कोरोना संकट के बीच अपने स्टाफ के लिए क्या सोच रही हैं भारतीय कंपनियां?
देशभर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते संकट के बीच अब कंपनियां अब अपने स्टाफ के कामकाज और कल्याण के बारे में प्राथमिकता तय करने लगी है. अमेरिकी कंसलटेंट और एसेट मैनेजमेंट फर्म मर्सर की एक स्टडी में यह जानकारी सामने आई है. मर्सर ने ग्लोबल टैलेंट ट्रेंड्स 2020-21 नाम से यह रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक जिन कंपनियों का सर्वे किया गया है उनमें से 24 फ़ीसदी भारतीय कंपनियां अपने स्टाफ के लिए कामकाज के नए तरीके अपनाने के हिसाब से प्रोग्राम और पॉलिसी शुरू कर रही हैं.
अपने स्टाफ को इंगेज रखने के लिए सर्वे में शामिल 21 फ़ीसदी कंपनियां एचआर प्रोसेस को रिजाइन कर रही हैं. इसके साथ ही 21 फ़ीसदी कंपनियों ने कहा है कि वह एचआर के डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन पर काम कर रही हैं.
मर्सर ने जिन कंपनियों का इंटरव्यू किया है उनमें से 15 फ़ीसदी भारतीय कंपनियों ने कहा है कि हुए अपने एचआर मॉडल को पूरी तरह बदलने में जुटी हैं. सर्वे में शामिल 7 फ़ीसदी कंपनियों ने कहा है कि वह लोकलाइजिंग-सेंट्रलाइजिंग प्रोसेस के जरिए एचआर फुटप्रिंट को ऑप्टिमाइज करने में जुटी हैं. मर्सर की यह ग्लोबल रिपोर्ट 7300 सीनियर बिजनेस एग्जीक्यूटिव, एचआर लीडर और एंप्लाइज से बात करने के बाद तैयार की गई है. मर्सर ने 44 देशों में स्टडी की है. साल 2020 में हुए घटनाक्रम की वजह से भारत में कंपनियां भविष्य के वर्क फोर्स जरूरतों के हिसाब से निवेश कर रही हैं.
मर्सर के कैरियर बिजनेस लेटर शांति नरेश ने कहा, “टेक्नोलॉजी इनेबल रिमोट वर्क एनवायरमेंट में अब संस्थानों का उद्देश्य सभी एंप्लोई के साथ कनेक्शन बनाना और उसे विकसित करना है. इसके साथ ही अपने स्टाफ की फिजिकल और मेंटल सीमाओं को समझना भी कंपनियों की प्राथमिकता में शामिल है. वास्तव में इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक मेलजोल की कमी की वजह से स्टाफ के फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ सकता है और उस हिसाब से कंपनियां अब अपनी रणनीति विकसित कर रही है.”
(सौजन्यः इकोनोमिक टाईम्स)
संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार