26 मई को राष्ट्रव्यापी काला दिवस के दिन पश्चिम चंपारण के गांवों में काला दिवस मनाया जाएगा

बेतिया/पश्चिम चम्पारण:- बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने बताया की आज पश्चिम चंपारण किसान सभा , सी आई टी यू तथा खेतिहर मजदर यूनियन की संयुक्त रुप से 

 वर्चुअल बैठक चांदसी प्रसाद यादव की अध्यक्षता में हुई । बैठक को संबोधित करते हुए बिहार राज किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभु राज नारायण राव ने कहा कि आज देश भीषण परिस्थिति से गुजर रहा है । एक तरफ कोरोना जैसी महामारी से लोग मर रहे हैं । तो दूसरी तरफ 6 महीने से दिल्ली की बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान किसान विरोधी काला कानून की वापसी की मांग कर रहे हैं और इसी बीच खाद के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी देश के सामने गंभीर परिस्थिति पैदा कर दिया है ।

          नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने खरीफ सत्र से ठीक पहले खाद निर्माता कंपनियों को प्रमुख खादों की कीमतों ने बढ़ोतरी की खुली छूट दे दी है। डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की कीमतों में 58 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है, 50 किलोग्राम के बोरी की कीमत 1200/- रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1900 /- रुपये कर दी गई है । नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाशियम (एनपीके) की कीमत में 52 प्रतिशत यानीं 615 रुपये प्रति बोरी की बढ़ोतरी हुई है । यह लगभग 1175 रुपए प्रति बोरी से बढ़कर 1790 रुपये प्रति बोरी हो गई हैं। पोटाश की कीमतों में 850 रुपये प्रति बोरी की वृद्धि हुई है, जो कीमत मई 2020 में लगभग 875 रुपये प्रति बोरी थी वो लगभग दोगुनी होकर 1725 रुपये प्रति बोरी हो गई है। साथ ही अमोनियम फॉस्फेट सल्फेट (एपीएस) की कीमतों में 425 रुपये प्रति बोरी की वृद्धि हुई है। यानी लगभग 925 रुपये प्रति बोरी से यह लगभग 1,350 रुपये प्रति बोरी हो गई है यानीं यह लगभग 46 प्रतिशत की वृद्धि है। 

         डीजल की बढ़ती कीमतों ने पहले ही सिंचाई और ट्रैक्टर द्वारा खेत की जोताई को महगा बना दिया है। मोदी सरकार द्वारा उत्पादन में लागत से डेढ़ गुणा यानी (सी2+50 प्रतिशत) एमएसपी तय करने की किसानों की मांग को मानने से इनकार कर दिए जाने के बाद अब कृषि लागत में इस वृद्धि ने कृषि को और महंगा बना दिया है। उर्वरक की कीमतों में यह वृद्धि देश के किसानों पर सीधा हमला है और किसान सभा इसके विरोध में संघर्ष छेड़ने को मजबूर है ।    

         प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कहना की खाद के बढ़े हुए दाम को अनुदान के रूप में भारत सरकार देगी यह आम जनता के साथ सरासर धोखा है। जब खाद पर खाद कंपनियों द्वारा 58% की बढ़ोतरी कर देश के किसानों का कमर तोड़ने का काम किया जा रहा है। तो कोरोना संक्रमण से जूझ रहे किसानों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री को खाद कंपनियों द्वारा खाद के दामों की बढ़ोतरी पर रोक लगाने का निर्देश देना चाहिए । न की उनकी झोली और मोटी करने के लिए आम जनता के पैसे को उनकी झोली में डाल देना चाहिए । यह देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी । इसलिए खाद के दामों में हुई बढ़ोतरी को अभिलंब वापस लेने के लिए खाद कंपनियों को प्रधानमंत्री निर्देश दें । अन्यथा इसके विरुद्ध 26 मई को राष्ट्रव्यापी काला दिवस के दिन पश्चिम चंपारण के गांव गांव में इसके प्रतिकार के रूप में काला दिवस मनाया जाएगा और सरकार को अभिलंब किसान विरोधी काला कानूनों की वापसी के साथ-साथ खाद के दामों में हुई बढ़ोतरी को पूर्ण रूप से वापस लेने की घोषणा करना चाहिए । कोरोना से बचने के लिए ऑक्सीजन , वैक्सीन , रेमदेसीविर , वेंटिलेटर सहित दवाइयों को पर्याप्त मात्रा में सभी उप स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचाने की गारंटी करें। इसके साथ साथ तमाम गरीब परिवार को साढे सात हजार विशेष सहायता के रूप में प्रत्येक परिवार को दिया जाए , 10 किलो प्रत्येक व्यक्ति को मुफ्त में अनाज दिया जाए । सभी गरीब परिवार के सदस्यों को 600 रुपए प्रतिदिन मजदूरी दिया जाए तथा कोराेना से बचने के सभी दवाओ की मुफ्त व्यवस्था किया जाए ।

        बैठक को खेतिहर मजदूर यूनियन के जिला मंत्री प्रभूनाथ गुप्ता , सीटू के जिला अध्यक्ष बी के नरुला , सचिव शंकर कुमार राव , तांगा चालक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रकाश वर्मा , ई रिक्शा चालक संघ के महासचिव नीरज बरनवाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।।

Edited By :- savita maurya

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