पत्रकारो की बदहाली की  व्यथा-कथा मै किसे सुनाओ – खबरी लाल ।


ताऊ – सुनो सुनो मेरे देश वासियो सुनो ,समाज सेवीयो सुनो देश के कर्णधारो सुनो,’कार्यपालिका ‘ विधायिका व न्यायपालिका के मेमबरानो ध्यान से सुनो ।आज से नववर्ष के पुनीत पावन – दिवस है ,क्योकि आज पुराने बीते साल को अलविदा व नुतन बर्ष2021की के स्वागत मे अपने व अपने परिजन बन्धु-वान्धवो मे शुभ कामनाएकामनाएँ व बधाई संदेश देने मे व्यस्त है । यहाँ हर कोई बीते वर्ष मे अपनी उपलब्धियाँ व अपमूल्यन के आँकलन कर रहा है कि उन्होने बीते साल२० २० मे क्या खोया या क्या पाया है ।

खबरीलाल – हाँ ताऊ मैनेअपने मूल्यांकन के दौरान पाया कि वैश्विक्र संकट कोरोना काल मे जहाँ कुछ अच्छी प्रकृति ने अपने अनमोल खजानो से उपाहर स्वरूप मानव जाति को दिया है , वही बहुत कुछ खोया है। ताऊ – खबरी लाल मै सर्व प्रथम इस शुभ घडी मे देश के समस्त पत्रकार भाइयों कोअनंतमय शुभकामनाएं! ये सच्चे देशभक्त होते है। विना किसी स्वार्थ दिन रात . सर्दी – गर्मी बरसात मे अपने कर्तव्य का निर्वाह निस्वार्थ करते है। कई बार तो ये अपनी ड्युटी निभाते प्राण की आहुति तक देना पड़ता है ।


खबरी लाल – ताऊ आप व चौपाल वासियो के साथ समस्त देश वासियो व प्रजातंत्र के प्रहरी  व प्राण पत्रकार वन्धुओ की तरफ हार्दिक शुभ मंगल कामनाएँ ।ताऊ – हॉ खबरी लाल पत्रकार तो प्रजातंत्र के प्रहरी होते है। इनका सम्मान तो प्रत्येक देश प्रेमी करना चाहिए । खबरी लाल – ताऊ आप ने सही बात कही । इस बीतेवर्ष में कोरोना संक्रमण काल का दौर चल रहा है। हर क्षेत्र में बड़े- बदलाव हुए हैं, इस कोरोना के दंश से कई हमारे पत्रकार मित्र काल के गाल मे समा गये । जिसका हम सभी को बहुत दुःख है। पत्रकारो की बदहाली की व्यथा – कथा मै किसे सुनाऊ।


ताऊ – खबरी लाल इस का हमे भी दुःख है । हम प्रजातंत्र के प्राण व देश के सच्चे प्रहरी को भाव भीनी अश्रूपूर्ण श्रद्धाजंली अर्पित करते है।
खबरी लाल – भले ही हम आज प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप मे अपनी पहचान बनाली है ,लेकिन कॉरपेट जगत के काले सम्राज्य व बर्तमान सरकार के वेरुखी का आये दिनो शिकार होते रहते है।खबरी लाल – भारतीय पत्रकारिता आज बदलाव के नाम पर बुरे दौर गुज रहा है जो हमारे समाज व राष्ट्र के लिए खतरे की घंटी है । आज कल एक नया फैशन चला है ‘ ऐसे खतरनाक बिषाणु का नाम पी आर है। आज भारतीय पत्रकारिता मे ऐसे मे पब्लिक रिलेक्स अथार्त पी आर कम्पनी का भी बहुत बडा योगदान है जो कि प्रजातंत्र व देश हित के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है। पी आर आज पत्रकारिता जगत व पत्रकार के लिए ना ईलाज केंसर बन गया है।आज स्थिति तो यह है कि झूठे- मुठे बड़े खबरें प्रेस विज्ञप्ति के नाम से भेजे जाते हैं। सुचना के श्रोत व समाचारो की संपुष्टि  तक नही होती है।
दिल्ली व एन सी आर जैसे चकाचौंध शहर में पत्रकारिता का मिज़ाज कुछ अलग ढंग का है। खबरों के लिए अखबारों में इतनी जगह दे दी गई है कि पत्रकार मात्र बेचारा बन कर रह गया है ।
पत्रकार की व्यथा -कथा पर कुछ संभ्रात वर्ग की दवी जुबान से काना पुसी कर रह जाते है । लेकिन स्वयं अपने आप को साम्मर्थ वान बुद्धिजीवी कहने वाले बडे मीडिया घरवाने के सिर मौर्य समझते है वे इस प्रकार किसी भी तरह चर्चा तो दुर दबी जुवान से अपनी नाक -भौह सिकुडते है । तथा अपनी लाला जी की दुकान की तारीफ करते थकते नही ब्लकि इसीमे अपनी पहचान व विजय पतका पहराते है कि हम तो बडे मीडिया घराने ‘ बडे बैनर के सर्वश्रेष्ट चैनल न० 1 मे कार्य करते है । जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण टी आर पी का खेल का पर्दापाश हुआ । ब्रकिग न्युज के नाम पर सनसनी व जनता के बीच मे डर फैलाना है ।
बीते कुछ साल इन्टरनेट के मोह जाल मे शोसल मीडिया व वाहस्ट एप युनिवसिर्टी मे चलने वाले खबरे प्रकाश व ध्वनि के वेग को पीछे छोडते हुए व्यारल करना आम बात है। चाहे इसका जो भी परिणाम हो ।

जहाँ तक प्रिन्ट मीडिया का प्रशन है . वह तो सबसे बुरे वक्त से गुजर रहा है। जिसका सुध लेने वाला आज कोई नही है। ना समाज ना ही सरकार है हालाकि देश के सुचना तंत्र के सर्वश्रेष्ट साधन के रूप मे छोटे मझेलो समाचार पत्र के निविघ्न प्रकाशन है । डी ए वी पी की स्थापना की गई जिसके माध्यम सरकार के द्वारा विज्ञापन दी जाती थी . तथा छोटे मझोले अखबार के ‘ सम्पादन मे आथिक मदद मिलती रहे । लेकिन वर्तमान सरकार के गलती नीति के कारण समाचार पत्र के प्रकाशक अपनी जमापूँजी
को खत्म कर भुखमरी के कगार पर अपनी अन्तिम स्वासे ले रही है।।
जहाँ तक पत्रकार के हितो के लिए पगकार युनियन भी एक मंच से समाचार पत्र व प्रत्रकार के कल्याण लिए बुलंद आवाज नही उठा पा रही है । जिसका मुख्य कारण आपसी मतभेद है। तभी किसी ने सच कहा है पत्रकारो एक जगह एकत्रित करना दुनिया मे सबसे कडी काम है। ठीक उसी तरह जहाँ बहुत सारे मेढक को किसी तराजु पे रख कर तोलना होता है।


आज प्रजातंत्र के प्रहरी पर पत्रकारो परआये दिनो जान लेवा हमला ना केवल चिन्ता का विषय है । जो सभी की सुद . खोज खबर लेता है। प्रजातंत्र के प्रहरी व रक्षक पर ही समाज के सिरफिरे लोगो द्वारा हमले की ना केवल निंदा होनी चाहिए ब्लकि सरकार को संसद में पत्रकार सुरक्षा पर विधयेक ला कर कानुन पास करवाये । पत्रकारो की प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें । इस नेक कार्य के लिए देश के सभी पत्रकार संगठन को आपसी मतभेद . भुलाकर कर एक जुठता का परिचय देते हुए अपनी माँग सरकार के समक्ष रखना होगा ।

ताकि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर कार्यपालिका ‘ विधायिका व न्यायपालिका के रंग कन्धे कन्धे से मिला कर अपनी निष्टा पूर्ण कर्तव्य का पालन र्निभय पूर्ण वातावरण मे सके ।
अंत मे खबरी लाल की तिरक्षी नजर से तीखी खबर के साथ आप सबो नये साल मे भी पढने को मिले ।
बीते वर्ष को सलाम
नव वर्ष मे मंगल कामनाएँ का पैगाम । “ना काहुँ से दोस्ती , ना काहुँ से बैर । खबरी लाल तो मांगे सब की खैर
प्रस्तुति
विनोद तकिया वाला
स्वतंत्र पत्रकार ‘ स्तम्भकार ‘ समीक्षक व लेखक

Related Articles

Back to top button