सांसद व विधायक सरकारी कर्मी नहीं, फिर पेंशन क्यों, बंद करे सरकार।

बेतिया- सांसदों एवं विधायकों को पेंशन का लाभ देना उचित नहीं है, क्योंकि यह लोग सरकारी सेवक नहीं है,यह जनप्रतिनिधित्व कानून के अंतर्गत लोक सेवक हैं,जनता के प्रतीनिधि है,आम जनता इनको वोट देती है,और इनको सांसद और विधायक बनाती है, इनकी जिम्मेदारी है कि जनता की समस्याओं को सरकार तक पहुंचा कर उन समस्याओं को हल करना है,अपने छेत्र का विकास करना इनकी जिम्मेवारी है,इन लोगों को सरकारी कर्मी के जैसा पेंशन का उपभोग करनाअनुचित है,केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने सांसदों व विधायकों को पेंशन का लाभ देकर वोट की राजनीति की है, अगर कोई सांसद या विधायक को एक बार चुन लिया जाता है और उसकी अवधि समाप्ति के बाद भी वह जीवन भर पेंशन का हकदार बन जाता है,जो सरासर नियम संगत नहीं है,जिससे सरकार पर अलग से आर्थिक बोझ बढ़ जाता है,सरकारी बजट का संतुलन बिगड़ जाता है, सांसदों व विधायकों को टीए और डीए का भुगतान होना कुछ हद तक ठीक लगता है,मगर इसके लिए राशि बहुत अधिक भुगतान की जा रही है,जो नियमसंगत नहीं है,नहीं होनी चाहिए,एक लिमिट के अंदर इनको इससे लाभान्वित करना चाहिए,इसके अलावा अन्य सभी सुविधाओं को राष्ट्रहित में बंद कर देना चाहिए,चुनाव के समय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को चुनाव में अधिक सेअधिक राशि खर्च करनी पड़ती है,जिसके कारण चुनाव जीतकर सांसद या विधायक बन जाते हैं, इसी लालच में के जीवन भर पेंशन का हकदार हो जाएंगे,मगर बनने के बाद जो स्थिति आती है, वह सब की नजर में है, एक बार सांसद विधायक बन जाने के बाद जीवन भर पेंशन का हकदार हो जाते हैं, जो भारतीय संविधान के अंतर्गत निहित प्रधानों के विरुद्ध है, ऐसा नहीं होनी चाहिए, सांसद या विधायक बनना कोई नौकरी नहीं है ,और न ही सरकारी कर्मी हैं, जिसके लिए उन्हें जीवन भर पेंशन दी जाए,जब कर्मचारियों के वेतन वृद्धि,महंगाई भत्ता एवन अन्ये भत्ता और पेंशन की बात आती है तो आर्थिक बोझ का बहाना सरकार दिखाती है, और जब सांसदों व विधायकों की वेतन वृद्धि,टी ए,डीए बढ़ोतरी की बात आती है तो पक्ष व विपक्ष दोनों एकमत होकर उसको पारित कर देते हैं, इसलिए नेताओं का पेंशन खत्म कर देनी चाहिए, नेता चुनाव लड़ते हैं ,और सांसद व विधायक बनकर,लोक सभा व विधानसभा पहुंचते हैं, कार्यकाल खत्म होने के बाद पेंशन के हकदार हो जाते हैं, यदि नेतागिरी सेवा है तो पेंशन क्यों?

केंद्र सरकार व राज्य सरकार के सरकारी कर्मियों व पेंशनभोगियों को सही समय पर वेतन,मंहगाई भत्ता व पेंशन का भुगतान नहीं हो पाता है,और उनको टीए, डीए का भुगतान भी समय पर नियमानुकूल नहीं हो पाता है, मगर इन सांसदों व विधायकों का प्रतिमाह पेंशन ,टीए व डीए की राशि उपलब्ध हो जाती है ,इसके अलावा उनके क्षेत्र में काम करने के लिए भी करोड़ों रुपए की राशि दी जाती है ,इनके द्वारा कितना काम होता है,और किस स्तर का होता है यह जग जाहिर है, कितना खर्च करते हैं और कितना काम होता है,यह सभो की नजर में है,ऐसी स्थिति में इन सांसदों व विधायकों को जीवन भर पेंशन देने की नियम को हटाया जाए,इससे इन लोगों को वंचित कर बजट की संतुलन को संतुलित किया जाए तथा सरकारी कर्मियों को समय पर उनका मासिक भुगतान, महंगाई भत्ता एवन भत्ता का भुगतान के साथ-साथ पेंशन भोगियों को भी समय पर पेंशन का भुगतान किया जाए,यही न्याय की बात होगी।

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