नेता जी ये पब्लिक है ‘ पब्लिक ‘ सब जानती है – खबरी लाल

जे टी न्यूज़ -: वैश्विक महमारी कोरोना काल के दुसरे दौर में प्रधान मंत्री मोदी के द्वारा विगत दिनो जनता के नाम दिये गये संदेश मे गरीब व जरूरत मंदो को दीवाली तक “मुफ़्त अनाज देने की घोषणा की गई है। मै यहाँ पर स्पष्ट कर दूँ कि जिस क़ानून के तहत ये “मुफ़्त अनाज” दिया जा रहा है, ये खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत दिया जाता है I सन 2013 में केन्द्र मे कांग्रेस की सरकार केन्द्र मे थी । जब केन्द्र की सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम क्रियान्वित करते की बात हुई थी तो विपक्ष द्वारा इसी खाद्य सुरक्षा क़ानून के ख़िलाफ़ तरह- तरह के ग़लत ब्यान बाजी व दलील देकर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने इस क़ानून का पूर जोर विरोध किया था । मोदी जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस संदर्भ मे एक पत्र भी लिखा था । इस पर भाजपा के नेताओ ने 80 करोड़ भारतीयों को अनाज देने वाली इस योजना का विरोध करते हुए केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को सबालो के कटघरो मे खडा तक कर दिया था । भाजपा ने शीर्ष नेताओ ने कहा था ये “ खाद्य सुरक्षा बिल नहीं है ये “ बोट सुरक्षा बिल है. उस समय बनारस से चुनाव लड़ने वाले भाजपा के करावर नेता पं० मुरली मनोहर जोशी जिन्हें मोदी राज ने सत्ता के शिखर से शुन्य पर ला कर पटक दिया है । विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के मन्दिर में उन्होंने 27 अगस्त 2013 के दिन संसद में इस क़ानून का पुरज़ोर विरोध किया था , लेकिन कुछ दिनो के बाद मे जबअगले बर्ष 2014 मे लोक सभा के आम चुनाव सर पर थे ।इसलिए भाजपा ने इस क़ानून पर चुप्पी लगाना शुरू कर दिया तथा इसके पीछे भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार(हिमाचंल के पूर्व मुख्यमंत्री) ने कहा था अभी हमें “गरीब विरोधी” का नाम दे दिया जाएगा , जिसे भाजपा के शीर्ष नेताओ द्वारा आपसी गोपनीय विचार विमर्श के वाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि अभी हमें इस विल पर कुछ नहीं कह रहे है,लेकिन जब हमारी पार्टी की सरकार केन्द्र में आएँगे तो इस क़ानून को हम बदलेंगे । भाजपा नेता शांता कुमार ने कहा था कि 80 करोड़ जनता बहुत अधिक है, इतनी जनता को राशन नहीं दिया जाना चाहिए ।हम जब सरकार में आएँगे तो इसे घटाकर 40% करके इसमें संतुलन बनाएँगे, इतनी बड़ी योजना से देश का बजट बिगड जायेगा । पं० मुरली मनोहर जोशी संसद में पूछते रहे कि इतने लोगों को कैसे अनाज दे पाओगे? कहाँ से देंगें ‘ उस समय के भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने तो ही भी कहा था कि ये क़ानून देश के लिए आर्थिक बोझ साबित होगा. और इतने बड़े स्तर पर ग़रीबों को अनाज देना होगा तो देश को अनाज विदेशो से आयात करना पड़ेगा ‘लेकिन इन तमाम आरोपों और शंकाओं के बीच भी सोनिया गांधी इस क़ानून को पास कराने के लिए अड़ी रहीं. I राजनाथ सिंह ने तो सदन में ये भी कहा कि इस क़ानून को पास कराने के लिए कांग्रेस पार्टी पर सोनिया गांधी का दबाव है ।राजनाथ सिंह के बयान पर ही विश्वास करें तो इस क़ानून को बनाए जाने का क्रेडिट सोनिया गांधी को जाता है, समय के . बदलते बयार मे राजनीति क पार्टी के स्वर बदल गये है । मगर आज राशन पहुँचाने का क्रेडिट कौन ले रहा है? इस सवाल का जवाब आप स्वयं ढूँढिए.

सन 2013 के बाद से ही खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गाँव-गाँव में राशन दिया जाने लगा । मगर किसी ने आपको अपमानित करते हुए नहीं कहा कि आपको “मुफ़्त का राशन” दिया जा रहा है. क्योंकि ये जनता के टैक्स के पैसे से ही आपको दिया जा रहा है । तो आप सभी के मन मे सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये अनाज मुफ्त का कैसे हुआ? कांग्रेस ने इस क़ानून का नाम भी “ खाद्य सुरक्षा अधिकार रखा , यानी ये भोजन का आपका अधिकार है, ये आपके लिए भीख नहीं है. ये जनता का वैसे ही आपका अधिकार है, जैसे आपके बोलने का और जीने का अधिकार है. पहले भी राशन दिया जाता था मगर दो से तीन प्रतिशत लोगों को. 2013 में इस अधिकार को बढ़ाकर 67% भारतीयों को दिया जाने लगा । पहले से लेकर अब तक इसे 1-2 रुपए किलो में ही दिया जाता था. कांग्रेस की सरकार गई तो भाजपा के समय मे भी दिया जाना ही था । जब कोविड आया तो मोदी ने उसी राशन को जोकि आपको पहले ही दिया जा रहा था उसे “मुफ़्त का राशन” कहना शुरू कर दिया श्याद इसे अपने राजनीति के चमकाने मे मदद मिले |
अगले वर्ष यु० पी ० , उत्तराखण्ड ‘ पंजाव सहित 5 राज्यो मे विधान सभा के चुनाव होने वाली है ‘ नेता जी राजनीति के गलियारो में बढती सरगर्मी , राजनेता की दल बल ‘ व घर वापसी शुरू हो गई है ‘ ये तो वक्त बताये गया कि किसकी राजनीति चमकेगी व किसकी राजनीति के सितारे गर्दिश मे होगे । नेता जी ” ये पब्लिक है ‘ पब्लिक , सब जानती है” । अभी हम आप से विदा लेते है ‘ फिर मिलगे ‘ तीरक्षी नज़र से तीखी खबर के साथ ‘
ना ही काहूँ से दोस्ती ‘ ना ही काहूँ से बैर ॥ खबरी लाल तो माँगे सबकी खैर ॥
प्रस्तुत्ति
विनोद तकिया वाला
मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार

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