भीषण समस्याः कोरोना संकट की वजह से गरीबी के चंगुल में फंस सकता है देश का मध्य आय वर्ग
नई दिल्लीः आशीष आनंद एक फैशन डिज़ाइनर बनना चाहते थे. उन्होंने पहले फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी की थी, लेकिन उसे छोड़ दिया. उन्होंने अपने दोस्तों से करीब $5000 की रकम उधार ली और दिल्ली के बाहरी इलाके में एक गारमेंट शॉप खोल ली. इस दुकान में वे कस्टम डिजाइन सूट, शर्ट और पेंट आदि बेचने लगे.
राइट फिट के नाम से खोली गई यह दुकान फरवरी 2020 से ठीक-ठाक चल रही थी. कुछ ही हफ्तों में भारत में कोरोनावायरस का संक्रमण शुरू हो गया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा कर दी. करीब 2 महीने दुकान चलाने के बाद जब आनंद को किराया देने में भी समस्या आने लगी तो उन्होंने यह दुकान बंद कर दी.
अब आनंद, उनकी वाइफ और उनके दो बच्चे भारत के उन लाखों लोगों में शामिल हो गए हैं जो अपनी मौजूदा स्थिति से और बदतर हालत में जा रहे हैं. वह वास्तव में गरीबी के चंगुल में फंस चुके हैं. अब वह अपने सास ससुर के पेंशन से मिलने वाली थोड़ी रकम पर निर्भर हैं. खिचड़ी या मसूर की पतली दाल और चावल से उनका गुजारा चल रहा है. अंडे और चिकन उनके डिनर टेबल से गायब हो गये हैं.
उन्होंने कहा कि कभी-कभी बच्चों को भूखे ही सोने के लिए जाना पड़ता है. 38 साल के आनंद कहते हैं कि मेरी जेब में कुछ भी नहीं है, मैं अपने बच्चों को क्या खिलाऊंगा? भारत में कोरोनावायरस का सेकंड वेव शुरू हो चुका है, इस बीच मध्य आय वर्ग के लाखों लोगों के सपने पर एक बार फिर पानी फिर सकता है.
पिछले साल भारत में कोरोना महामारी की वजह से 3.2 करोड़ से अधिक लोग गरीबी का शिकार हो गए थे. दुनिया भर में मिडल क्लास से गरीबी रेखा के दायरे में जाने वाले लोगों की कुल संक्या करीब 5.4 करोड़ थी, जिसमें आधे से अधिक भारत से ही थे.
कोरोनावायरस की वजह से किसी देश की दशकों की तरक्की पर पानी फिर रहा है. इस वजह से लाखों लोग गरीबी के दलदल में फंस रहे हैं. वास्तव में किसी देश के लोगों को गरीबी के दायरे से बाहर निकालने में काफी समय लगता है और सरकारों को कई योजनाएं बनानी होती हैं.
अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो संरचनात्मक दिक्कतों और सरकार की नीतियों की वजह से भी जीडीपी ग्रोथ पर असर पड़ सकता है. मध्य आय वर्ग के लगातार घटती आबादी की वजह से यह नुकसान और बढ़ सकता है. डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट जयती घोष ने कहा, “यह वास्तव में बहुत बुरी खबर है. यह भारत के ग्रोथ के पैमाने पर काफी असर डालेगा और समाज में व्यापक असमानता को जन्म देगा.”
देश में कोरोनावायरस के सेकंड वेब की वजह से रोजाना दो लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और इस वजह से कई राज्यों में वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का ऐलान हो चुका है. इस वजह से मध्य आय वर्ग के लोगों की आमदनी पर गंभीर असर पड़ सकता है.
(सौजन्यः इकोनोमिक टाईम्स)
संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार