha Kumari

 

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