बालश्रम एवं शोषण से बच्चों की सुरक्षा पर चर्चा

जेटी न्यूज
शहाबुद्दीन अहमद, बेतिया।

जेटी न्यूज -: विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के डॉ एजाज अहमद, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल ने विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर, विश्व भर में मारे गए बच्चों को विजुअल कार्यक्रम के माध्यम से, श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में दुनिया भर में बच्चों के सम्मान में मनाया जाता है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार,  भारत में बाल मजदूरों की संख्‍या 1.01 करोड़ है! जिसमें 56 लाख लड़के एवं  45 लाख लड़कियां हैं। दुनिया भर में कुल मिलाकर 15.20 करोड़ बच्‍चे 6.4 करोड़ लड़कियां और  8.8 करोड़ लड़के बाल मजदूर होने का अनुमान लगाया गया है अर्थात दुनिया भर में प्रत्‍येक 10 बच्‍चों में से एक बच्‍चा बाल मजदूर है।

भारत समेत पूरे विश्व में विभिन्‍न उद्योगों में बाल मजदूरों को काम करते हुए देखा जा सकता है जैसे ईंट भट्टों पर काम करना, गलीचा बुनना, कपड़े तैयार करना, घरेलू कामकाज, खानपान सेवाएं (जैसे चाय की दुकान पर) खेतीबाड़ी, मछली पालन और खानों में काम करना आदि।बाल मजदूरी और शोषण के अनेक कारण हैं ,जिनमें गरीबी, सामाजिक मापदंड, वयस्‍कों तथा किशोरों के लिए अच्‍छे कार्य करने के अवसरों की कमी, प्रवास और इमरजेंसी शामिल हैं। बच्‍चों का काम स्‍कूल जाना है, न कि मजदूरी करना। बाल मजदूरी बच्‍चों से स्‍कूल जाने का अधिकार छीन लेती है और वे पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पाते हैं। ऐसे बच्‍चों को शारीरिक, मानसिक, यौन तथा भावनात्‍मक सभी प्रकार के उत्‍पीड़न सहने पड़ते हैं ,जैसे बच्‍चों को वेश्‍यावृति की ओर जबरदस्‍ती धकेला जाता है, शादी के लिए मजबूर किया जाता है या गैर-कानूनी तरीके से गोद लिया जाता है, बाल तस्‍करी बच्चों के लिए हिंसा, यौन उत्‍पीड़न तथा एच आई वी संक्रमण (इंफेक्‍शन) का खतरा पैदा करती है ,बाल मजदूरी रोकने तथा उसके प्रत्‍युततर में बच्‍चों की अहम भूमिका होती है। संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व बिरादरी की जिम्मेवारी है कि नई पीढ़ी को संरक्षण प्रदान करते हुए उनके जीवन को सुरक्षित करें।

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