भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री का प्रवास उत्तर बिहार प्रांत से प्रारंभ

पटना:- भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शंकरानंद जी का बिहार में आगमन हो चुका है। गुरुवार 2 दिसंबर मान्यवर शंकरानंद जी का प्रवास उत्तर बिहार प्रांत से प्रारंभ हो रहा है। बैठक कार्यक्रम ज्ञान ज्योति गुरुकुलम, बिदुपुर, वैशाली से प्रारंभ हुआ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ सर्वप्रथम राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात संगठन मंत्री ने विद्यालय के होनहार छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कुशल भारत के निर्माण के संबंध में जानकारी दिया और बच्चों को पराक्रमी, त्यागी और ज्ञानी बनने के गुरु मंत्र दिए। उन्होंने बच्चों से कहा की अपने दिन का प्रारंभ सूर्य नमस्कार से करें तथा अपने से छोटों को प्यार और बड़ों को आदर के साथ सम्मान करें। इससे हमारे भारतीय संस्कृति का विकास होगा। तत्पश्चात उन्होंने विद्यालय के शिक्षकों के साथ बैठक किया और उन्हें अच्छी शिक्षा कैसे दी जाती है तथा बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा कैसे भरी जाती है का गुरु मंत्र दिया। उन्होंने शिक्षकों से यह भी कहा कि यह बच्चे हमारे देश के कर्णधार हैं आप उन्हें जैसी विद्या देंगे वह भी भविष्य में वैसा ही कार्य करेंगे। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि हमारा ध्येय अपने देश को विश्व गुरु बनाने का है जो कि आप शिक्षकों के योगदान के बिना असंभव है।

 

तदोपरांत राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शंकरानंद जी ने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक किया। बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं को संगठन को मजबूत करने अनुशासन और संगठन के ध्येय को ध्यान में रखते हुए संगठन को आगे बढ़ाने के गुरु मंत्र दिए। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं को संगठन के ध्येय मंत्र के साथ-साथ वैचारिक अध्ययन, कार्य पद्धति और कार्यक्रम का समूल जानकारी होनी चाहिए। हम जो सुनते हैं, पढ़ते हैं और भूल जाते हैं इससे मनुष्य का विकास नहीं होता, हम जो सुनते हैं, पढ़ते हैं, देखते हैं और छोटी-छोटी बातों को लिखते हैं तथा उसे अपने आचरण और व्यवहार में उतारते हैं इससे मनुष्य, कार्यकर्ता और संगठन का विकास होता है। कार्यकर्ता के विकास के बिना कार्य का विकास नहीं हो सकता।

संगठन का ध्येय मंत्र राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक संपूर्ण शिक्षा को भारतीय मूल्यों पर आधारित, भारतीय संस्कृति की जड़ों से पोषित तथा भारत केंद्रित बनाने हेतु नीति, पाठ्यक्रम तथा पद्धति में भारतीयता लाने के लिए अनुसंधान, प्रबोधन, प्रशिक्षण, प्रकाशन और संगठन निर्माण करना।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक कार्यकर्ता को दैनिक, सप्ताहिक, मासिक एवं वार्षिक कार्यों का लेखा-जोखा रखना चाहिए तथा उस पर अमल करना चाहिए, इससे कार्यकर्ता और संगठन दोनों का विकास होता है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य के शरीर में तीन अतिथि बगैर पूछे और बुलाए ही चले आते हैं जिनके नाम हैं आलस्य, अहंकार और अज्ञानता जो सर चढ़कर बोलते हैं और मनुष्य को समाप्त कर देते हैं। जितनी चाह बढ़ती है मनुष्य उतना ही कमजोर होता जाता है।

 

कार्यक्रम का संचालन प्रांत मंत्री हिमांशु कुमार वर्मा ने किया तथा आयोजन विद्यालय के व्यवस्थापक-सह-प्रांतीय उपाध्यक्ष, उत्तर बिहार प्रांत अजीत कुमार ने किया। इस कार्यक्रम में अमरेंद्र प्रकाश चौबे- प्रांतीय अध्यक्ष, उत्तर बिहार, विजय शर्मा- प्रांतीय सह-मंत्री, उत्तर बिहार, मान्यवर संदीप सन्नकी- विस्तारक दक्षिण बिहार, जितेंद्र कुमार- प्रान्त विश्वविद्यालय प्रमुख, दक्षिण बिहार, राजदेव जी- प्रांतीय प्रकाशन मंत्री, उत्तर बिहार, ठाकुर वरुण कुमार- जिला संयोजक, समस्तीपुर एवं अन्य जिला और प्रांत स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित हुए।

संपादिकृत: ठाकुर वरुण कुमार

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