राष्ट्रीय शिखर साहित्य महोत्सव संपन्न

समस्तीपुर से आरके राय

हमारी संस्कृति, हमारी कला, हमारा साहित्य अभी भी अगर बची हुयी है तो सिर्फ साहित्यकारों की वजह से और समस्तीपुर की भारतीय साहित्यकार संसद इसमें 55 वर्षों से अपनी भूमिकाओं का निर्वहन करती आ रही है। यह धन्यवाद की पात्र है।
उक्त बातें भारतीय साहित्यकार संसद, समस्तीपुर द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिखर साहित्य सम्मान महोत्सव के अवसर पर उद्घाटन करते हुए गांधीवादी चिंतक एवं साहित्यकार दुर्गा प्रसाद सिंह ने कही। श्री दुर्गा बाड़ी में आयोजित इस समारोह के विशिष्ट अतिथि बिहार सरकार के उद्योग विभाग के निदेशक नरेन्द्र कुमार सिन्हा भा. प्र. से. ने ऐसे आयोजनों की आवश्यकताओं पर बल डाला।
इसकी अध्यक्षता करते हुए इसके कार्यकारी अध्यक्ष मैथिली – हिन्दी के शीर्ष साहित्यकार डाॅ. नरेश कुमार विकल ने कहा कि संसद पर लगातार आघात दर आघात हो रहे हैं, फिर भी बिना किसी सरकारी अनुदान के यह संस्था अपने कर्तव्यों का निर्वहन करती आ रही है।
इस अवसर पर लगभग चार दर्जन साहित्यकारों को उनकी प्रकाशित कृतियाँ के लिए सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाले देश के विभिन्न हिस्सों से आए हुए थे।
हिन्दी, मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका, उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओं के कवियों में प्रमुख थे – डॉ. रंग नाथ दिवाकर, आकाशवाणी पटना चौपाल के बटुक भाइ, प्रदीप कुमार सिंह देव, नाशाद औरंगाबादी, डाॅ. राम पुनीत ठाकुर तरुण, कैलाश झा किंकर, पूनम सिन्हा प्रेयसी, वीणा कुमारी, डाॅ, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, गुंजन कुमारी, प्रो. अवधेश कुमार झा, रजीत गोगोई , राजवर्धन, अंजु दास, शुकदेव बौद्ध, हरिनारायण गुप्ता, डाॅ. प्रतिभा कुमारी, यमुना प्रसाद लच्छीरामका, समीर कुमार दुबे, डाॅ. विजय कुमार झा आदि।
प्रारःभ में दीप प्रज्वलन के बाद स्वागत डाॅ. अमृता ने किया। अनिता टुटेजा एवं पल्लवी श्री के नृत्य काफी आकर्षक रहे।
इस अवसर पर डॉ. अशोक कुमार सिन्हा, हरि नंदन साह, नरेंद्र कुमार सिन्हा, पूजा पुष्पांजलि, फखरुद्दीन अली जौहर, वरदान मंगलम, डाॅ सुधीर कुमार, शिवेन्द्र कुमार पाण्डेय, नरेंद्र मिश्र, कुंडु दा, राजकुमार राय आदि की प्रमुख भूमिका रही। धन्यवाद ज्ञापन संसद के प्रधान महासचिव संजय तरुण ने किया।
अतमें दो मिनट का मौन रखकर ई. योगेन्द्र पोद्दार को श्रदांजलि दी गई।

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