*खुलासा: एक ‘कन्वेंशन’ सेंटर के मेंटेनेन्स 3.50 लाख हो रहे हर दिन खर्च, चाहिए विशेष राज्य का दर्जा*

*खुलासा: एक ‘कन्वेंशन’ सेंटर के मेंटेनेन्स 3.50 लाख हो रहे हर दिन खर्च, चाहिए विशेष राज्य का दर्जा*

*2021 में नवंबर तक ही 13.70 करोड़ का खर्चा, आरटीआई एक्विस्ट ने सुशासन पर उठाये सवाल*

जेटी न्यूज।

पटना::- बिहार गरीब प्रदेश है। अन्य राज्यों के मुकाबले सूबा हर क्षेत्र में पिछड़ा है। गरीबी से बाहर निकालने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी फिर से विशेष राज्य का राग अलाप रही है। सीएम नीतीश बार-बार कह रहे कि हमारा राज्य पिछड़ा है, बिना स्पेशल स्टेटस दिये तरक्की नहीं हो सकती। वहीं दूसरी तरफ इस गरीब प्रदेश में एक कन्वेंशन सेंटर के रखरखाव में हर महीने 1 करोड़ रू से अधिक का खर्च हो रहा है। इतना ही नहीं बिहार के बाहर की कंपनी को टेंडर में तय राशि से अधिक का भुगतान किया जा रहा। आरटीआई से माध्यम से यह खुलासा हुआ है।

ko

भवन निर्माण विभाग ने आरटीआई के तहत जो जानकारी दी है वो चौंकाने वाली है। बिहार के जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट से भवन निर्माण विभाग से सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के रख रखाव में हो रहे खर्च की जानकारी मांगी थी। 17 नवंबर 2021 को पटना भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय को सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर से संबंधित मांगी गई सूचना की जानकारी दी. कार्यपालक अभियंता ने जो जानकारी दी उसमें 2018-19 में कन्वेंशन सेंटर के मेंटेनेंस पर 13 करोड़ 36 लाख 98 हजार की राशि खर्च की गई। वहीं 2019-20 में यह खर्च बढ़कर 14 करोड़ 32 लाख 31 हजार 331 रू हो गई। जबकि 2020-21 के नवंबर महीने तक 13 करोड़ 70 लाख 81 हजार 101 रुपए का खर्च आया। इस खर्च में उपस्करों के मेंटेनेंस, एसी का खर्च, फायर फाइटिंग और 5 अलार्म सिस्टम, लिफ्ट मेंटेनेंस, डीजी सेट, ऑडियो वीडियो सिस्टम एवं अन्य के रखरखाव पर राशि खर्च की गई.

भवन निर्माण विभाग से जानकारी अनुसार रांची की एक कंपनी को मेंटेनेंस का जिम्मा दिया गया है. उस कंपनी को हर साल 12 करोड़ 35 लाख 94 हजार 550 रू पर कार्य आवंटित की गई है। लेकिन 2018 से लेकर अब तक कंपनी को तय राशि से अधिक दी जा रही है. इस साल हर महीने अशोक कन्वेंशन सेंटर के रखरखाव पर करीब डेढ़ करोड़ की राशि खर्च हो रही है।

आरटीआई एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय के अनुसार बिहार जैसे गरीब प्रदेश में एक सेंटर के रखरखाव पर हर महीने डेढ़ करोड़ की राशि खर्च किया जाना आश्चर्यजनक है। इतना ही नहीं जो जानकारी दी गई है उसमें टेंडर में तय राशि से अधिक का भुगतान किया जा रहा है। यह भी बड़ा सवाल है। बिहार की सरकार ने बिहार की कंपनी को इस लायक नहीं समझा और बाहर की कंपनी को काम दिया गया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में बाहर राज्य की कंपनी ही काम क्यों करती है? ऐसे में बिहार के लोग गरीब नहीं रहेंगे और पलायन नहीं करेंगे तो और क्या होगा?

Related Articles

Back to top button