मिथिला विश्वविद्यालय सभागार में “स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन युवा वर्ग एवं कौशल विकास” विषय पर माननीय कुलपति की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का किया गया आयोजन

 

 

जेटी न्यूज़, ठाकुर वरुण कुमार।

 

दरभंगा::- युवा दिवस-सह-स्वामी विवेकानंद जयंती के पावन अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सभागार में दर्शनशास्त्र विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में ” स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन युवा वर्ग एवं कौशल विकास” विषय पर माननीय कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। इस विचार गोष्ठी में माननीय कुलपति महोदय ने अपने संबोधन में कहां कि स्वामी विवेकानंद 21वीं शताब्दी में भारत ही नहीं विश्व के युवाओं के आदर्श है। विवेकानंद के जीवन दर्शन और आदर्शों से युवाओं को बड़ी ताकत मिलती है, ऊर्जावान होते हैं और अपने जीवन लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर होते हैं। माननीय कुलपति ने अपने संबोधन में आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन दर्शन तीन शक्तियों से अहर्निश और ऊर्जान्वित होती है। वें तीन शक्तियां है – धनशक्ति, शारीरिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति। लेकिन इन तीनों शक्तियों में आध्यात्मिक शक्ति ही सबसे प्रबल है, क्योंकि इसके द्वारा आत्मबल का विकास होता है जो व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अग्रसर करता है। इसी आत्मबल के सहारे विवेकानंद सभी को जागृत, सजग, धैर्यवान एवं क्रिया से परिणाम तक निरंतर अग्रसर रहने की सीख देते हैं। वें स्पष्ट कहते हैं कि पूरे विश्व की विचारधारा को बदलने के लिए मेरे जैसे सौ युवाओं की फौज चाहिए जो आत्मबल और धैर्य से भरे हो। माननीय प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के आदर्श तो थे ही अपने समकालीन सन्यासियों से सर्वथा भिन्न भी थे। उनका आध्यात्मिक दर्शन विज्ञान से भी समन्वित था। उनकी मान्यता थी कि मनुष्य एक समय में एक ही कार्य पूरी निष्ठा और समर्पण से करें। यही कारण है कि विवेकानंद केवल 39 वर्ष की अल्पायु में भारत ही नहीं पूरे विश्व क्षितिज पर भारतीय ज्ञान, दर्शन और अध्यात्म की ध्वजा स्थापित किया। इसी क्रम में इस विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर जितेंद्र नारायण ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व को मार्गदर्शन करने वाले एवं मानवीय मूल्यों को स्थापित करने वाले सच्चे तप: पूत और पुरोधा के रूप में जाने जाते हैं। यह सच है कि भारत पूरी दुनिया में जगतगुरु रहा हैं। भारतीय इतिहास के प्रत्येक कालखंड में इसकी आध्यात्मिक अस्मिता विपरीत परिस्थितियों में भी बनी रही है। स्वामी विवेकानंद ने वेदांत दर्शन को नए मूल्यों से संपोषित कर संपूर्ण मानव जगत को एक नई ऊर्जा से स्पंदित किया। इतना ही पूरे विश्व क्षितिज पर भारत की निष्काम आध्यात्मिक सत्ता को नए मूल्यों से स्थापित कर विश्व मानवता को कल्याण के लिए एक नए द्वार का उद्घाटन किया। इस विचार गोष्ठी में कुलसचिव डा. मुश्ताक अहमद ने अपने संबोधन में कहा कि युवा दिवस सह स्वामी विवेकानंद जयंती को भारत ही नहीं पूरे विश्व को प्रेरणा दिवस के रुप में मनाया जाना चाहिए। स्वामी विवेकानंद शिकागो धर्म संसद के पश्चात भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर संपूर्ण विश्व के महापुरुष के रूप में सम्मानित हो गए। स्वामी विवेकानंद ने धर्म, जाति, समुदाय एवं संकीर्णताओं से ऊपर उठने की सीख दिया हैं। युवा दिवस सह विवेकानंद जयंती के अवसर पर दिनांक 11.01.2021 को विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों के छात्र छात्राओं के बीच स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें 100 से अधिक प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता की। उन प्रतिभागियों में से नेहा कुमारी अंग्रेजी विभाग एवं शहाना खातून रसायन विभाग को संयुक्त रूप से प्रथम स्थान, साक्षी झा भौतिकी विभाग एवं कौशल किशोर झा रसायन विभाग को संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान, शैली प्रिया भौतिकी विभाग एवं मनीषा प्रिया शिक्षाशास्त्र विभाग को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त। इन सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र माननीय कुलपति महोदय के द्वारा दिया गया। इस विचार गोष्ठी को विषय प्रवेश कराते हुए दर्शनशास्त्र के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर अमरनाथ झा ने स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन के विविध पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विवेकानंद उपनिषद एवं बुद्ध के दर्शन से प्रभावित थे। इस विचार गोष्ठी में वित्तीय परामर्शी श्री कैलाश राम, विज्ञान संकायाध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय मीडिया सेल के अध्यक्ष प्रोफेसर रतन कुमार चौधरी, संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जीवानंद झा, जयशंकर झा, अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रोफेसर अशोक कुमार झा, दूरस्थ शिक्षा के निदेशक प्रोफ़ेसर अशोक मेहता, भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अरुण कुमार सिंह, सीसीडीसी डॉ सुरेंद्र कुमार, परीक्षा नियंत्रक डॉ एस एन राय, डी.आर.-1 कामेश्वर पासवान, पेंशन अधिकारी डॉ सुरेश पासवान , विकास अधिकारी प्रोफेसर के के साहू, दूरस्थ शिक्षा के सहायक कुलसचिव डॉ के एन श्रीवास्तव, एनएसएस समन्वयक डा. आनंद प्रकाश गुप्ता , मीडिया सेल के श्री मनीष राज सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद थे। इस विचार गोष्ठी का संचालन डॉ अमरनाथ झा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनोद बैठा ने किया।

Website Editor :- Neha Kumari

Related Articles

Back to top button